2010 में भी की गई थी ऐसी पहल… सरकार कर रही मंथन…!
Ashoka Times….27 फरवरी 2025
हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर नगर परिषद के चेयरमैन और वाइस-चेयरमैन के पदों के लिए डायरेक्ट इलेक्शन करवाए जा सकते हैं। यानी ऐसा संभव है कि चुने हुए पार्षद नहीं बल्कि सीधे जनता अपना चेयरमैन वाइस चेयरमैन चुन सकती है। इससे पहले यह 2010 में फंडा अपनाया गया था।
हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर सरकार चेयरमैन और वाइस चेयरमैन के डायरेक्ट इलेक्शन पर विचार कर रही है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं की नगर निगम और नगर परिषद में सीधे चेयरमैन और वाइस चेयरमैन चुनने का मौका जनता को दिया जा सकता है। इससे पहले यह 2010 की सरकार के दौरान भी किया गया था। वहीं इस बार कांग्रेस सरकार में भी इस तरह की पहल को लेकर जबरदस्त मंथन किया जा रहा है। सूत्र बता रहे हैं कि इस विषय पर गहन चिंतन सरकार कर रही है।
बता दें कि बहुत जल्द प्रदेश के अर्बन इलाकों में पार्षदों के इलेक्शन होने वाले हैं ऐसे में सरकार डायरेक्ट इलेक्शन पर नफा-नुकसान पर विचार कर रही है। चेयरमैन और वाइस चेयरमैन के डायरेक्ट इलेक्शन करवाने से क्या लाभ और हानि हो सकते हैं इसका जमा घटाव किया जा रहा है। इससे पहले चुने गए पार्षद अपनी वोटिंग से चेयरमैन और वाइस चेयरमैन का चुनाव करते थे। जिसके कारण अक्सर चेयरमैन और वाइस चेयरमैन पर पार्षदों का दबाव बना रहता था। कितना ही नहीं सरकारों के बदलते ही नगर परिषद और नगर निगम में सत्ता परिवर्तन का भाई भी हमेशा बना रहता है। जिसके कारण विकास बाधित होने की संभावना रहती है। हालांकि ऐसी भी धारणा है कि अगर जनता सीधे चेयरमैन और वाइस चेयरमैन चुन लेती है तो विकास कार्यों में मनमानी भी बढ़ जाती है।
वहीं दूसरी और राजनीतिक दलों में भी हलचल है। कईं धुरंधर नेता जनता द्वारा चुने जाने की बात सामने आने के बाद सक्रिय हो गए हैं और चुनाव में उतरने के लिए तैयारी भी शुरू कर दी है। हालांकि अभी यह तय नहीं हुआ है कि इस बार नगर निगम और नगर परिषद में होने वाले चुनाव के दौरान जनता सीधे चेयरमैन वाइस -चेयरमैन को चुनेगी या नहीं इसका आखिरी निर्णय सरकार ही कर पाएगी।
अगर सरकार डायरेक्ट इलेक्शन की घोषणा करती है तो कांग्रेस और बीजेपी से नाराज नेता सीधे तौर पर इलेक्शन में छलांग लगा सकते हैं जिसके कारण भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही नुकसान उठाना पड़ सकता है।