रामपुरघाट से फर्जी बिलों पर खनन सामग्री हो रही हरियाणा में तस्करी….?
पुलिस रात को नाके तो लगाती है पर फर्जी बिल नहीं पकड़े जाते…पढ़िए क्यों…

यमुनानगर में दूसरी बार पकड़े गए हिमाचल के X फर्जी बिल…
Ashoka Times….10 April 2024
हरियाणा के यमुनानगर में लगातार हिमाचल प्रदेश के फर्जी बिलों पर खनन सामग्री की तस्करी को लेकर खबरें प्रकाशित की जा रही है बता दें कि यह खनन सामग्री कथिततौर पर पांवटा साहिब के रामपुर घाट से तस्करी हो रही है!

हिमाचल प्रदेश की खनन सामग्री लगातार हरियाणा में तस्करी की जा रही है विशेष तौर पर हमारे हाथ कई ऐसे सबूत लगे हैं जो साबित करते हैं कि रामपुरघाट-कुंजामतरालियो से भी फर्जी बिल लगाकर रेत-बजरी की तस्करी की जा रही है।
गजब की बात यह है कि रामपुर घाट में पुलिस नाके लगातार खनन से भरे ट्रकों के बिल और अन्य दस्तावेज चेक करती है पर पकडा कोई नहीं जाता। यहां तक कि अबतक एक भी मामला रामपुर घाट क्षेत्र में पुलिस द्वारा फर्जी बिलों का नहीं पकड़ा है। जबकि हरियाणा के यमुनानगर में फर्जी बिल के साथ पिछले एक महीने में दो बार पुलिस और खान एवं भूविज्ञान विभाग कार्रवाई कर चुका है।
फर्जी बिल पकड़ने बेहद आसान….
दरअसल अधिकतर फर्जी बिल दूर दराज के क्रेशरों से मांग कर लिए जाते हैं और रामपुर घाट रूट पर इन बिलों का इस्तेमाल किया जाता है जबकि बिल और X फॉर्म में साफ-साफ असली क्रेशर का नाम और एड्रेस होता है जिसे आठवीं में पढ़ने वाला बच्चा भी आसानी से पकड़ सकता है।
खान एवं भू विज्ञान खनन अधिकारी हरियाणा यमुनानगर ओम दत्त शर्मा ने बताया कि उन्हें बार-बार शिकायतें मिल रही हैं की अवैध रूप से फर्जी बिलों पर खनिज संपदा की खरीद फरोख्त की जा रही है उन्होंने एक टीम का गठन किया टीम में खाना निरीक्षक अमन कुमार, करण रक्षक नारायण सिंह को शामिल किया गया मंगलवार मध्य रात्रि करीब 2:00 बजे वह अपने टीम के साथ जब दबिश देने पहुंचे तो साढोरा मोड़ के पास नाका लगाकर जांच की गई तो सामने आया कि बिल हिमाचल प्रदेश के थे और खनन किसी और ही क्रेशर से भरा गया था।
दरअसल पांवटा साहिब रामपुर घाट से रात के समय लाखों रुपए कि खनन सामग्री फर्जी बिलों पर तस्करी होती है खनन सामग्री रामपुर घाट मतरालिया क्रेशर से भरी जाती है और बिल सैनवाला और अन्य क्रेशरों के लगाए जाते हैं और यह बिल कंप्यूटर में चढ़ाकर छोड़ दिए जाते हैं अगर रास्ते में पुलिस वन विभाग या खनन अधिकारी इन ट्रैकों को पकड़ लेता है तो ड्राइवर द्वारा फोन पर सूचित कर तुरंत कंप्यूटर द्वारा बिलों को एंटर कर दिया जाता है और अगर कोई नहीं पकड़ता है तो इन बिलों को दोबारा से खनन सामग्री के लिए इस्तेमाल किया जाता है यह सभी जानकारी क्रेशरों पर काम करने वाले सूत्रों के हवाले से दी जा रही है।
एक जानकारी के मुताबिक पांवटा साहिब के रामपुर घाट स्थित क्रेशरों से एक रात में ही 300 से 400 ट्राले रेत बजरी के निकलते हैं अधिकतर तस्करी यमुना नदी से की जाती है अगर सिर्फ सरकार के टैक्स कि बात की जाए तो तो एक रात में ही 6 से 8 लख रुपए का टैक्स चोरी किया जा रहा है अगर 1 महीने की बात की जाए तो यह करोड़ों रुपए में टैक्स चोरी है जो सीधे-सीधे क्रेशर मालिकों की जेब में जा रहा है।
हालांकि इस पूरे मामले में खनन विभाग का पक्ष नहीं मिल पाया है जैसे ही उनका कोई पक्ष सामने आता है वह भी अवश्य प्रकाशित किया जाएगा।