क्या आपका बच्चा मन की बात करने से डरता है…बच्चों की मेंटल हेल्थ जानने के लिए ये लेख जरूर पढ़ें …
Must read this article to know about the mental health of children…

Ashoka Times…1 April
भारतीय माता-पिता अक्सर बच्चों पर छुपे हुए प्यार से लबरेज दबाव बनाते रहते हैं वह कभी जान ही नहीं पाते कि उनके बच्चे को किस तरह के व्यवहार की आवश्यकता है।
ये बड़ी चिंता का विषय है कि मां बाप अक्सर बच्चों से अपने मन की बात नहीं कर पाते कॉलेज तक जाते जाते बच्चे अक्सर अपने मां बाप से काफी दूर निकल जाते हैं। मां बाप के साथ बच्चों की वैसी बॉन्डिंग नहीं रह पाती जो कि कॉलेज स्टूडेंट अपने दोस्तों के साथ महसूस करते हैं।

चाइल्ड साइकोलॉजी की कुछ खास बातें हम आपसे शेयर करना चाहते हैं ताकि यह समझ आ पाए कि बच्चा किस स्थिति और अनुभव से गुजर रहा है। 7 से 16 साल के बच्चों के लिए यह लेख विशेष तौर पर लिखा जा रहा है।
(This article is being specially written for the children of 7 to 16 years.)
मां बाप के बच्चों को अक्सर छोटी-छोटी बातों पर डांट दिया करते हैं या अपनी बात को सही साबित करने के लिए उन पर डांट फटकार लगाते हैं ऐसे बच्चों के मन में एक डर पैदा हो जाता है ऐसे कठोर बर्ताव के कारण बच्चे के मन पर बुरा असर पड़ता है।
डरे हुए बच्चे के ये है लक्षण….
These are the signs of a scared child….
Unicef.org की एक रिपोर्ट बताती है कि 7 साल की उम्र से लेकर 16 साल की उम्र तक अधिक दबाव झेलने वाले बच्चों के लक्षण अक्सर बदल जाते हैं। एक जानकारी के अनुसार मां बाप द्वारा बरते जा रहे व्यवहार से उनकी मानसिक स्थिति में बदलाव होता है।
1. बच्चा छोटी-छोटी बात पर डरने लगता है।
2. बच्चा आपकी आंख के इशारे से और आपकी आवाज से भय खाने लगेगा या वो सहम जाएगा। यह भी संभव है कि उसका डर निकल जाए और वह उल्टा आपको आंखें दिखाए
3. बच्चा या तो बहुत एक्टिव हो जाएगा या फिर एकदम सुस्त।
4. यह भी कुछ लक्षण है कि बच्चा उदास रहने लगेगा अकेले में रो सकता है या हंसना कम कर देगा।
5. खाने-पीने का पैटर्न बदल जाएगा।
एडल्ट रोल निभाने लगेगा और बचपना कम हो जाएगा।
6. खेलना-कूदना कम हो जाएगा।
आपकी बातों का असर या तो बहुत ज्यादा होगा या फिर बिल्कुल नहीं।
7. अग्रेशन बहुत बढ़ने लगेगा।
एकाग्रता में काफी कमी महसूस होगी।
कुछ मामलों में सेल्फ डिस्ट्रक्टिव व्यवहार भी हो सकता है।
8. आपसे कुछ भी पूछने से बच्चा डरेगा।
How to remove fear from children’s mind…3 idiot में एक सीन था जिसमें एक डायलॉग था ‘अब्बा नहीं मानेंगे’ वाला डर बच्चों के मन से कैसे दूर किया जाए ?
1. बच्चों के साथ खुशनुमा माहौल बनाइए अगर वह आपसे कुछ परमिशन मांगना चाहे तो उनके अंदर किसी तरह का कोई भय नहीं होना चाहिए। अगर बच्चे के अंदर आपसे कोई भी परमिशन लेने के लिए झिझक है तो कहीं ना कहीं आपको अपना व्यापार सुधारना होगा।
2. 7 साल से लेकर 15 साल के बच्चे के साथ दोस्ताना व्यवहार कीजिए दिन में 10 में से 8 गलतियों को नजरअंदाज या उन पर सीधे बात करने की आदत डालिए डांटने की वजह बच्चे ने जो गलत काम किया है उस पर चर्चा करें।
3. अगर अचानक आपकी डांट से बच्चा सहम गया है तो तुरंत उसे गले से लगाए और उसके कान में प्यार से कहें कि आपने यह गलती की है यह छोटी-छोटी सी बातें हैं मगर बच्चों के दिमाग और दिल पर गहरी छाप छोड़ती है।
signs a child is scared of a parent
क्या आपका बच्चा आपसे डरता है?
