कुछ वकील भी गोरख धंधे में सक्रिय…क्या बोले SDM…
Ashoka Times….10 may 2024
पांवटा साहिब में जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA) के नाम पर भूमि खरीद फरोख्त का बड़ा कारोबार चल रहा है जिसके कारण हिमाचल प्रदेश की जमीन पर बाहरी राज्यों के भू-माफिया के पैर मजबूत हो रहे हैं।
पांवटा साहिब इस वक्त भू माफिया के निशाने पर क्योंकि पांवटा सहिब एक ऐसा क्षेत्र है जो देहरादून, हरिद्वार चंडीगढ़ और नेशनल हाईवे से घिरा है जिसके कारण यहां की लोकेशन और जमीनों के रेट बेहद हाई हो चले हैं। वहीं दूसरी और हरियाणा पंजाब दिल्ली के बड़े भू माफिया की नजर पांवटा साहिब की बेसकीमती जमीनों पर टिकी हुई है। ऐसे में आरोप लग रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश की जमीनों को जीपीए के माध्यम से खरीद-फरोख्त धंधा चल रहा है। यहां के कमजोर जमीन मालिकों से जीपीए के माध्यम से जमीन लेकर उन पर 2 बीएचके 3 बीएचके फ्लैट बनाकर बेचे जा रहे हैं और उनकी बाकायदा रजिस्ट्रियां भी करवाई जा रही है। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है यह जांच का विषय है।
नाम न छापने की शर्त पर राजस्व विभाग के कर्मचारी और कईं वकीलों ने बताया कि पांवटा साहिब में जीपीए के नाम पर बड़ा जमीनी गोरख धंधा चला हुआ है इस पूरे गोलमाल धंधे में शहर के कई नामी वकील भी भू माफिया के साथ मिलकर बड़ा कारोबार चला रहे हैं सिर्फ इतना ही नहीं राजस्व विभाग के कई अधिकारी भी इस पूरे भू माफिया खेल में सम्मिलित हैं।
एक जानकारी के अनुसार बुधवार के दिन जिस वक्त बाहरी राज्य से आए कुछ लोग पांवटा तहसील में जमीनों की खरीद फरीद को लेकर एक जीपीए तैयार करवा रहे थे । उसी वक्त कुछ मीडिया कर्मचारी मौके पर पहुंच गए जिनको देखकर न केवल स्थानीय वकील सिर पर पैर रखकर भाग खड़े हुए बल्कि उन्होंने तुरंत बाहरी राज्य से आए भू माफिया को भी चौकन्ना कर दिया। इस दौरान सामने आया कि करीब 5:00 बजे तहसील अधिकारी भी मीडिया कर्मचारियों को देखकर वहां से चंपत हो गए।
बता दें की पांवटा साहिब और माजरा तहसील में इतनी अधिक जीपीए बन रही हैं कि रजिस्ट्री करवाने के लिए आ रहे लोगों को स्लाॅट तक नहीं मिल पा रहा है 15-15 दिनों तक है स्लॉट नहीं मिल पाता है वही जब कुछ वकील और लोगों ने इस बारे में अधिकारियों से पूछा तो बताया गया कि पहले से ही GPA के लिए स्लॉट बुक है । यह स्लॉट जीपीए के लिए अधिकारियों के सांठ गांठ कर बुक किए जा रहे थे।
वही जब इस बारे में एसडीएम गुंजित चीमा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि दरअसल माजरा तहसील में वह जांच के लिए गए थे शिकायतें मिल रही थी कि जीपीए के कारण जमीनी रजिस्ट्री के स्लॉट बुक नहीं हो पा रहे थे। उन्होंने बताया कि वैसे जीपीए हिमाचल प्रदेश में प्रतिबंधित नहीं है लेकिन फिर भी इसके पीछे की मंशा को देखकर अधिकारियों को काम करना चाहिए उन्होंने कहा कि जांच उपरांत हाई अथॉरिटी को इस बारे में लिखा गया है।