सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद हिमाचल प्रदेश में नहीं बन पाई “पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी”…
अपने ही अधिकारियों की जांच कर रहा पुलिस विभाग…

Ashoka Times…22 September 23 Himachal Pradesh (लेखक…अशोक कुमार)
हिमाचल प्रदेश में पुलिस पर गंभीर आरोपों की 15 से अधिक शिकायतें सामने आई हैं ये शिकायतें हिमाचल प्रदेश के गवर्नर, मुख्यमंत्री, चीफ सेक्रेटरी को भेजी गई हैं जिसमें पुलिस द्वारा लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज करने और अन्य अत्याचार के कई मामले शामिल है।
लेकिन बेहद दुर्भाग्य की बात है कि जिस विभाग के अधिकारियों के खिलाफ शिकायतें हैं जांच के लिए भी उसी विभाग के अधिकारी लगाए जा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठते हैं कि आखिर अपने ही विभाग के अधिकारियों के खिलाफ करवाई करना कितना आसान होगा। ऐसे में हिमाचल प्रदेश में पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी नहीं होने का खामियाजा आम नागरिक को भुगतना पड़ रहा है।

क्या है PCA….
पुलिस के अत्याचारों की जांच के लिए 2006 में, सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस सुधारों के लिए अपने सात निर्देशों को लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के लिए “प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ” मामले में एक निर्णय पारित किया था।
सात निर्देशों में विभिन्न प्राधिकरणों/आयोगों की स्थापना, प्रक्रिया में बदलाव और पारदर्शिता में वृद्धि शामिल थी। सात निर्देशों में से एक में *पुलिस शिकायत प्राधिकरण* (PCA) का निर्माण शामिल था।
PCA यानी पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी…
पुलिस शिकायत प्राधिकरण की जरूरत आखिर क्यों पड़ी दरअसल किसी भी राज्य में पुलिस के पास अन्य किसी भी विभाग से कहीं अधिक शक्तियां प्राप्त हैं और बेहद चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिस के खिलाफ आने वाली शिकायतों की जांच भी पुलिस अधिकारी ही करते हैं ऐसे में न्याय मिलने के आसार बेहद कम हो जाते हैं या यह भी कह सकते हैं कि पुलिस अत्याचारों की शिकायतें केवल एक फाइल बंद कर रह जाती है ।
न्याय की उम्मीद में गवर्नर को मिलती है सबसे अधिक शिकायतें…
बता दें कि हिमाचल प्रदेश के गवर्नर को प्रदेश पुलिस के विभिन्न अधिकारियों के खिलाफ 9 शिकायतें कथित एक माह में प्राप्त हुई है इसके अलावा मुख्यमंत्री और अन्य प्रदेश प्रशासनिक अधिकारियों को 6 पुलिस कंप्लेंट प्राप्त हुई है यानी कि 15 शिकायतें पुलिस अधिकारियों की सामने आई हैं। जिनकी जांच के निर्देश हिमाचल प्रदेश पुलिस निदेशक और उनके अधीनस्थ अधिकारियों को सौंपे गए हैं। दुर्भाग्य की बात यह है कि जिस विभाग के अधिकारियों की शिकायतें हैं उस विभाग के अधिकारी ही शिकायतों की जांच करने में जुटे हैं और इसमें कोई दो राय नहीं है कि जांच को आसानी से प्रभावित किया जा सकता है।
ऐसे में पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी एक ऐसी एजेंसी हो सकती है जो पुलिस कंप्लेंट को लेकर काम करें स्वतंत्र रूप से कार्रवाई करे। करीब 17 राज्यों ने पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी का गठन किया है जिसमें हाईकोर्ट और जिला स्तरीय न्यायालय के जजों को शामिल किया गया है और अध्यक्ष बनाया गया है इसमें कईं हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों को भी जगह दी गई है। यानी पुलिस की शिकायतें अब पुलिस अधिकारी ही नहीं देखेंगे बल्कि पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी इसकी जांच करेगी।
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी बनाए जाने की सिफारिश की गई थी
फैसले में, पांचवें निर्देश में कहा गया है कि प्रत्येक राज्य को पीसीए का गठन करना होगा जो पुलिस द्वारा गंभीर कदाचार की शिकायतों की जांच करेगा। प्रत्येक राज्य में एक राज्य स्तरीय पीसीए और जिला स्तरीय पीसीए होना चाहिए।
भ्रष्ट मजबूत व्यवस्था के खिलाफ आवाज
राज्य स्तरीय पीसीए केवल उन पुलिस कर्मियों के खिलाफ शिकायतों की जांच करेगा जो पुलिस अधीक्षक (SP) और उससे ऊपर के पद के हैं और शिकायतों में ऐसी घटनाएं शामिल होंगी
पुलिस हिरासत में मौत
पुलिस हिरासत में गंभीर चोट
पुलिस हिरासत में बलात्कार या बलात्कार का प्रयास या झूठे मुकदमे दर्ज करना
राज्य स्तरीय पीसीए केवल उन पुलिस कर्मियों के खिलाफ शिकायतों की जांच करेगा जो पुलिस अधीक्षक के पद से नीचे हैं और शिकायतों में निम्नलिखित घटनाएं शामिल होंगी:
पुलिस हिरासत में मौत
पुलिस हिरासत में गंभीर चोट
पुलिस हिरासत में बलात्कार या बलात्कार का प्रयास
जबरन वसूली
जमीन/मकान हड़पना, या झूठे मुकदमे दर्ज किए जाने बारे।
कोई पीड़ित, गवाह या अन्य व्यक्ति पीसीए में शिकायत दर्ज करा सकता है। दुर्भाग्य से, हर राज्य ने इस निर्देश को लागू नहीं किया है। हिमाचल प्रदेश भी उन्हीं राज्यों में से एक है जिसने पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी जैसी बेहद जरूरी और आम जनता से जुड़ी व्यवस्था और परेशानियों की ओर ध्यान नहीं दिया है।
केवल इन राज्यों में PCA स्थापित ….
बात करें तो भारत में चंडीगढ़ पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी, सहित हरियाणा, पंजाब, असम, दिल्ली, कर्नाटक, केरला, तमिलनाडु, जम्मू एंड कश्मीर, महाराष्ट्र, तेलंगाना राज्यों द्वारा पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी बनाई गई है जबकि अन्य राज्यों द्वारा इस और अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
कुल मिलाकर हिमाचल प्रदेश जहां पर पुलिस कंप्लेंट धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है ऐसे में सरकार को पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी बनाकर आम नागरिक को उसकी तनाव और मानसिक परेशानियों से निजात दिलानी चाहिए। बता दे कि हिमाचल प्रदेश के कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को हाईकोर्ट और प्रदेश सरकार में सिफारिश के लिए भेजेंगे जिसके माध्यम से हिमाचल प्रदेश में पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी गठन का प्रस्ताव रखा जाएगा ताकि पुलिस अधिकारियों की शिकायतों की जांच पुलिस अधिकारी ही ना करें।
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