पुलिस कर रही चक्रव्यूह तोड़ने का प्रयास…
ASHOKA TIMES…27 July 2025
हिमाचल प्रदेश में चिट्टे का काला कारोबार डार्क वेब यानी इंटरनेट की अंधेरी दुनिया से चलाया जा रहा है। चिट्टा तस्कर उच्च तकनीक का इस्तेमाल करते हुए नशे के नेटवर्क को चला रहे हैं।
इस पूरे मामले का खुलासा अंतरराज्यीय चिट्टा तस्कर संदीप शाह और शाही महात्मा गिरोह के अलावा जिला शिमला में ऐसे करीब 50 मामले सामने आने के बाद हो रहा है, जिसमें की सरगना द्वारा डार्क वेब व वर्चुअल नंबर का इस्तेमाल करके चिट्टा तस्करी का अवैध कारोबार चलाया जा है। इसमें गिरोह खरीदारों को लोकेशन बेस्ड डिलीवरी उपलब्ध करवाते हैं। यही नहीं ऐसे मामलों के तार विदेशों से भी जुड़ रहे हैं। इसको लेकर भी पुलिस और खुफिया एजेंसियां जांच कर रही है।
चिट्टा तस्करी के मामलों की जांच में सामने आया है कि तस्करी के बड़े सरगना वर्चुअल नंबरों का ही इस्तेमाल करते हैं। इसमें पंजाब, दिल्ली समेत दूसरे राज्यों में बैठे मुख्य सप्लायर शामिल हैं, जोकि देशभर में नशा तस्करी के अवैध कारोबार को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे लोग प्रदेश के नशे के आदी युवाओं और बेरोजगारों को चिट्टा की पैडलिंग के लिए इस्तेमाल करते हैं। पुलिस के मुताबिक तस्करों के अपराध का तरीका बदलने के साथ ही अब पुलिस के भी जांच के तरीके बदल रहे हैं। पारंपरिक तौर पर पुलिस अब पहले ही तरह इस तरह के मामलों को सुलझाने की जगह साइबर विशेषज्ञों की मदद ले रही है। इसमें शिमला पुलिस को काफी हद तक कामयाबी भी मिली है और उन्होंने ऐसे कई अंतरराज्यीय गिरोहों का भंडाफोड़ किया है, जोकि डार्क वेब यानि इंटरनेट और वर्चुअल नंबरों के जरिये नशा तस्करी का नेटवर्क चला रहे थे।
वर्चुअल नंबर जिन्हें अक्सर वीओआईपी (वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल) नंबर या वर्चुअल फोन नंबर कहा जाता है। ये नंबर इंटरनेट पर काम करते हैं, जिससे उपयोगकर्ता स्मार्टफोन, टैबलेट या कंप्यूटर जैसे विभिन्न उपकरणों के माध्यम से कॉल कर और प्राप्त कर सकते हैं। जब वर्चुअल नंबर का इस्तेमाल करके कॉल की जाती है , तो डाटा पैकेट में बदलकर इंटरनेट पर प्रसारित किया जाता है। इस डिजिटल ट्रांसमिशन के कारण कॉल करने वाले का सटीक स्थान पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
चिट्टा तस्करी में अब तस्कर वर्चुअल नंबरों का इस्तेमाल कर रहे हैं। शिमला पुलिस ने इस मॉडल का भंडाफोड़ करते हुए संदीप शाह, शाही महात्मा समेत 50 से अधिक मामलों को सुलझाने में मदद हासिल की है। डार्क वेब पर अपराधी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं। यह नंबर विदेशों के होते हैं। ऐसे नंबरों की केवाईसी नहीं हो पाती, ऐसे में इन्हें उपयोग करने वालों को पकड़ना मुश्किल होता है। नशा तस्करों के हर मॉड्यूल को तोड़ने के लिए पुलिस प्रयास कर रही है। SP Sanjeev Gandhi… Shimla…