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नगदी से कैश-लेस का सफर…डिजिटल ट्रांजैक्शन पर कितना देना होगा टैक्स….

पढ़िए क्या है पूरा खेल…

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Ashoka Times….30 मार्च

1 अप्रैल से दो हजार से ऊपर की डिजिटल ट्रांजैक्शन (digital transaction) पर 1.1 प्रतिशत टैक्स देना होगा। UPI ऑपरेट करने वाली संस्था नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा सूचना जारी की गई है। वहीं दूसरी सूचना है कि बैंक account to account ट्रांजैक्शन पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगाया जाएगा।

बता दें कि देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन (digital transaction) के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली स्वाइप मशीन धीरे-धीरे व्यापारियों ने बंद कर दी है उसका बड़ा कारण है कि उस पर 2% के करीब टैक्स अदा करना पड़ता है। ऐसे में अधिकतर छोटे व्यापारियों ने इस तरह की स्वाइप मशीन (swipe machine)को रखना बंद कर दिया है।

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इस वक्त देश में 70 करोड से अधिक यूजर्स इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं करोड़ों लोग ऑनलाइन पेमेंट में बड़ी हिस्सेदारी निभा रहे हैं लेकिन अब एक बार फिर देश नगदी व्यापार की ओर मुड़ सकता है इसका बड़ा कारण है डेबिट या क्रेडिट कार्ड सहित स्वाइप मशीन पर सरकार टैक्स बढ़ा सकती हैं अगर ऐसा होता है तो व्यापारियों के साथ लोग भी नकदी की ओर मुड़ सकते हैं।

दरअसल देश की आर्थिक व्यवस्था पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बदली है जहां नदी से काम होता था अब वहां पर अधिकांश लेन-देन चेक, क्रेडिटकार्ड (credit card), डेबिटकार्ड (debit card), नेट बैंकिग (net banking) मोबाइल से भुगतान तथा भिन्न-भिन्न डिजिटल माध्यमों से किया जा रहा था ।

व्यापारी पहले से ही है निराश….

दरअसल भारत में हमेशा से ही नगदी का व्यापार रहा है ऐसे में अचानक तेजी से बदलते माहौल के बीच देश के छोटे व्यापारी खुद को स्थापित नहीं कर पा रहे हैं व्यापारी आज भी नकदी के व्यापार में अधिक विश्वास रखता है लेकिन अब प्लास्टिक मनी और डिजिटल ट्रांजैक्शन ने देश के व्यापारियों की नींद में कुछ खलल जरूर डाला है क्योंकि डिजिटल ट्रांजैक्शन से ट्रांसपेरेंसी बढ़ी है देश को अधिक टैक्स मिल रहा है लेकिन डिजिटल ट्रांजैक्शन (digital transaction) से देश के अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र आज भी काफी अछूते हैं धीरे-धीरे उन्हें भी इस और मोड़ना एक बड़ा मकसद केंद्र सरकार का रहा है यही कारण है कि आज लगभग 98 फ़ीसदी लोगों के बैंक अकाउंट खोलने की बात कही जाती है।

अब क्यों आ रही समस्या…. दरअसल दुकानदार आपसे डेबिट या क्रेडिट कार्ड से भुगतान कर लेता है. दुकानदार की ओर से ली गई रकम का बड़ा हिस्सा क्रेडिट या डेबिट कार्ड जारी करने वाले बैंक को मिलता है. पीओएस मशीन जारी करने वाले बैंक और पेमेंट कंपनी को भी कुछ हिस्‍सा जाता है. ऐसे में अब एक बार फिर केंद्र सरकार कहे या आरबीआई डिजिटल ट्रांजैक्शन पर टैक्स लगाने का मन बना रही है अगर ऐसा होता है तो देश एक बार फिर धीरे-धीरे नकदी की ओर मुड़ सकता है विशेष तौर पर करोड़ों व्यापारी इसकी पहल कर सकते हैं।

याद दिला रहे हैं कि….आठ नवंबर की शाम जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हज़ार और पांच सौ के नोट बंद करने की घोषणा कर रहे थे उनका एक लक्ष्य ये भी था कि भारत को कैश लेस की ओर अग्रसर किया जाए इसमें शहरी क्षेत्र में काफी हद तक सफलता भी मिली है जहां पर लगभग 95% व्यवस्था डिजिटल ट्रांजैक्शन की ओर गई है

 

देश में अभी भी 65 करोड़ से अधिक लोगों के पास डेबिट कार्ड और 5 करोड़ से अधिक लोगों के पास क्रेडिट कार्ड है. वैशाली

भारत की अर्थव्यवस्था में 86 फ़ीसदी कैश हज़ार और पांच सौ के नोट के रूप में रहा है. लेकिन अब स्थिति ऐसी नहीं है अब देश के आर्थिकी में डिजिटल करेंसी जैसे डेबिट कार्ड क्रेडिट कार्ड स्वाइप मशीन के माध्यम से कैश बह रहा है लोगों की जेब में आप कैश कम रहता है और अधिकतर लोग अपने प्लास्टिक मनी पर विश्वास कर घर से निकल भी पड़ते हैं।

सरकारें करें प्रोत्साहित….

डिजिटल ट्रांजैक्शन के बढ़ावे को लेकर सरकारों को कुछ लाभ यूजर्स को देने होंगे… क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और स्वाइप मशीन पर आम जनता की राहत के मद्देनजर टैक्स में राहत देनी होगी ताकि व्यापारी करण में अधिक से अधिक ट्रांसपेरेंसी आए और अधिक से अधिक सरकार को टैक्स आ पाए।

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