4 महीने से नहीं मिली आशाओं को सैलरी…कोरोना वारियर्स का तमगा लौटाने को मजबूर…
दो साल से नहीं मिला इंसेंटिव भी… घर चलाना हुआ मुश्किल….

Ashoka Times…12 April 23
समाज को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आशाएं बेहद महत्वपूर्ण कड़ी है बात कोरोना महामारी की हो या आम जिंदगी की फील्ड में हमेशा डंटी रहने वाली आशाएं अपने ही विभाग से शोषण का शिकार हो रही हैं।
पांवटा साहिब अर्बन आशाओं को पिछले 4 महीनों से सैलरी नहीं मिली है जिसके कारण उनके परिवार और बच्चों के खर्चे चलाने मुश्किल होते जा रहे हैं याद दिला दें कि यह वही आशाएं हैं जिन्होंने कोरोना टाइम पर अपने जीवन को दांव पर लगाकर कोरोना वरियर्स खिताब अपने नाम किया था।

BMO डॉ केएल भगत लिखा पत्र…
अब आशाओं ने अपनी सैलरी को लेकर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर केएल भगत को लिखित पत्र सौंपा है जिसमें उन्होंने पिछले 4 महीनों से यानी दिसंबर से लेकर मार्च माह तक सैलरी नहीं दिए जाने की शिकायत सौंपी है।
वहीं इस बारे में अनीता, वर्षा, जसविंदर, मिलन, पूनम, सोनिया, रीना, ज्योति, सोनू, रुबीना ने बताया कि पिछले 4 महीनों से उन्हें सैलरी नहीं मिली है सिर्फ इतना ही नहीं 2 वर्षों से उन्हें TB मरीजों की देखभाल करने दवाई खिलाने के बाद जो इंसेंटिव मिलता है वह भी नहीं दिया गया है।
उन्होंने बताया कि पिछली कई ट्रेनिंग का इंसेंटिव भी उन्हें नहीं दिया गया है जबकि आशाएं आज भी जमीनी स्तर पर काम करने से मना नहीं कर रही हैं उन्होंने कहा कि अब स्थिति यह है कि चार चार महीने से सैलरी नहीं मिल रही और कई कई साल का इंसेंटिव पेंडिंग पड़ा है।
नेशनल हेल्थ स्कीम से आता है करोड़ों रुपए का बजट…
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की माने तो हर वर्ष नेशनल हेल्थ स्कीम के तहत एक बड़ा बजट लोगों के स्वास्थ्य आशाओं की सैलरी इंसेंटिव इन सब के लिए आता है किंतु इसके बावजूद भी आशाओं को कई कई महीने सैलरी नहीं दी जाती और कई वर्षों तक इंसेंटिव नहीं दिया जाता।
स्वस्थ समाज के लिए आशा सबसे जरूरी कड़ी…
बता देगी स्वास्थ्य विभाग में सिर्फ आशा ही एक ऐसी कड़ी है जो जमीनी स्तर पर काम करती है सीधा मरीजों से उनका संबंध रहता है स्वस्थ समाज बनाए रखने में आशा एक ऐसी कड़ी है जो बेहद महत्वपूर्ण है।
BMO ने दिया आश्वासन….
वही बीएमओ केएल भगत ने कहा कि आशाओं की सैलरी और इंसेंटिव जल्दी ही दिया जाएगा।