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पोक्सो एक्ट के तहत सांसद बाहर लैक्चरर अंदर…कहां है एक देश एक संविधान…

Ashoka Times…10 may 23 

भारत का संविधान कहता है कि चाहे सांसद हो या आम आदमी कानून सबके लिए एक जैसा है लेकिन आजकल देश संविधान से कम और राजनीति से ज्यादा दौड़ रहा है।

दरअसल दिल्ली में रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और बाहुबली सांसद पर नाबालिक पहलवान से यौन शोषण पोक्सो के तहत मामला दर्ज हुआ है लेकिन पिछले 2 सप्ताह से भाजपा सांसद को पुलिस छू भी नहीं पाई है केवल जांच चल रही है। जबकि इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहलवानों की ओर से Fir दर्ज करने के आदेश जारी किए थे।

वहीं दूसरी ओर एक जैसी धाराओं यानी पोक्सो एक्ट के चलते हिमाचल प्रदेश जिला सिरमौर के पांवटा साहिब में 11वीं 12वीं स्कूली छात्राओं के साथ यौन शोषण करने वाले आरोपी लेक्चरर पर भी पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया जिसके बाद पुलिस ने 24 घंटे में आरोपी लेक्चरर को गिरफ्तार कर लिया है। हिमाचल प्रदेश पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि पोक्सो एक्ट के तहत 24 घंटे में आरोपी को गिरफ्तार किया जाना चाहिए।

सिर्फ इतना ही नहीं हिमाचल पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर न्यायालय से 3 दिन का रिमांड भी लिया जा चुका है है। तो वही जंतर-मंतर पर 3 महीने से यौन शोषण के आरोप महिला पहलवान लगा रही हैं लेकिन वहां कानून बिल्कुल उल्टी चाल चल रहा है वहां भाजपा सांसद पर सुप्रीम कोर्ट आदेशों के बाद मामला तो दर्ज हुआ लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई। यानी देश के संविधान के तहत दोनों यौन शोषण पोक्सो एक्ट के आरोपियों पर एक जैसी धाराएं हैं लेकिन एक में गिरफ्तारी और एक में जांच, संविधान के कानून का मतलब ही बदल देती है।

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प्रश्न यह उठता है कि संविधान और देश के कानून में एक जैसी धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज होते हैं लेकिन एक सांसद है इसलिए जांच पहले की जा रही है और एक अध्यापक है उसे गिरफ्तार करने के बाद जांच शुरू की गई है दोनों में जमीन आसमान का फर्क है हमारा मकसद किसी को झूठा साबित करना नहीं है केवल देश में एक ही धाराओं के तहत मामले दर्ज होने के बाद हिमाचल पुलिस और दिल्ली पुलिस दोनों के ही कार्य करने की प्रणाली में जमीन आसमान का फर्क नज़र आ रहा है हिमाचल पुलिस ने मामला दर्ज कर नाबालिक के बयान दर्ज किए और आरोपी अध्यापक को गिरफ्तार कर लिया है

तो वहीं दूसरी ओर भाजपा के बाहुबली सांसद और रैस्लिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ब्रिज भूषण शरण को अब तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है।

जिस तरह हिमाचल प्रदेश की बच्चियों को तुरंत न्याय मिलने की ओर कदम उठाया गया है ठीक उसी तरह देश का मान सम्मान बढ़ाने वाली पहलवान बेटियों के लिए भी दिल्ली पुलिस को तुरंत पहले गिरफ्तारी करनी चाहिए थी और फिर जांच ताकि सांसद महोदय जांच में किसी तरह की कोई बाधा उत्पन्न ना कर पाएं।

तभी हम क्या पाएंगे कि देश में एक संविधान है एक विधान है और पुलिस की कार्यप्रणाली भी सबके लिए एक जैसी है।

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