दिल्ली में बन रहे प्रतीकात्मक केदारनाथ मंदिर का विरोध शुरू… चारों धामों के पुरोहित उतरे सड़कों पर
Ashoka Times….16 july 2024

दिल्ली में बनाए जा रहे हैं प्रतीकात्मक केदारनाथ मंदिर को लेकर उत्तराखंड में पुरोहितों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है उनका मानना है कि केदारनाथ उत्तराखंड ही बाबा भोले की असली स्थान है।
बताया जा रहा है कि दिल्ली के बुराड़ी स्थित हिरंकी में श्री केदारनाथ धाम के प्रतीकात्मक मंदिर बनाया जा रहा है जिसके विरोध में चारों धामों में तीर्थ पुरोहित सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में हजारों तीर्थ पुरोहित सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गए हैं। और प्रदेश सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री की वार्ता के बाद तीर्थ पुरोहितों ने आंदोलन स्थगित करने का ऐलान किया है। लेकिन उनका कहना है कि यदि प्रदेश सरकार दिल्ली में बन रहे केदारनाथ धाम के निर्माण को बंद नहीं करती है। तो आंदोलन तेज किया जाएगा और कोर्ट की भी शरण ली जाएगी।

वही संतो और तीर्थ पुरोहितों के विरोध के बाद उत्तराखंड सरकार बैक फुट पर आ गई है। बैक फुट पर आई धामी सरकार अब अपने बयान से बदल गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कुछ लोग कभी धार्मिक, कभी क्षेत्रीय और जातीय भावनाएं भड़काने का प्रयास कर रह रहे हैं। उनके इरादे किसी सूरत में सफल नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का स्थान एक ही है। दूसरे स्थान पर कोई धाम नहीं हो सकता। प्रतीकात्मक रूप से मंदिर अनेक स्थानों पर बने हैं। लेकिन ज्योतिर्लिंग का मूल स्थान हमारे उत्तराखंड में ही है। बता देंगे दिल्ली में बनाए जा रहे प्रतीकात्मक केदारनाथ के कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी भी उपस्थित थे।
कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी और शीशपाल बिष्ट ने सोमवार को एक बयान में कहा, “जिस तरह भाजपा ने पहले वैदिक परंपरा के खिलाफ जाकर चार के अलावा दर्जनों शंकराचार्य बनाए, उसी तरह अब वे ज्योतिर्लिंगों की महिमा के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं। अगर आपको मंदिर बनाना था तो वह अक्षरधाम जैसा हो सकता था। इसका नाम हमारे चारधाम के नाम पर क्यों रखा जाए? केदारनाथ धाम का अपना इतिहास और मान्यताएं हैं। यह कोई फ्रेंचाइजी नहीं है जिसे आप कहीं भी स्थापित कर सकते हैं।”
उधर दिल्ली में प्रतीकात्मक केदारनाथ मंदिर को लेकर समिति का कहना है भारत में सभी की अपनी आस्थाएं हैं अगर कोई आस्था के साथ मंदिर निर्माण कर रहा है तो उसका विरोध नहीं किया जाना चाहिए। शिव कण-कण में विराजमान है ये सारी दुनिया जानती है कि केदारनाथ बाबा का मूल स्थान उत्तराखंड है किंतु हर व्यक्ति केदारनाथ नहीं जा सकता इसलिए प्रतीकात्मक केदारनाथ मंदिर का निर्माण किया जा रहा है । इसका विरोध करना बिल्कुल गलत बात होगी।