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37 वर्षों तक बच्चों का भविष्य संवारने वाली शिक्षिका हुई सेवानिवृत्त…बोली शिक्षक ही मजबूत समाज के निर्माण कर्ता…

पढ़िए दिव्यांग होने के बावजूद कैसे पहुंची शिक्षा विभाग में उच्च पदों पर…

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Ashoka Times….

सभी के जीवन में शिक्षक का क्या महत्व है यह बताने की आवश्यकता नहीं है पांवटा साहिब की एक ऐसी ही शिक्षिका जिन्होंने 37 वर्षों तक बच्चों के भविष्य को कुछ इस तरह से गढ़ा कि आज उनके पढ़ाए बच्चे बुलंदियों पर नजर आते हैं।

37 वर्ष शिक्षा विभाग को सेवाएं देने के बाद आज परमजीत कौर रिटायर हुई हैं उनसे जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनकी सबसे बड़ी धरोहर वह बच्चे हैं जिन्हें उन्होंने पढ़ाया और आज वह समाज का बेहद मजबूत हिस्सा बनकर उसे सुदृढ़ कर रहे हैं।

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उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद मसूरी से उन्होंने एनटीटी पास की तथा वर्ष 1984 में डाइट नाहन से जेबीटी का प्रशिक्षण प्राप्त किया उसके बाद उन्होंने प्रथम नियुक्ति बतौर जेबीटी शिक्षा खंड पांवटा साहिब रा. प्रा. पाठशाला कोटड़ी ब्यास से शुरू की उसके बाद पूरूवाला, पांवटा साहिब इन सभी जगहों पर उन्होंने अपनी सेवाएं दी, 2002 में उन्होंने बतौर मुख्य शिक्षिका किशनपुरा में पदभार संभाला, 2006 में केंद्र मुख्य शिक्षिका के पद पर पदोन्नत होकर सुखचैन पुर में अपनी सेवाएं दी, 2010 और 2021 तक शिवपुर में अपनी सेवाएं प्रदान की, 2021 में वह प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (निरीक्षण) जिला सिरमौर के पद पर पदोन्नत हुए और 2022 में बतौर खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी पांवटा साहिब के पद पर अपना कर्तव्य निभाते हुए रिटायर हुए।

कभी साहस नहीं हारा…

उन्होंने बताया कि वह दिव्यांग होते हुए भी कभी खुद को कमजोर महसूस नहीं करती थी अपनी कमजोरी को कभी उन्होंने खुद पर हावी नहीं होने दिया बल्कि अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाकर उन्होंने शिक्षा विभाग में अपना एक मकान बनाया और आज उनके पढ़ाएं छोटे-छोटे बच्चे बड़े-बड़े पदों पर आसीन हैं।

उन्होंने बताया कि उनकी इस उड़ान में उनके पति जरनैल सिंह और उनकी बेटियों कवनीत कौर और इशमीत का बड़ा हाथ है उन्होंने बताया कि उनकी बेटी कवनीत कौर एमबीए करने के बाद पीएचडी कर रही हैं वही उनकी दूसरी बेटी इश्मीत कौर एल एल एम कर रही हैं तो वही क्रिमिनल लॉ में पीएचडी भी जारी है।

उन्होंने कहा कि जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए वह अभी सरकारी सेवाओं से जरूर मुक्त हुई है लेकिन समाज और परिवार के दायित्व से कभी मुक्त नहीं होंगी जब भी मौका मिलेगा अपने समाज के लिए कुछ करने का तो वह हमेशा तत्पर रहेंगी।

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