
Ashoka Times…26 august 2025
पांवटा साहिब के सिविल अस्पताल में एक नवजात शिशु की अकस्मात दुखद मौत से सभी दुखी हैं। मौत का कारण दूध पिलाते वक्त नवजात शिशु की सांस नली में दूध चले जाना बताया जा रहा है।
आज के कलयुग में भी डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है। बता दे की 26 अगस्त दिन मंगलवार को पांवटा सिविल अस्पताल में एक नवजात शिशु की दुखद मौत हो गई। इस बारे में जब बच्चा विशेषज्ञ डाक्टर आसिफ कुरेशी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि परिजनों के मुताबिक 25 अगस्त को घर पर ही बच्चे का जन्म हुआ था। आज यानी 26 अगस्त को परिजन बच्चे को इंजेक्शन लगवाने के लिए सिविल अस्पताल लाए थे। लेकिन डिलीवरी के 72 घंटों तक जच्चा-बच्चा को एडमिट कर अंडर आब्जर्वेशन रखा जाता है।
इस जच्चा-बच्चा को भी इसी लिए एडमिट किया गया था। लेकिन ये बेहद दुखद बात है कि नवजात को दूध पिलाते वक्त दूध उसकी सांस नली में चला गया जिसके कारण उसकी तबियत अचानक बिगड़ गई। लेकिन हमने तुरंत नवजात शिशु को वो ट्रीटमेंट दिया जो ऐसी स्थिति में दिया जाता है। उन्होंने बताया कि नवजात शिशु की आक्सीजन लेवल 46 परसैंट रह गया था लेकिन डॉक्टर द्वारा दिए गए ट्रीटमेंट से नवजात शिशु का ऑक्सीजन लेवल 88% तक पहुंच गया था जिसके बाद शिशु को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती थी इसलिए उसे तुरंत मेडिकल कॉलेज नाहन के लिए रेफर किया गया। लेकिन नवजात शिशु ने रास्ते में दम तोड़ दिया।
6 बच्चों को लगे हैं बीसीजी इंजेक्शन… आरोप निराधार…
वही पांवटा सिविल अस्पताल के सीनियर मेडिकल ऑफिसर और महिला विशेषज्ञ डॉक्टर सुधी गुप्ता ने बताया कि आज यानी 26 अगस्त को 6 नवजात शिशुओं को बीसीजी इंजेक्शन हेल्थ सुपरवाइजर की देखरेख में लगाए गए हैं। अगर इंजेक्शन से कोई समस्या होती तो और भी बच्चों को परेशानी हो सकती थी। इसलिए बीसीजी के इंजेक्शन की बात बिल्कुल निराधार है।
वही बता दें कि नवजात शिशु के परिजनों ने सिविल अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं।
सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ सुधी गुप्ता ने बताया कि सिविल अस्पताल के बच्चों के विशेषज्ञ डॉ आसिफ कुरैशी तुरंत मौके पर पहुंचे थे और बच्चे के साथ जो अकस्मात घटना दूध सांस नली में जाने की हुई थी। उन्होंने तुरंत ट्रीटमेंट देते हुए बच्चे को 88% तक ऑक्सीजन लेवल ला दिया था और उसके बाद वेंटीलेटर आवश्यकता के कारण मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था। उन्होंने कहा कि नवजात बच्चे की मौत का सभी को दुख है लेकिन जो आरोप लगाए गए हैं वह एक तरफा और बिल्कुल निराधार आरोप हैं। उन्होंने मीडिया से भी आग्रह किया कि सिविल अस्पताल को लेकर जब भी समाचार प्रकाशित हो तो अस्पताल प्रशासन का पक्ष भी लगाया जाना चाहिए।