पढ़िए एक बार फिर क्यों नाराज़ हैं किसान
Ashoka Times…
किसान यूनियन के अध्यक्ष जसविंदर सिंह बोले आजाद भारत के इतिहास में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार लिखित में किसानों को आश्वासन देकर मुकर गई है 1 वर्ष बाद भी उनके द्वारा किए गए वायदे पूरे नहीं किए गए
उन्होंने कहा कि 26 नवंबर को दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों द्वारा एक बड़ा आंदोलन शुरू किया गया था। किसानों की मुख्य मांगों में तीन काले कृषि कानूनों की वापसी, सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी आदि शामिल थे।
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यह आंदोलन 13 महीने तक जारी रहा और इस दौरान 750 से अधिक किसानों की शहादत भी हुई। इसके उपरांत 19 नवंबर 2021 को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इन तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की गई। तत्पश्चात 9 दिसंबर 2021 को केंद्र सरकार द्वारा एक समझौते की चिट्ठी संयुक्त किसान मोर्चा को भेजी गई जिसमें किसानों की मुख्य मांगे मानने का लिखित आश्वासन दिया गया और इस लिखित पत्र और सरकार के ठोस आश्वासन के बाद दिल्ली के सभी मोर्चा से किसान आंदोलन का स्थगन किया गया।
बहुत दुख की बात है कि एक वर्ष बीत जाने के बाद भी इस समझौते की चिट्ठी में लिखी गए किसी भी वायदे को पूरा नहीं किया गया। जिसमें एमएसपी पर संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों को लेकर एक निष्पक्ष कमेटी का गठन, बिजली संशोधन विधेयक 2019 को लागू ना करना और देश के सभी राज्यों या सरकारी संस्थानों द्वारा किसानों के विरुद्ध दर्ज किए गए मुकदमों को वापस लेना आदि शामिल थे।
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में एक निर्वाचित सरकार द्वारा लिखित में किए गए वायदे से पीछे हटना आजाद भारत के इतिहास में यह पहला उदाहरण है।
अतः SDM पांवटा साहिब के माध्यम से संयुक्त किसान मोर्चा देश के महामहिम से भारतीय किसान यूनियन हिमाचल प्रदेश यह मांग करता है कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द किसानों के साथ किए गए अपने वादों को पूरा करें तथा भारत जो कृषि प्रधान देश है उसमें किसानों की बेहतरी के लिए नीति और नियत को लेकर सरकार आगे बढ़े।
संयुक्त किसान मोर्चा हिमाचल प्रदेश एवम भारतीय किसान यूनियन हिमाचल भुपिंद्र सिंह, अर्जुन सिंह, प्रीतमोहन, प्रदीप सिंह, सज्जन सिंह, गुरनाम सिंह आदि उपस्थित रहे।