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हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर में इस स्कूल के बच्चों ने की अनुठी पहल…

Ashoka Times…23 June Himachal 

हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर में सरकारी स्कूल के बच्चों ने एक नया अध्याय लिखा सुबह की गाई जाने वाली प्रेयर को पहाड़ी भाषा में गाकर एक अनुठी पहले की शुरुआत की।

सिरमौर जिले की राजकीय कन्या उच्च पाठशाला ददाहू ने पहाड़ी भाषा में प्रार्थना सभा शुरू कर एक अनूठी पहल की है। सुर, लय, ताल व साज के साथ सभा को बेहद रोचक बनाया गया है।

 

सरकारी स्कूलों में हिंदी और कुछेक निजी स्कूलों में अंग्रेजी भाषा में प्रार्थना सभा सभी ने सुनी होगी। स्थानीय बोली में सूबे के किसी भी स्कूल में आजतक शायद ही ऐसी सभा का आयोजन हुआ होगा। लेकिन, सिरमौर जिले की राजकीय कन्या उच्च पाठशाला ददाहू ने पहाड़ी भाषा में प्रार्थना सभा शुरू कर एक अनूठी पहल की है। सुर, लय, ताल व साज के साथ सभा को बेहद रोचक बनाया गया है।

बीते बुधवार को पहली मर्तबा इस स्कूल में स्थानीय बोली में प्रार्थना सभा हुई, जिसे तैयार करने में एक माह का वक्त लगा। प्रार्थना के रूप में प्रसिद्ध लोकगीत रामो रा नाव को ठेठ पहाड़ी में पूरे साज के साथ दो मिनट के भजन में पिरोया गया है। इसके साथ साथ प्रतिज्ञा, नारे, आज का विचार को भी पहाड़ी बोली में तैयार करवाया गया है। इस पहाड़ी प्रार्थना सभा का संचालन नौवीं कक्षा की छात्रा अवंतिका कर रही हैं।

बता दें कि इस स्कूल में हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत भाषा में भी प्रार्थना सभा का आयोजन किया जा रहा है। पहली बार स्थानीय पहाड़ी भाषा को चौथा स्थान देते हुए इसे भी सभा में शामिल किया गया। इस पहल की क्षेत्र में भी जमकर प्रशंसा हो रही है। सभा के दौरान सावधान, विश्राम, नीचे बैठना व खड़े होना सहित बैंड को इशारा करने का उच्चारण भी पहाड़ी बोली में ही किया जा रहा है। राष्ट्रीय गीत व राष्ट्रीय गान से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है।

खास बात यह भी है कि यह स्कूल शहरी क्षेत्र का है, जहां 210 छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। पाठशाला में आसपास के ग्रामीण इलाकों की छात्राएं भी पढ़ रही हैं। लिहाजा, सभी बच्चों को पहाड़ी बोली में ढालने के लिए एक माह का वक्त लगा। स्कूल के सरस्वती सदन ने पहाड़ी भाषा में प्रार्थना सभा कराने का जिम्मा अपने कंधों पर लिया है।

इसका नेतृत्व टीजीटी अध्यापक अनंत आलोक व निशा ठाकुर कर रहे हैं। मुख्याध्यापिका उषा रानी ने बताया कि अपने स्कूल में कुछ अलग व हटकर करने की सोच के साथ पहाड़ी बोली को महत्व दिया गया है। यहां हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत भाषाओं में भी प्रार्थना सभा कराई जा रही है। इसे नियमित जारी रखा जाएगा।

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