हिमाचल प्रदेश में एक नये टैक्स की तैयारी में सुख सरकार… पढ़िये क्या है वह टैक्स…
शAshoka Times…17 November 2024

सुख की सरकार अगले तीन वर्षों में आत्मनिर्भर बनने का दावा कर रही है। लेकिन इस कवायद में एक बार फिर आम गरीब आदमी को लपेटे में लिया जा रहा है। सुक्खू सरकार अब एक अनूठा टैक्स लगाने जा रही है। इससे शराबियों को झटका लगने वाला है। दरअसल सरकार हिमाचल प्रदेश में एक नया सेस (उपकर) लगाने वाली है जिसका नाम पीके (प्राकृतिक खेती) सेस होगा। इस टैक्स के लगने से शराब का शौक रखने वाले गरीब और मिडिल क्लास पर इसका सीधा असर पड़ेगा।।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला जिले के रामपुर के दत्तनगर में बताया कि हिमाचल प्रदेश में शराब पर पीके सेस लगाया जाएगा। इससे पहले सरकार ने शराब की हर बोतल पर 10 रुपए मिल्क सेस भी लगाया था, जिससे एक साल में 120 करोड़ रूपए की कमाई हुई है। सरकार अब शराबियों को पूरी तरह से निचोड़ने की तैयारी में है और अब मिल्क सेस के बाद पीके सेस लगाने की मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने जनसभा में कहा कि शराब की प्रत्येक बोतल पर 10 रुपया मिल्क सेस लगाकर पिछले वित्तीय वर्ष में 120 करोड़ रुपए की कमाई हुई है। इस रकम को गाय-भैंस पालकों से हर दिन दस लीटर दूध खरीदने की योजना पर खर्च किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि राज्य में अब पीके सेस लगेगा। इस पर मुख्यमंत्री ने मजाकिया अंदाज में कहा कि जो पीने वाले हैं, उन पर टैक्स लगेगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि ‘जब मैंने इस सेस के बारे में अधिकारियों से चर्चा की तो वे पूछने लगे कि यह किस तरह का टैक्स होगा। इसके बाद मैंने अधिकारियों को बताया कि इसका मतलब प्राकृतिक खेती सेस है और इसका छोटा नाम पीके सेस होगा यानी इस सेस से मिलने वाली रकम प्राकृतिक खेती जैसे मक्का व गेहूं की खेती पर खर्च किया जाएगा।’
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की कोशिश है कि लोग प्राकृतिक खेती कर समृद्ध बनें और प्रदेश को भी खुशहाल बनाएं। लेकिन सरकार यह भूल रही है कि इस तरह के टैक्स से सरकार का भला हो या नहीं हो लेकिन गरीब आदमी मिडिल क्लास पर इसका सीधा असर पड़ेगा।
वित्तीय संकट से जूझ रही सरकार
बता दें कि हिमाचल प्रदेश वित्तीय संकट से जूझ रहा है और यह मुद्दा विधानसभा के मॉनसून सत्र में भी छाया रहा। सरकार को मुख्यमंत्री समेत कैबिनेट मंत्रियों के दो महीने का वेतन विलंबित करना पड़ा। कुछ महीने अधिकारियों व कर्मचारियों का वेतन पहली तारीख को नहीं मिला। प्रदेश सरकार इस सारी वित्तीय संकट को लेकर केंद्र की नियत पर सवाल उठाती है साथ ही विपक्ष पर भी जो हिमाचल प्रदेश के वित्तीय प्रबंधन को केंद्र के साथ मिलकर पूरी तरह से बिगड़
ने पर तुला है।