सात्विक, राजसी और तामसिक भोजन आप पर किस तरह डालते है प्रभाव… पढ़िए बेहद रोमांचित तथ्य….
Ashoka Times…3 May 23

कहा जाता है आप जैसा खाते हैं वैसे ही बन जाते हैं इसमें कितनी सच्चाई है और कितनी भ्रमित करने वाली बातें आज हम इस पर रोशनी डालेंगे इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि भोजन किस तरह से इंसान को प्रभावित करता है।
प्राचीन काल से ही भोजन के तीन प्रकार बताए गए हैं जिसमें सबसे पहला है सात्विक आहार दूसरा है राजसिक आहार और तीसरा है तामसिक आहार इन तीनों में ही अलग-अलग गुण मिलते हैं आपकी मानसिक प्रवृत्ति पर भोजन का असर पड़ता है जिसका वैज्ञानिक आधार भी हम आपको बताएंगे।
सात्विक आहार | Satvik Food…

सबसे पहले हम आपको बताएंगे कि सात्विक भोजन क्या है और वह कैसे आप को प्रभावित करता है। सात्विक भोजन वह है जो शरीर को शुद्ध करता है और मन को शांति प्रदान करता है I
पकाया हुआ भोजन यदि ३-४ घंटे के भीतर सेवन किया जाता है तो इसे सात्विक माना जाता है I
उदाहरण – ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, बादाम, अनाज और ताजा दूधI
राजसिक आहार |Rajasic Food…
ये आहार शरीर और मस्तिष्क को कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं। इनका अत्यधिक सेवन शरीर में अतिसक्रियता, बेचैनी, क्रोध, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा इत्यादि लाते हैं I
अतिस्वादिष्ट खाद्य पदार्थ राजसिक हैं I
उदाहरण – मसालेदार भोजन, प्याज, लहसुन, चाय, कॉफी और तले हुए खाद्य पदार्थ।
तामसिक आहार |Tamasic Food…
तामसिक भोजन वो हैं जो शरीर और मन को सुस्त करते हैंI इनके अत्यधिक सेवन से जड़ता, भ्रम और भटकाव महसूस होता है I
बासी या पुन: गर्म किया गया भोजन, तेल या अत्यधिक भोजन और कृत्रिम परिरक्षकों से युक्त भोजन इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं ।
उदाहरण – मांसाहारी आहार, बासी भोजन, वसा का अत्यधिक सेवन, तेलयुक्त और अत्यधिक मीठा भोजन।
सात्विक भोजन आपको अध्यात्म, प्रकृति से प्यार की ओर ले जाने में अहम भूमिका अदा करता है आप प्रकृति से बनी हर चीज से प्रेम करते हैं जिसमें आपका परिवार भी शामिल है।
राजसिक भोजन… यह भोजन आपको सामने वाले की भावनाओं को समझने और महसूस करने की क्षमता को कम करता है सिर्फ इतना ही नहीं आपके भीतर इन अजीब सी शक्ति आ जाती हैं जो आप को कंट्रोल करने लगती है आप लोगों से धीरे-धीरे दूर जाने लगते हैं सामने वालों का दर्द आपको कम महसूस होता है।
तामसिक भोजन… यह भोजन आपको एकदम से शक्ति प्रदान करता है शरीर में अचानक आई ऊर्जा अधिकतर गुस्से आक्रोश गलत विचारों के साथ बाहर निकलती है ।
हालांकि प्राचीन ग्रंथों में लिखा है कि भौगोलिक स्थिति बदलने पर भोजन का महत्व और उसकी ऊर्जा बदल जाती है अगर आप बेहद बर्फीले इलाका में रहते हैं जहां पेड़ पौधे कुछ भी नहीं पनप सकता ऐसी जगहों पर जीवन बेहद कठिन होता है अक्सर वहां पर तामसिक भोजन अधिक मात्रा में मिलता है ठीक वैसे ही अगर आप समंदर किनारे किसी राज्य में जाते हैं तो वहां पर समंदर में पाए जाने वाले जीवो पर ज्यादा जीवन निर्भर करता है।
अगर आप 100 साल से अधिक जीना चाहते हैं तो सात्विक भोजन आपको अपने जीवन में उतारना होगा लेकिन इसके भी कुछ नियम है भोजन के लिए समय निर्धारित किया गया है ।अगर हम अपने समय के साथ अनियमित हैं, तो शरीर की पूरी प्रणाली को झटका लगता है और शरीर की प्राकृतिक लय बिगड़ जाती है।इसलिए हमें एक ही सही समय में प्रतिदिन और नियमित अंतराल पर भोजन करना चाहिए । यह कहा जाता है कि भोजन बनाने वाले और खाने वाले व्यक्ति की मन की स्थिति भी भोजन को प्रभावित करती है।
अधिक भोजन के दुष्प्रभाव …
अगर आप अधिक भोजन करते हैं तो आप बेहद सुस्ती की ओर चले जाते हैं पूरा दिन शरीर भारी सुस्त रवैया आपके जीवन को प्रभावित करता है वहीं अगर आप अल्प मात्रा में भोजन करते हैं तो शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्त्व मिलते हैं। इसके अलावा हमारे इंटरनल ऑर्गन्स पर भी दबाव नहीं पड़ता।
प्रवृत्ति से पता है भोजन पराशर…
कहा जाता है कि भोजन बनाने वाले की प्रवृत्ति ऊर्जा भोजन में पहुंच जाती है भोजन अगर किसी गुस्से वाले व्यक्ति के द्वारा बनाया गया हो भोजन नकारात्मकता बढ़ जाती है जो आपकी सेहत और इंद्रियों को प्रभावित करती है, जो भोजन आप प्रेम, संतोष और कृतज्ञता की भावना के साथ बनाते हैं वह भजन आपको शांति और आपकी इंद्रियों को तृप्त करता है।
खाना बनाते और खाते समय शांतिदायक संगीत सुनना या मन्त्रो का जाप करना भोजन में प्राण शक्ति को बनाये रखने में मदद करता है।
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