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Monday, June 30, 2025

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शुक्र करो ये आम लड़कियां नहीं हैं… वरना कहां गायब कर दिया जाता इसका भी पता ना चलता…

Ashoka Times…30 April 23 

सिर्फ देश में ही नहीं विदेशों में अपनी ताकत का डंका बजा चुकी पहलवानों पर जब आफत आई तो देश छोड़िए यहां की पुलिस भी उनके पक्ष में खड़ी नजर नहीं आई, यौन शोषण के आरोपों के बावजूद 3 महीने से भी ज्यादा समय एफ आई आर दर्ज करने में लग गई और वह भी सुप्रीम कोर्ट के दखल अंदाजी के बाद संभव हो पाया।

अब आप एक बार सोच कर देखिए कि क्या सत्ता में बैठे लोगों के खिलाफ मामले दर्ज करवाने आज भी मुश्किल और असंभव है, कि बड़ी से बड़ी आपराधिक घटना पर भी पुलिस सत्ताधीशों के सामने घुटने टेक कर बैठी नजर आए।

ये वही देश है, जहां निर्भया कांड की चिता की राख अब तक बुझी नहीं है। ये वही देश, जो अपनी एक बेटी के बलात्कार के बाद दर्दनाक मौत के दुख में पुलिस की लाठी खाने सड़कों पर उतरा था। जिसने संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की नींद हराम कर दी थी। जिसके बाद रेप कानून में बदलाव करते हुए उसे सख्त से सख्त बनाने की कोशिश की गई थी।

वैसे काफी सख्त हो गया है कानून इतना सख्त कि लड़कियों के आवाज उठाने पर पुलिस एफआईआर तक नहीं दर्ज करती। एक मामूली एफआईआर दर्ज करवाने के लिए देश की सर्वोच्च अदालत के सर्वोच्च जज को आदेश देना पड़ता है।

जाहिर है, भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर आरोप है, वह सत्ता का सगा है और सत्ता कभी अपनी बेटियों की, अपने देश की महिलाओं की सगी नहीं हुई। सत्ता सिर्फ सत्ता की सगी होती है। ताकत सिर्फ ताकत का गुलाम । पैसा सिर्फ पैसे का दोस्त।

यह न्याय, बराबरी की बातें, बेटियों को सम्मान देने, बेटियों को प्यार करने, बेटियों को बराबर समझने की बात करता है

बलात्कारी झोपड़पट्टी में रहने वाला कोई मामूली इंसान हो तो उसे फांसी पर चढ़ा देना आसान है, लेकिन दो मंजिला विशालकाय महलों जैसी कोठी में रहने वाला, ऑडी में चलने वाला, अरबों की संपदा का मालिक और सत्ता का करीबी हो तो उसके खिलाफ एफआईआर भी बड़ी मुश्किल से दर्ज होती है।

बलात्कारी झोपड़पट्टी में रहने वाला हो तो उसे फांसी पर चढ़ा देना आसान है, लेकिन सत्ता का करीबी हो तो उस पर FIR भी मुश्किल से होती है।

शुक्र मनाइए कि साक्षी मलिक, विनेश फोगाट जैसी महिलाएं खुद सफल रेसलर, देश के लिए मेडल लाने वाली, देश का नाम ऊंचा करने वाली महिलाएं हैं। कोई गुमनाम मामूली सी लड़की होती तो कब गायब हो जाती पता ही नहीं चलता। होटल की रिसेप्शनिस्ट होती तो जला दी जाती, तंदूर में झोंक दी जाती, मारकर मगरमच्छों को खिला दी जाती।

इस देश में इतनी कद्र और इतनी ही इज्जत है लड़कियों की। जब तक मुंह बंद रखे, चुपचाप ताकतवर मर्दों की ज्यादतियां सहती रहे तो सब ठीक है। जिस दिन वो सत्ता के खिलाफ, मर्दवाद के खिलाफ, मर्दों की ज्यादतियों के खिलाफ आवाज उठाना शुरू करती है, गले की फांस बन जाती है।

वो दुलारी बिटिया नहीं रहती । न देश की बेटी रहती है। फिर वो सिर्फ सत्तासीन मर्द के आंखों की किरकिरी बन जाती है। सिर्फ मर्द के ही नहीं, घर, परिवार, समाज, देश सबके आंखों की किरकिरी बन जाती है।

ऐसी लड़कियां मुंह खोलकर देश का नाम खराब करती हैं। पता है, लैरी नसार का सच उजाकर करने वाली लड़कियों को उस देश के बहुत सारे लोगों और एफबीआई वालों ने क्या कहा था। उन्होंने कहा कि तुम झूठ बोल रही हो और महान अमेरिका का नाम खराब कर रही हो ।

हमारा देश महान है और इस देश में इस तरह की हरकतें

देश का नाम खराब कर रही हैं, सरेबाजार मर्द की इज्जत उछाल रही हैं और मर्द बेचारा बना भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में झूठ बोल रहा है। सियासी दांव-पेंच खेल रहा है, इसे कांग्रेस की साजिश बता रहा है।

सोशल मीडिया पर एक वर्ग आरोपी के लिए न्याय की गुहार लगा रहा है। नेताजी की महानता और देश सेवा का राग अलापा जा रहा है।

सिर्फ नेता नहीं, जनता क्या बोल रही है, ये जानना चाहते हैं तो कुछ घंटे सोशल मीडिया पर बिता आइए। जितनी आवाजें उन लड़कियों के लिए न्याय मांग रही हैं, उससे कहीं ज्यादा आवाजें एक अपराधी के लिए न्याय की गुहार लगा रही हैं। नेताजी के जयकारे हो रहे हैं, नेताजी की महानता और देश सेवा का राग अलापा जा रहा है।

और ये सब देखते हुए आप शर्म से गड़ जाना चाहते हैं। आपके सीने में इस कदर दर्द होता है, मानो किसी ने बड़ा से पहाड़ उठाकर सीधे छाती पर पटक दिया हो। ये सारी आवाजें एक झटके में बेमानी हो सकती थीं, अगर सरकार और समाज उन लड़कियों के साथ होता। अगर उनकी बात सुनी जाती, उन्हें न्याय मिलता।

लेकिन हम तो ऐसे समाज के हिस्से हैं, जो या तो शुतुरमुर्ग की तरह आंखें बंद करके बैठा रहता है, या मुंह खोलता है तो सीधे लड़कियों से ही सवाल पूछने लगता है। उनके ही चरित्र पर उंगली उठाने लगता है। रावण को जेल में नहीं डालता, सीता को उसकी लक्ष्मण रेखा याद दिलाने लगता है। छेड़खानी हो तो लड़कियों के ही कपड़ों की इंक्वायरी करने लगता है।

और अंत में पाक साफ छूटकर महानता का तमगा भी अपने ही माथे पर लगाकर घूमता है।आभार दै.भा….

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