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Nanz Med Science… खुले में फेंक रही रासायनिक और खतरनाक पानी…

जल स्रोतों को कर रही दूषित, प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी चीर निद्रा में….

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Ashoka Times…6 april 2025

आपने कहावत तो सुनी होगी मुंह में राम बगल में छूरा, नंज कंपनी द्वारा लगातार यमुना क्षेत्र में खतरनाक और रसायन युक्त अपशिष्ट खुले में फैंका जा रहा है। जिसके कारण प्राकृतिक जल निकायों में जहर घुल रहा है।

नंज फार्मा कंपनी साल में एक दो बार सामाजिक काम करती है जिसमें स्कूली बच्चों की मदद करके अपने आप को सामाजिक आवरण से ढक लेती है लेकिन हकीकत में मुंह में राम बगल में छुरी कहावत नंज कंपनी पर पूरी तरह से सटीक बैठती है। एक दो सामाजिक कार्य के बदले कंपनी रासायनिक अपशिष्ट ठिकाने लगाने के लिए यमुना तट का इस्तेमाल कर रही है । जिसके कारण न केवल जमीन बंजर हो रही है बल्कि यह अपशिष्ट जमीन के नीचे पानी को भी दूषित कर रहा है।

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इस बारे में मेंबर सैक्रेटरी प्रदूषण विभाग अधिकारी हिमाचल प्रदेश को शिकायत भी की गई है। यह शिकायत पांवटा साहिब के अधिवक्ता आसिफ अली द्वारा की गई है उन्होंने इस बारे में बताया कि मैसर्स नंज मेड-साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड, गांव बरोटीवाल-रामपुर घाट, तहसील पांवटा साहिब के औद्योगिक क्षेत्र में स्थित है और उनकी कंपनी में सहयोगी ठेकेदार अनिल कुमार द्वारा पर्यावरण मापदंडों और प्रदूषण नियंत्रण कानूनों का गंभीर तौर पर निरंतर उल्लंघन किया जा रहा है।

दवा निर्माण इकाई मेसर्स नंज़ मेड-साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड, अपने उत्पादन प्रक्रियाओं से उत्पन्न अनुपचारित खतरनाक और रसायन युक्त अपशिष्ट जल को अवैध रूप से सीधे प्राकृतिक जल निकायों में, जिसमें खुले नाले और अंततः यमुना नदी शामिल है, बहा रही है, जिससे कई पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन हो रहा है और जलीय जीवन, मिट्टी की गुणवत्ता और भूजल को अपूरणीय क्षति हो रही है। अनिल कुमार, जो उक्त कंपनी द्वारा अपशिष्ट प्रबंधन और निपटान के लिए ठेकेदार के रूप में कार्यरत हैं, हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचपीएसपीसीबी) से किसी भी वैज्ञानिक उपचार या अपेक्षित अनुमति के बिना, अपने ट्रैक्टर और टैंकर के माध्यम से पर्यावरण में विषाक्त अपशिष्ट जल के अनधिकृत परिवहन और अवैध निर्वहन में प्रत्यक्ष और सक्रिय रूप से शामिल हैं।

इस तरह के अवैध कृत्य न केवल उत्तर भारत की प्रमुख नदियों में से एक यमुना नदी को प्रदूषित कर रहे हैं, बल्कि आसपास के भूजल स्रोतों, कृषि क्षेत्रों को भी प्रदूषित कर रहे हैं, तथा स्थानीय आबादी के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर रहे हैं, जो घरेलू और कृषि उद्देश्यों के लिए ऐसे पानी पर निर्भर हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यह अवैध गतिविधि क्षेत्र की अन्य औद्योगिक इकाइयों की मिलीभगत से की जा रही है। ऐसा लगता है कि अनिल ठेकेदार द्वारा आसपास के जितने भी कंपनियों से खतरनाक अपशिष्ट उठा रहा है वह खुले में डाल रहा है और कपनियां अनिल कुमार के कधे पर इस खतरनाक अपशिष्ट को ठिकाने लगा रही हैं।

बता दें कि कुछ रोज पहले ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पांवटा साहिब कार्यालय में जिला पुलिस अधिकारी द्वारा रेड की गई थी कहा जाता है कि कंपनियों को खुलेआम प्रदूषण फैलाने की छूट देने के नाम पर जो उगाही की जाती है उसको लेकर पुलिस ने रेड की थी लेकिन पुलिस के ही किसी गुप्त सूत्र द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अधिकारियों को गुप्त सूचना दी गई जिसके कारण वह बच गए । ऐसे आरोप कोई पहली बार नहीं लगे हैं आईआईएम में भी पिछले दो वर्षों से लगातार सिवरेज का गंदा पानी खुली नदी में डाला जा रहा है शिकायत के बाद आज भी उस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। बताया जाता है कि दिल्ली के बड़े ठेकेदार आईआईएम द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अधिकारी पांवटा साहिब को कैसे कार्रवाई से रोका गया इसका आज भी कोई जवाब नहीं है।

कुल मिलाकर सामाजिक कामों का नकाब ओढ़े नंज कंपनी यमुना और जमीनी जल स्रोतों को जिस तरह से प्रदूषित कर रही है वह बेहद शर्मनाक है।

वही इस बारे में कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर मनमीत सिंह से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह इस वक्त डिनर कर रहे हैं और कल ही इस बारे में कुछ बता पाएंगे।

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