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बारीकी से जानिए क्यों है हिमाचल प्रदेश आर्थिक संकट में…मुफ्त सेवाओं में हो सकती है कटौती…

Ashoka Times…24 july 2024

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हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति पर 1 लाख 17 हजार रुपए का कर्ज हो गया है, ऐसा भी नहीं है कि यह कांग्रेस सरकार में हुआ है दरअसल हर जाने वाली सरकार आने वाली सरकार को सौगात के रूप में कर्ज देकर ही जाती है।

हिमाचल प्रदेश इस वक्त आर्थिक बदहाली से गुजारा है ऐसे में प्रदेश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू द्वारा गठित “रिसोर्स मोबेलाइजेशन कमेटी” की मंगलवार दोपहर बाद सचिवालय में अहम मीटिंग हुई। इसमें अनावश्यक खर्चे कम करने, सरकारी गाड़ियों व अफसरों की मौज रोकने और अफसरों का युक्तिकरण करने जैसे सुझाव पर चर्चा की गई।

सबसे बड़ा कारण ….

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इसके विपरीत रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट (RDG) लगातार कम हो रही है। 14वें वित्त आयोग में हिमाचल को RDG में 40624 करोड़ रुपए मिले थे। 15वें वित्त आयोग में यह बढ़ने के बजाय कम होकर 37199 करोड़ रह गया। साल 2021-22 में RDG 10249 करोड़ मिली थी, जो कि 2025-26 में 3257 करोड़ की रह जाएगी। इससे अर्थव्यवस्था पूरी तरह से डगमगा रही है।

कैबिनेट सब कमेटी के सदस्य एवं टीसीपी मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि, प्रदेश में जितना टैक्स इक्ट्ठा हो रहा, लगभग उतना ही पैसा सरकारों द्वारा लिया गया लोन की किश्त और ब्याज चुकाने में जा रहा है। इसलिए सख्त कदम उठाने जरूरी है। आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए आने वाले दिनों में सख्त निर्णय लेने पड़ सकते हैं। मुफ्त की सेवाओं में भी कटौती हो सकती है। उन्होंने कहा कि, साधन संपन्न लोगों को मुफ्त सेवाएं गलत है। यह जरूरत मंदों को ही मिलनी चाहिए।

राजेश धर्माणी ने कहा कि, प्रदेश के विभिन्न विभागों में गेजेटेड अफसरों का युक्तिकरण जरूरी है। यानी जहां 10 अधिकारी हैं, वहां जरूरत के हिसाब से 5 से 6 अफसर रखे जाएंगे। उन्होंने कहा कि, साल 2006 से 2022 के बीच 16 साल में गेजेटेड ऑफिसर की संख्या में 62 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि गेजेटेड ऑफिसर कम करके जरूरत के हिसाब से फील्ड व निचला स्टाफ बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा, ताकि जनता तक विभिन्न सेवाओं को आसानी से पहुंचाया जा सके।

धर्माणी ने कहा, अनप्रोडक्टिव खर्च कम करने होंगे। विभिन्न विभागों, बोर्ड व निगमों में सरकारी गाड़ियों के दुरुपयोग पर भी अंकुश लगाना होगा। सरकारी गाड़ियों का दुरुपयोग रोकना होगा। बोर्ड-निगमों को खुद आर्थिक संसाधन जुटाने होंगे।

राजेश धर्माणी ने कहा कि, हिमाचल में जब कांग्रेस सरकार बनी तब राज्य पर 80 हजार करोड़ रुपए का ज्यादा का कर्ज चढ़ चुका था। 31 मार्च 2023 तक यह 86589 करोड़ हो गया था। 10 हजार करोड़ रुपए की कर्मचारियों की देनदारी सरकार के पास है।

GST प्रतिपूर्ति राशि भी बंद

उधर सरकार आप लग रही है कि केंद्र भी हिमाचल प्रदेश से सौतेला व्यवहार कर रहा है
GST प्रतिपूर्ति राशि भी भारत सरकार ने जून 2022 में बंद कर दी है, जोकि देश में जीएसटी लागू होने के बाद से हर साल 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा मिल रही थी। इसे देखते हुए रिसोर्स मोबेलाइजेशन कमेटी ने काम शुरू कर दिया है

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