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वन विभाग की देखरेख में पनप रहा अवैध कच्ची शराब का कारोबार…?

हिमाचल के अलावा हरियाणा पंजाब उत्तराखंड तक हो रही तस्करी…पढ़िए क्या है हकीकत

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Ashoka Times…22 August 23 paonta Sahib

उपमंडल पांवटा साहिब खारा लई और आसपास के जंगलों में अवैध कच्ची शराब बनाने की दर्जनों भट्टियां रात होते ही सुलग उठती हैं और शराब निकाले जाने के बाद बचे कुचे लाहन को नष्ट कर वन विभाग अपनी कमर थपथपा नजर आता है आज हम इस पूरे मामले का पर्दाफाश करेंगे।

दरअसल उपमंडल पांवटा साहिब खारा लई के जंगलों में कई दशकों से अवैध कच्ची शराब निकाली जाती है। यहां रात होते ही शराब की भट्टियां सुलग उठती हैं और सुबह तक सैकड़ो लीटर अवैध कच्ची शराब तस्करी के लिए तैयार हो जाती है। सिर्फ इतना ही नहीं यहां से कई राज्यों में इसकी सप्लाई भी की जाती है।

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अवैध कच्ची शराब की तस्करी सिर्फ पांवटा साहिब शिलाई नाहन ही नहीं की जाती बल्कि हरियाणा पंजाब उत्तराखंड तक इस अवैध कच्ची शराब की स्प्लाई और तस्करी की जाती है।

इसके बाद शुरू होता है वन विभाग का काम, वन विभाग की टीम यहां बचे-खुचे लाहन और भाटियों को नष्ट कर मीडिया में अपनी वीडियो और फोटो वायरल करती है वाह-वाही लूटती है। खारा लई के जंगलों में कई दशकों से यह अवैध व्यापार इस तरह ही चल रहा है।

इस पूरे कारोबार में 70 से अधिक परिवार शामिल है जो कि शाम होते ही जंगलों में अपनी भट्टीयां सुलगा लेते हैं और उन पर अवैध तरीके से शराब निकालते हैं बता दें कि एक अवैध कच्ची शराब की बोतल को निकालने के लिए 30-40 मिनट से भी अधिक समय लगता है ऐसे में 20 से 25 लीटर शराब निकालने में लगभग 8 से 10 घंटे लग जाते हैं। इसके अलावा लगातार आग जलाए रखनी पड़ती है भट्टियों पर रखे बर्तनों को गर्म रखना पड़ता है जिसके कारण खारा लई के जंगलों में अगर आप देखें तो शाम होते ही धुएं के बादल बनने लगते हैं।

बता दें कि इस पूरे मामले में वन विभाग के निचले स्तर के अधिकारियों के संलिप्त रहने से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि पिछले एक दशक में सैकड़ो भट्टियों को वन विभाग की टीम ने नष्ट किया है लाखों लीटर लाहन वेस्ट किया है बावजूद इसके आज तक एक या दो मामलों को छोड़कर कोई भी संलिप्त अपराधी या आरोपी जंगल में शराब बनाते गिरफ्तार नहीं किया गया है। हमेशा वन विभाग ऐसी भट्टियों को निशाना बनाते हैं जिनको अवैध कच्ची शराब माफिया रिटायर कर चुके हैं मौके पर जाकर वन विभाग टूटी-फूटी टीनों के कनस्तरों टंकियों को तोड़ते है लाहन में पहले से ही 80% पानी होता है जिसे गिरा कर सैकड़ों लीटर लाहन नष्ट करने की बात कही जाती है।

हालांकि कुछ मामलों में वन विभाग के अधिकारी सचमुच इस पर कार्यवाही का मन बनाते हैं लेकिन अधिकतर मामलों में मिलीभगत से भट्टीयां बनाई जाती हैं और मिलीभगत से ही भट्टियों को तोड़ा जाता है।

कैसे बनाई जाती है अवैध कच्ची शराब, क्यों है सेहत के लिए खतरनाक

दरअसल कच्ची शराब बनाने के लिए सबसे पहले और उसमें कई तरह के फ्रूट्स को कई हफ्तों तक चढ़ाया जाता है जब इस सड़े हुए गुड से बेहद तेज दुर्गंध आने लगती है तब इसे पानी के साथ उबाला जाता है और तब उबालने वाला जो द्रव्य होता है वह अल्कोहल बाहर बोतलों में इकट्ठा होता है यहां तक तो कहानी ठीक है लेकिन अधिक मुनाफे के कारण इस शराब में यूरिया और सैल जैसे खतरनाक द्रव्य मिलाए जाते हैं जो सीधे-सीधे आपके लीवर और शरीर के अन्य अंगों को नष्ट करते हैं।

वही जब इस पूरे मामले को लेकर डीएफओ ऐश्वर्या राज से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया जिसके कारण वन विभाग का पक्ष प्रकाशित नहीं किया जा रहा है अगर उनका कोई भी पक्ष आता है तो वह भी रखा जाएगा।

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