यह चिंता का विषय होना चाहिए कि आपके भविष्य यानी आपके बच्चे पर मानसिक दबाव गलत असर डाल रहा है मन की बात करते हुए भी अगर बच्चा डरे तो यह स्थिति आप को सुधारनी होगी ऐसी स्थिति बच्चे के मन पर और उसकी ग्रोथ पर असर डालती है। इसके साथ ही आपके बच्चे की बॉन्डिंग भी आपके साथ कमजोर पड़ सकती है।
दुनिया के बेहतरीन ऐम्स मेडिकल साइंस के सीनियर चाइल्ड और क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और हैप्पीनेस स्टूडियो की फाउंडर ने कुछ खास बातें सोशल मीडिया पर शेयर की है
उनका मानना है कि बच्चों को अक्सर मां-बाप छोटी बातों के लिए डांट देते हैं उनसे बातें छुपाने के लिए भी डांट फटकार लगाते हैं या उन्हें क्लियर संकेत नहीं दे पाते यानी बच्चे यह नहीं समझ पाते कि उन्हें किस गलत बात पर डांटा गया है जिसके कारण बच्चों में डर पैदा होता है। बच्चों की ग्रोथ के लिए सबसे जरूरी होती है छोटी छोटी गलती उन पर बच्चा डर की वजह से काबू पाना चाहता है और यहीं से शुरू होती है मानसिक दबाव की कहानी।
हालांकि कभी-कभी बच्चों को डांटना ठीक भी होता है लेकिन पूरे दिन में 20 गलतियों में अगर आप 4 गलतियों पर हल्की फटकार लगाते हैं तो कोई बड़ी बात नहीं लेकिन अगर आप 20 गलतियों में से 15 पर बच्चों को ऊंची आवाज़ में डांट लगाते हैं तो यह मानसिक रूप से काफी असर बच्चे पर डालता है।
How to improve bonding with kids…
बच्चों के साथ बॉन्डिंग कैसे बेहतर करें…
हम भारतीय पेरेंट्स की बात करेंगे जो बच्चों को अक्सर कंट्रोल करने की कोशिश करते रहते हैं किसी ट्रिप पर जाना हो या दसवीं के बाद मनचाहा सब्जेक्ट बच्चे को लेना हो अपनी पसंद के कपड़े पहनने हों या स्कूल में किन बच्चों के साथ दोस्ती रखनी है किन के साथ नहीं सिर्फ इतना ही नहीं बड़े होने पर अपनी पसंद की शादी करनी हो तो भी पेरेंट्स डांट फटकार और दखलअंदाजी करते नजर आते हैं हालांकि भारतीय पेरेंट्स को यह सब चीजें विरासत में मिली हैं लेकिन पेरेंट्स को अपने बच्चों को 7 वर्ष से लेकर 16 वर्ष तक छोटी मोटी गलती करने देनी चाहिए ताकि उन्हें गलतियों का एहसास हो और वह भविष्य में इस तरह की गलतियों को एग्जांपल के तौर पर अपने साथ रखें ।
सबसे मजबूत चीज आपकी बच्चे के साथ बॉन्डिंग है और इसके लिए आप हमेशा बच्चे के साथ गलतियों पर बातचीत कर सकते हैं अगर बच्चा उस वक्त गलती के बारे में कुछ सुनने के लिए तैयार नहीं है तो कुछ भी विषय बदलकर बच्चे को उसकी गलती का एहसास करवाएं क्योंकि गलतियों का एहसास वह भी प्यार से आपकी बॉन्डिंग को बढ़ा सकता है।
मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट….
वैसे तो भारत में साइकोलॉजिस्ट/साइकिएट्रिस्ट जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते ही लोग पागल की संज्ञा दे देते हैं लेकिन ऐसा नहीं होता अगर आपके बच्चे में ऊपर लिखे गंभीर लक्षण हैं तो आप इन डॉक्टर्स से संपर्क कर सकते हैं मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट कई तरह की एक्सरसाइज से बच्चे के मन को टटोल सकते हैं हालांकि हमारा मानना है कि अगर मां बाप अपने बिहेवियर में चेंज (behaviour change) लाएं तो काफी हद तक बच्चों को दोबारा उस स्थिति में लाया जा सकता है जो एक हेल्दी बच्चे की मानसिकता होती है।
सलाह….
बच्चे पर हाथ उठाना और सबके सामने उसे किसी भी बात के लिए डांट देना कोई हल नहीं होता। पेरेंटिंग के स्टाइल में बदलाव लाने से आपके बच्चे की मेंटल और फिजिकल ग्रोथ और अच्छी हो सकती है।
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