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हिमाचल प्रदेश में पत्रकारों को 149 crpc का नोटिस जारी…अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश…

Ashoka Times…26 April 2024

जिला सिरमौर में बढ़ते अपराध पर पत्रकारों द्वारा उठाए गए सवालों पर थाना प्रभारी पांवटा साहिब द्वारा 149 crpc का नोटिस उन्हें थमाया गया है । इस नोटिस में आचार संहिता के नाम पर अधिकारियों को मिली शक्तियों के दुरुपयोग का मामला दिखाई देता है।

हिमाचल प्रदेश में चुनाव के दौरान आचार संहिता लगी हुई है ऐसे में हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब में एक परिवार पर ताबड़तोड़ फायरिंग की जाती है बड़ी मुश्किल से एक भाई बहन की जान बच पाती है इस मामले में कुछ पत्रकारों ने सवाल पूछे थे कि आखिर आरोपियों के पास हथियार कहां से आ रहे हैं ?

इसके अलावा अस्पताल में उप प्रधान सहित उसके परिवार पर इलाज के दौरान हमला किया गया इसको लेकर भी कुछ सवाल पत्रकारों द्वारा उठाए गए थे।

 ऐसे सवालों पर पुलिस के कुछ उच्च अधिकारी नाराज हो गए और उन्होंने पत्रकारों को 149 crpc सीआरपीसी का नोटिस थमा दिया और इस नोटिस के माध्यम से पत्रकारों को धमकी दी गई है कि उनके समाचारों से लोगों में तनाव फैल रहा है। उनके द्वारा प्रकाशित समाचारों से लोगों के भीतर दहशत और तनाव का माहौल बन सकता है।

पांवटा साहिब थाना प्रभारी अशोक चौहान द्वारा दिए गए इस नोटिस में लिखा है कि आपने भड़काऊ लेख प्रकासित किए हैं जो तनाव पैदा कर सकते है, जनता के बीच दहशत पैदा कर सकते है और चुनाव के संवेदनशील समय में समाज की शांति और सद्भाव को बाधित कर सकते हैं। इसलिए, मैं (sho. Paonta Sahib) आपके भड़काऊ पोस्ट के कारण होने वाले संज्ञेय अपराध को रोकने के लिए सीआरपीसी की धारा 149 के तहत अपनी सक्तियों का प्रयोग कार रहा हूँ। हालांकि, यदि आप फिर भी ऐसे लेख प्रकाशित करना जारी रखते हैं, तो आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यदि भविष्य में आपके विरुद्ध कोई कानूनी कार्यवाही की जाती है तो इस पत्र की प्रति साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल की जाएगी।

उधर पत्रकारों द्वारा उनकी अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाए जाने को लेकर मुख्यमंत्री और गवर्नर से शिकायत करने का मन बनाया है। क्योंकि हिमाचल जैसी जगह पर अगर अभिव्यक्ति की आजादी पर पुलिस अंकुश लगाने का प्रयास करेगी तो सरकार को इसका जवाब तो देना ही होगा।

फिलहाल पत्रकार वर्ग में 149 सीआरपीसी नोटिस दिए जाने के बाद रोष है क्योंकि बढ़ते अपराध पर सवाल उठाना पत्रकारों की जिम्मेदारी है बल्कि समाज के प्रति उसका दायित्व भी है अगर चुनाव के दौरान आचार संहिता का गलत इस्तेमाल कर अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगती है तो ये सीधे-सीधे अनुच्छेद 19 (1) (a): बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रत्येक नागरिक को भाषण द्वारा लेखन, मुद्रण, चित्र या किसी अन्य तरीके से स्वतंत्र रूप से किसी के विचारों और विश्वासों को व्यक्त करने का अधिकार प्रदान करती है का उल्लंघन माना जा सकता है।

वही आचार संहिता के दौरान संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए पत्रकारों को भी ऐसी अभिव्यक्ति से बचना चाहिए जो समाज में दहशत या तनाव पैदा करती हो।

इस बारे में अभी तक पुलिस का कोई भी पक्ष सामने नहीं आया है अगर कोई पक्ष सामने आता है तो वह भी प्रकाशित अवश्य किया जाएगा।

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