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पांवटा साहिब अवैध खनन के कारण यमुना आसन वेटलैंड को खतरा….हाई कोर्ट सख्त 

क्रेशर संचालक खरीद रहे अवैध खनन सामग्री…

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Ashoka Times….1 August 2024

 हिमाचल व उत्तराखंड राज्य की सीमाओं पर स्थित वेटलैंड संरक्षण के लिए हिमाचल हाई कोर्ट गंभीरता से काम कर रहा है कोर्ट ने यमुना नदी में अवैध खनन करने वालों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं । बता दें कि आसन वेटलैंड संरक्षण रिजर्व के 10 किलोमीटर दायरे में बिना अनुमति खनन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से अवैध खनन दोषियों पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट भी तलब की है। 

बता दे की रामपुर घाट स्थित आधा दर्जन से अधिक क्रशर संचालक देर शाम होते ही अवैध खनन में सन्लिप्त लोगों से भारी मात्रा में खनन सामग्री खरीद कर रेत बजरी तैयार कर रहे हैं। जिसके कारण यमुना नदी और इस निर्भर आसन वेटलैंड और जीव जंतुओं का भविष्य खतरे में पड़ गया है।

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आसन वेटलैंड यमुना और आसन नदी का 444 हेक्टेयर क्षेत्र है जो उत्तराखंड के देहरादून जिले में यमुना नदी के साथ संगम तक फैला हुआ है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ के समक्ष देहरादून निवासी गजेंद्र रावत द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में गुहार लगाई गई है कि वेटलैंड के 10 किलोमीटर के दायरे में खनन पर रोक लगाई जाए और इसके लिए राज्य सरकार की ओर से जारी पट्टा धारक खनन मालिकों के लाइसेंस रद्द किए जाएं।

बता दें कि इस आसन बैराज वेटलैंड के आसपास नियमों में बदलाव करके सरकार और माइनिंग विभाग द्वारा कई क्रशरों को लगाने की इजाजत दी गई वहीं अगर वेटलैंड नियमों को पूरी तरह से लागू कर दिया जाए तो यमुना किनारे लगे कई क्रेशर को हटाना पड़ सकता है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने यमुना नदी की वेटलैंड के 10 किलोमीटर के दायरे में वन्यजीव और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और जलवायु परिवर्तन राष्ट्रीय बोर्ड की स्थायी समिति की अनुमति के बगैर खनन रोक लगाने के आदेश पारित किए हैं। कोर्ट ने कहा कि बिना अनुमति खनन करने वालों के खिलाफ राज्य सरकार कार्यवाई करे।

उल्लेखनीय है कि आसन वेटलैंड रिजर्व मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालाना में हाईकोर्ट ने प्रदेश के अन्य हिस्सों की वेटलैंड की देखरेख पर संज्ञान लिया है। रेणुकाजी, खजियार, और पोंग डेम वेटलैंड के रखरखाव को केंद्र सरकार ने 421.28 लाख रुपये जारी किए थे। वेटलैंड भूमि का वह क्षेत्र है जिसमें या तो स्थायी रूप से या मौसमी रूप से पानी जमा होता है। शीर्ष अदालत ने पाया था कि कई वेटलैंड और झीलें गायब हो रही हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने देश में दो लाख से अधिक वेटलैंड की पहचान की है, जिसने 2011 में एक राष्ट्रीय वेटलैंड एटलस तैयार किया था और 2,01,503 वेटलैंड की मैपिंग की गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिए थे कि संबंधित उच्च न्यायालय इसकी देखरेख करें।

क्यों महत्वपूर्ण है आसन वेटलैंड :

आसन संरक्षण रिजर्व, कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों का घर और प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण शीतकालीन स्थल को रामसर साइट घोषित किया गया है। मध्य एशियाई फ्लाईवेज (सीएएफ) के भीतर रणनीतिक रूप से स्थित, रिजर्व में पक्षियों की 330 प्रजातियां हैं, जिनमें गंभीर रूप से लुप्तप्राय- सफेद-पंख वाले गिद्ध (जिप्स बंगालेसिस), बेयर पोचार्ड (अयथ्या बेरी), लुप्तप्राय- मिस्त्र के गिद्ध (नियोफरन पर्कनोप्टेरस), स्टेपी इंगल (एक्विला निपालेसिस), और संवेदनशील मार्बल्ड टील (मामेरोनेटा एंगुस्टिरोस्ट्रिस ), कॉमन पोचार्ड (अयथ्या फेरिना), इंडियन स्पॉटेड ईगल (क्लैंगा हास्टाटा) आदि। यह रूडी शेल्डक के जमावड़े के लिए सबसे प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। मौजूद अन्य गैर-एवियन प्रजातियों में 49 मछली प्रजातियां शामिल हैं, इनमें से एक लुप्तप्राय पुटिटर महासीर (टोर पुटिटोरा) है। मछलियाँ भोजन, प्रवास और अंडे देने के लिए इस स्थल का उपयोग करती हैं। आसन और यमुना नदियों के संगम पर स्थित इस जैव विविधता वाले पारिस्थितिकी तंत्र को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 36 ए के तहत 2005 में संरक्षण रिजर्व घोषित किया गया था।

बता दें कि अगर यमुना नदी से इसके जीव जंतु विलुप्त हो गए तो जल्द ही यमुना भी दम तोड़ देगी क्योंकि यमुना नदी को स्वच्छंद बैहते रहने के लिए इसके भीतर पल रहे जीव जंतु बड़ी मदद करते हैं। बता दे की यमुना में पहले हजारों प्रकार की जीव जंतु पाए जाते थे किंतु आज यह तादाद दर्जन भर भी नहीं बची है।

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