केंद्र तक पहुंचाने में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और बलदेव की रही अहम भूमिका…
Ashoka Times…
जिला सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र में हाटी समूदाय को आखिर जनजातीय क्षेत्र का संवैधानिक दर्जा मिल गया है जिसके बाद गिरीपार क्षेत्र में खुशी की लहर है।
जिला सिरमौर के शिलाई क्षेत्र के साथ-साथ श्री रेणुका जी, नाहन पांवटा साहिब और पच्छाद के कुछ हिस्से भी इसमें शामिल हैं । इस क्षेत्र को जनजातीय दर्जे की स्वीकृति दिलाने के लिए विशेष तौर पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बलदेव तोमर और केंद्र सरकार में अमित शाह द्वारा जोरदार पैरवी की गई। वहीं गिरी पार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा दिए जाने पर लाखों लोग इसका लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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गिरीपार क्षेत्र के हाटी समूदाय को जनजातीय दर्जा दिए जाने के बाद प्रेस वार्ता के दौरान अमीचंद, ओपी चौहान, रणसिंह, अतर सिंह नेगी और उनके साथ पहुंचे अन्य लोगों ने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट से जनजातीय दर्जा दिया जा चुका है जिससे जिला सिरमौर का एक बड़ा भूखंड आदिवासी समाज बाहुल क्षेत्र घोषित किया गया है।
बता दें कि जनजातीय दर्जे को लेकर पिछले 55 वर्षों से लड़ाई लड़ी जा रही थी लेकिन हर बार क्षेत्र में सड़क निर्माण पक्के मकान अच्छी शिक्षा स्वास्थ्य हर तरह की सुविधाओं को लेकर आदिवासी क्षेत्र घोषित किया जाना सरकारों के लिए काफी कठिन मुद्दा बना हुआ था लेकिन 2022 में प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पूर्व में विधायक रहे शिलाई बलदेव तोमर और अमित शाह द्वारा इस मुद्दे को अलग से सुना गया और 3 लाख के करीब लोगों को लाभान्वित करने के लिए ऐडीचोटी का ज़ोर लगा दिया।
कुछ नाराज़ भी है…
वहीं दूसरी ओर इस पूरे इलाके में 40% अनुसूचित जनजाति के लोगों में अविश्वास और भय को पूरी से दरकिनार कर दिया गया है आपको बता दें कि दावा किया जाता है जिला सिरमौर शिलाई क्षेत्र में 40% से अधिक अनुसूचित जनजाति के लोग बसते हैं जो पिछले कई महीनों से अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे हैं उनकी मांग थी कि जनजातीय दर्जा दिए जाने से पहले उनके कानूनी हक सुरक्षित किए जाएं लेकिन प्रदेश सरकार आने वाले विधानसभा चुनावों और राजपूत और ठाकुर वोट बैंक के दबाव के सामने अनुसूचित जनजाति के लोगों को पूरी तरह से भुला दिया गया।
वही संभावना है कि जिला सिरमौर में जहां एक और ठाकुर राजपूत कांग्रेस और बीजेपी में बंटे हैं वहीं अनुसूचित जनजाति के लोग अगर एकजुट हो गए तो सत्ता परिवर्तन तय है।
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