Ashoka Time….19 नवंबर
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि गिरि नदी में कोई मलबा नहीं फेंका जाए या अवैध रूप से डंपिंग न की जाए।
अदालत ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और वन विभाग को संयुक्त निरीक्षण करने और ऐसे सभी संवेदनशील स्थानों की पहचान करने का निर्देश दिया, जहां इस तरह के अवैध डंपिंग किए जा रहे थे और इसके बाद इन जगहों को कुआं या तार लगाकर सील कर दिया।
बता दें कि नदियों में अवैध डंपिंग के कारण बड़ा असर देखने को मिल रहा है अब नदियां संकरी होती जा रही है जिसके कारण एक वक्त ऐसा भी आएगा जब प्रदेश से निकलने वाली नदियां या तो दम तोड़ देंगी या फिर विनाश के साथ किनारों पर बसी सभ्यता को बहा ले जाएंगी। वही प्रदेश में साल भर पीने के पानी की किल्लत खड़ी हो सकती है।अदालत ने स्पष्ट किया कि सरकार को इस उद्देश्य के लिए विशेष बजटीय प्रावधान करने चाहिए।
न्यायमूर्ति त्रिलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने शिमला शहर में पानी की कमी के मुद्दे को उजागर करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर आदेश पारित किया।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने गिरि नदी पर बांध के निर्माण के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के संबंध में रिकॉर्ड पेश किया।
उन्होंने बताया कि 22 जुलाई, 2019 को तत्कालीन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बांध निर्माण के संबंध में बैठक हुई थी, जिसमें परियोजना को इस कारण से स्थगित कर दिया गया था कि इसके लिए प्रस्ताव लेने के लिए कोई आपात स्थिति नहीं थी।
इस संबंध में अभिलेख का अवलोकन करने के उपरान्त । अदालत ने कहा, “हमारा मानना है कि उस बैठक के बाद से बहुत कुछ बदल गया है, क्योंकि शिमला शहर अभी भी पीने के पानी की भारी कमी का सामना कर रहा है, खासकर गर्मी और बरसात के मौसम में। इसलिए, हमारा सुविचारित मत है कि राज्य को इस मामले पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।”
अदालत ने मुख्य सचिव को इस संबंध में एक पखवाड़े के भीतर हितधारकों की पहली बैठक बुलाने का निर्देश दिया।