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दवा नियंत्रक विभाग के संरक्षण में चल रहा नशे का कारोबार….?

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राजनीतिक संरक्षण भी बराबर का जिम्मेदार… पढ़ाई कैसे चलता है कारोबार

Ashoka Times….26 August 2024

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दवा उद्योग में दवा सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने में ड्रग इंस्पेक्टर सहित विभाग के उच्च अधिकारियों का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वे विनिर्माण से लेकर बिक्री के चरण तक सामान्य उपयोग के लिए दवाओं का ऑडिट और निरीक्षण करते हैं व किसी भी फार्मा कंपनी में विजिट कर निरिक्षण कर सकते हैं। बावजूद इसके फार्मा कंपनियां बड़े स्तर पर खांसी की दवा के नाम पर नशे का कारोबार चला रही है।

पांवटा साहिब में विदित फार्मा कंपनी द्वारा 12 लाख से अधिक कोकोरेक्स की शीशियां बनाकर फर्जी कंपनियों को बेच दी गई और हिमाचल सहित जिला सिरमौर के दवा नियंत्रक विभाग के अधिकारियों को भनक तक नहीं लगी। सूत्र बता रहे हैं अब एनसीबी की जांच में यह भी पता चला है कि राज्य दवा नियंत्रक कार्यालय द्वारा नारकोटिक्स ड्रग को बेचने के लिए बनाई गई एसओपी की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है। प्रतिबंधित या चिकित्सक की सलाह पर दी जाने वाली दवाओं को बनाने व बेचने के लिए नियमों में काफी सख्ती होते हुए भी कंपनियों को खुली छूट दी जा रही है। दवा उत्पादन के दौरान एपीआई से लेकर ग्राहक को देने तक पूरा रिकार्ड उद्योग को रखना होता है। 

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इसके साथ ही जिस राज्य में या जिला में यह दवाईयां भेजी जाती है उस राज्य या जिला के ड्रग कंट्रोलर, ड्रग इंस्पेक्टर व पुलिस विभाग के अधिकारी को सूचित करना जरूरी होता है, ताकि इनके दुरुपयोग न हो सके। इसके साथ ही उद्योग से जब इस स्टॉक की कंसाइनमेंट किसी संबंधित एजेंसी को भेजी जाती है तो कंसाइनमेंट पहुंचने के बाद उपरोक्त एजेंसी उद्योग को वापस इसकी जानकारी लिखित में देती है। इस तरह के नियमों की अनुपालना उद्योग द्वारा नहीं की जा रही है परिणाम स्वरूप मरीज को कम और मासूम बच्चों तक नशे के लिए इस्तेमाल की जाने वाली यह दवाई आसानी से पहुंच रही है।

भ्रष्ट अधिकारी दे रहे संरक्षण….?

पांवटा साहिब में नशे की दवाओं को लेकर यह कोई पहली बड़ी कार्रवाई नहीं है इससे पहले भी एप्पल फिल्ड फार्मा कंपनी से बड़ी तादाद में पुलिस की स्पेशल विंग द्वारा नशीली दवाओं की खेप पकड़ी गई थी। उस वक्त भी हिमाचल दवा नियंत्रक विभाग को इस पूरे खुलासे का बाद में पता चला था। सूत्रों की मानें तो ड्रग विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा हर महीने लाखों रुपए लेकर ऐसी कंपनियों को अवैध रूप से संरक्षण दिया गया है ? बताया जा रहा है कि जिन-जिन फैक्ट्री में नारकोटिक्स से संबंधित दवाइयां बनती है वहां से करोड़ों रुपए का लेनदेन ड्रग विभाग के अधिकारियों के साथ किया जाता रहा है परंतु विजिलेंस टीम भी इस सारे विषय पर चुप बैठी है तथा शिकायत न मिलने के फर्जी दावे कर भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रही है । इसका एक बड़ा उदाहरण हिमाचल प्रदेश में पूर्व में प्रदेश ड्रग कंट्रोलर पर लगने वाले गंभीर आरोप है जी एम उन पर हाईकोर्ट में चल रहे एक मामले के दौरान करोड़ों रुपए की संपत्ति जांच की बात भी सामने आई है।

सूत्रों की माने तो जांच के दौरान नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की टीम को पूरी तरह सहयोग नहीं मिला है। वही बताया जा रहा है कि विदित फार्मा कंपनी का मैनेजर मनीष बजाज भी फरार चल रहा है ! जांच में पाया गया कि उद्योग में तैयार की जाने वाली एक भी नशीली दवा सही रास्ते से मरीज तक नहीं पहुंची है, बल्कि सीधा सीधा ड्रग पेडलरों के पास पहुंचाई गई है। उद्योग प्रबंधकों की तरफ से फर्जी सप्लाई नेटवर्क तैयार किया गया था, जिसमें आपूर्ति दिल्ली की दिखाई जाती थी, लेकिन उसे पहुंचाया सीधा सीधा नशा सौदागरों के पास था। जहां से यह नशा ऐसे लोगों तक पहुंच रहा था जो ड्रेस के आदी हैं इनमें 70 फ़ीसदी युवा पीढ़ी बर्बादी की ओर जा रही है।

राजनीतिक संरक्षण प्राप्त ….

बताया जा रहा है कि भाजपा से संबंध रखने वाला यह परिवार बड़ी मोटी रकम चूनावों में भी खर्च करता था सूत्र बता रहे हैं कि विधानसभा चुनाव में भी एक भाजपा नेता को लगभग 2 करोड रुपए चुनाव लड़ने के लिए दिए गए थे हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है यह जांच का विषय हो सकता है। बताया जा रहा है कि इस पैसे से अवैध रूप से शराब और अन्य सामान वोटरों में बांटा गया था। पांवटा साहिब के यह नेता उक्त कंपनी को बेरोकटोक चलवाने के लिए अधिकारियों को भी लगातार फोन करते रहते थे । अब यह भी जांच का विषय है कि भाजपा के यह बड़े नेता अभी जांच के दायरे में आते हैं या नहीं, 

लेकिन एक बात तो तय है कि पांवटा साहिब में एक दर्जन के करीब ऐसी फार्मा कंपनियां है जो इस तरह की नारकोटिक्स दवाओं का निर्माण कर रही है और वो फार्मा कंपनियां कहां और किसको ये दवाएं बेच रही है इसका अब तक संबंधित विभागों को कोई बड़ी जानकारी नहीं है इस पूरे मामले में हिमाचल प्रदेश सरकार को ऐसी सभी फार्मा कंपनी जो नारकोटिक्स दवाई बना रही है उनकी जांच करवानी चाहिए। की क्या वह दबे मरीज के लिए बनाई जा रही है या उसे युवा पीढ़ी के लिए जो नशे की करते हुए खुद को समाप्त कर रही है।

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