राहुल गांधी को सजा सुनाने वाले जज की ऐसे हुई थी प्रमोशन…सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला…
Ashoka Times…5 May 23

गुजरात के दो नए कब शुरू है सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा कि जस्टिस वर्मा समेत 68 जजों के प्रमोशन को रद्द किया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि कम नंबर आने पर भी कैसे उन्हें प्रमोशन दी गई।
इस बारे में जनसत्ता द्वारा एक बड़ा आर्टिकल प्रकाशित किया गया जिसमें गुजरात के दो न्यायिक अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और वर्मा समेत 68 जजों के प्रमोशन को रद्द करने की मांग की है।
जज वर्मा ने ही राहुल गांधी को सजा दी थी, जिसके बाद उनकी सांसदी चली गई।

दरअसल यह मामला इसलिए भी सुर्खियों में है क्योंकि सालों से लंबित पड़े इस मामले को अचानक बेहद तेज गति से चलाया गया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को मानहानि मामले में सजा मैक्सिमम सजा सुना दी गई। सजा सुनाने वाले सूरत के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट हरीश हसमुखभाई वर्मा (Harish Hasmukhbhai Varma) के प्रमोशन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। वर्मा समेत 68 न्यायिक अफसरों के प्रमोशन को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 8 मई को सुनवाई करेगा। जस्टिस हरीश हसमुखभाई वर्मा ने ही 23 मार्च को ‘मोदी सरनेम’ से जुड़े मामले में राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उनकी सांसदी चली गई।
2 अफसरों ने दी प्रमोशन को दी चुनौती…
सुप्रीम कोर्ट में गुजरात के सीनियर सिविल जज कैडर के दो न्यायिक अफसरों, रवि कुमार मेहता और सचिन प्रजापति मेहता ने याचिका दायर की है। रवि कुमार मेहता गुजरात सरकार के लीगल डिपार्टमेंट में अंडर सेक्रेटरी के पद पर तैनात हैं। वहीं, सचिन प्रजापति मेहता गुजरात स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी में असिस्टेंट डायरेक्टर हैं। दोनों अफसरों ने अपनी याचिका में मांग की है कि हरीश हसमुखभाई वर्मा समेत 68 अफसरों के प्रमोशन को रद्द किया जाए और नए सिरे से मेरिट कम सिनियॉरिटी आधार पर लिस्ट तैयार की जाए।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि कई ऐसे अभ्यर्थी हैं जिन्होंने प्रमोशन के लिए हुई परीक्षा में ज्यादा अंक हासिल किये, लेकिन उनका सेलेक्शन नहीं हुआ। बल्कि उनसे कम अंक हासिल करने वाले कैंडिडेट को प्रमोट कर दिया गया है।
आपको बता दें कि हरीश हसमुखभाई वर्मा का प्रमोशन के बाद ट्रांसफर भी कर दिया गया था और उन्हें राजकोट जिला न्यायालय में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज नियुक्त किया गया है।
गुजरात हाईकोर्ट का 10 मार्च 2023 का वो नोटिफिकेशन, जिसमें जजों को प्रमोट किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट जता चुका है नाराजगी…
28 अप्रैल को ही सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के 18 अप्रैल के उस नोटिफिकेशन, जिसके जरिये जजों का तबादला किया था, पर तीखी नाराजगी जाहिर की थी, क्योंकि मामला न्यायालय के सामने विचाराधीन है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे न्यायालय के काम में हस्तक्षेप मानते हुए राज्य सरकार के सेक्रेटरी से जवाब तलब किया था और पूछा था कि जब मामला न्यायालय के सामने लंबित है तो प्रमोशन और 18 अप्रैल को नोटिफिकेशन जारी करने की अर्जेंसी थी?
जज वर्मा को कैसे मिला प्रमोशन?
गुजरात हाईकोर्ट ने 10 मार्च, 2023 को एक नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके मुताबिक हरीश हसमुख भाई वर्मा (Harish Hasmukhbhai Varma) समेत कुल 68 जजों को ड्रिस्ट्रिक्ट जज कैडर में प्रमोट किया है। ये 68 जज, 65% प्रमोशन कोटा के तहत आयोजित परीक्षा में शामिल हुए थे और सफल रहे। हरीश हसमुखभाई वर्मा की बात करें तो उन्हें 200 अंकों की इस परीक्षा में 127 अंक मिले थे और सीनियर सिविल जज से डिस्ट्रिक्ट जज कैडर में प्रमोशन के योग्य पाए गए थे।
गुजरात सरकार का 29 दिसंबर 2022 का गैजेट नोटिफिकेश
दिसंबर 2022 में भी मिला था प्रमोशन
गौर करने वाली बात यह है कि मार्च वाले नोटिफिकेशन से करीब ढाई महीने पहले, 29 दिसंबर, 2022 को जारी एक गैजेट नोटिफिकेशन के मुताबिक हरीश हसमुख भाई वर्मा (Harish Hasmukhbhai Varma) को एडिशनल सीनियर सिविल जज व एडिशनल चीफ ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट से चीफ ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट व एडिशनल सीनियर सिविल जज के तौर पर प्रमोट किया गया था।
कौन हैं जस्टिस वर्मा?
हरीश हसमुख भाई वर्मा (Harish Hasmukhbhai Varma) मूल रूप से गुजरात के वडोदरा के ही रहने वाले हैं। उन्होंने कानून (एलएलबी) की पढ़ाई गुजरात के बहुचर्चित महाराजा सयाजीराव कॉलेज से की है। 43 वर्षीय हरीश हसमुखभाई वर्मा एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद ज्यूडिशियल सर्विस में आए। जस्टिस वर्मा के पिता भी दिग्गज वकील रहे हैं। न्यायिक गलियारों में जस्टिस वर्मा की गिनती तेज-तर्रार जज के तौर पर होती है। वह समय के काफी पाबंद माने जाते हैं।