मिट्टी का घड़ा आपकी सेहत पर कैसे डालता है प्रभाव…पढ़िए किन बीमारियों पर….
Ashoka Times…6 April 23

मिट्टी के घड़े अब बहुत कम देखने को मिलते हैं जबकि कभी गर्मियों के शुरू होते ही उनकी डिमांड बढ़ जाया करती थी लेकिन अब उसकी जगह फ्रीज और दूसरी इलेक्ट्रॉनिक चीजों ने ले ली है।
आज हम आपको बताएंगे मिट्टी के घड़े के क्या फायदे होते हैं और हमारे शरीर पर उसका क्या असर पड़ता है।
सबसे बड़ी बात ये होती है कि मिट्टी के घड़े का पानी पीने से आपकी एसिडिटी यानी अम्लीय तत्व कम बनते हैं आपको एसिडिक जलन में राहत मिलती है। आपको दवाएं कम खानी पड़ती है।
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दरअसल मिट्टी के घड़े के पानी में पीएच का संतुलन बहुत बढ़िया बनता है बता दें कि मिट्टी के घड़े के पानी में सारे गुण होते हैं जिससे एसिडिटी कम बनती है क्षारीय पानी अम्लता के साथ प्रभावित होकर, उचित पीएच संतुलन प्रदान करता है। इस पानी को पीने से एसिडिटी पर अंकुश लगाने और पेट के दर्द से राहत प्रदान पाने में मदद मिलती हैं
गर्मियों के मौसम में मिट्टी के घड़े का पानी आपकी प्यास बुझाता है और थकान कम करता है काफी हद तक आपका सिर दर्द भी कम करता है।
कैसे करता है मिट्टी का घड़ा काम…
दर असल मिट्टी के घड़े में बेहद छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिन्हें हम आंखों से नहीं दे सकते इनसे पानी और बाहर के तापमान के बीच यह घड़ा बैलेंस बनाए रखता है अंदर पानी ठंडा रहता है। पानी का ठंडा होना वाष्पीकरण की क्रिया पर निर्भर करता है। जितना ज्यादा वाष्पीकरण होगा उतना ही ज्यादा पानी भी ठंडा होगा। इन सूक्ष्म छिद्रों द्वारा मटके का पानी बाहर निकलता रहता है। गर्मी के कारण पानी वाष्प बन कर उड़ जाता है। वाष्प बनने के लिए गर्मी यह मटके के पानी से लेता है। इस पूरी प्रक्रिया में मटके का तापमान कम हो जाता है और पानी ठंडा रहता है।
कैसे पता करें घड़े के छिद्र हो गए बंद…
गर्मियों के शुरुआती दौर में ही नया घड़ा खरीदें क्योंकि 2 या 3 महीने बाद इसके छिद्र धीरे-धीरे बंद होने लगते हैं दरअसल पानी और हवा में दूषित सुक्ष्म कण कुछ समय बाद घड़े के छिद्रों को बंद कर देते हैं घड़े में वाष्पीकरण नहीं हो पाता जिससे घड़ा गरम होता है और अंदर पानी तक उसका असर नहीं पहुंचता, बेहद आसानी के साथ आप देख सकते हैं कि घड़े पर अब नमी बाकी नहीं रही है।
रिसर्च बताती हैं कि घड़े के पानी से न केवल आपकी प्यास बुझती है बल्कि घड़े के पानी से आपकी बीपी आपके शुगर लेवल पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है इसके अलावा किडनी को भी अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती।
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