मन की बात करते हुए पीएम हमेशा रहे भावुक… विपक्ष लगाता रहा है ये आरोप…
Ashoka Times…मन की बात

अपने शो में एपिसोड पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेहद भावुक नजर आए इस दौरान उन्होंने 100 एपिसोड को लेकर कुछ विशेष विचार सांझा किए आइए जानते हैं कि उनके विचार 100 एपिसोड के पूरे होने पर किस तरह से बाहर निकले।
तीन अक्तूबर 2014 को विजयादशमी के पर्व पर मन की बात की यात्रा शुरू की थी। विजयादशमी यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व मन की बात भी देशवासियों की अच्छाई का, सकारात्मकता का अनोखा पर्व बन गया है। एक ऐसा पर्व जो हर महीने आता है, जिसका इंतजार हम सभी को होता है। इसमें हम सकारात्मकता का उत्सव मनाते हैं।
2014 में दिल्ली आने के बाद मैंने पाया कि यहां का जीवन बहुत ही अलग है। पचास साल पहले मैने अपना घर इसलिए नहीं छोड़ा था कि एक दिन अपने ही देश के लोगों से संपर्क मुश्किल हो जाएगा। जो देशवासी मेरा सबकुछ हैं, में उनसे ही कटकर जी नहीं सकता था। मन की बात ने मुझे इस चुनौती का समाधान दिया।

पत्र पढ़ते हुए भावुक…
आपके पत्र पढ़ते हुए कई बार मैं भावुक हुआ, भावनाओं से भर गया, भावनाओं में बह गया और खुद को फिर संभाल भी लिया। आपने मुझे ‘मन की बात’ के 100 वें एपिसोड पर बधाई दी है, लेकिन मैं सच्चे दिल से कहता हूं, दरअसल बधाई के पात्र तो आप सब ‘मन की बात’ के श्रोता हैं, हमारे देशवासी हैं।
आस्था पूजा
मेरे लिए मन की बात आस्था, पूजा और व्रत है। जैसे लोग ईश्वर की पूजा करने जाते हैं, तो प्रसाद की थाल लाते हैं। मेरे लिए यह ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में प्रसाद के थाल की तरह है। यह मेरे मन की आध्यात्मिक यात्रा बन गया है । यह अहम् से वयम् की यात्रा है।
हालांकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमेशा ही विपक्ष गंभीर आरोप लगाता रहा है विपक्ष ने हमेशा आरोप लगाया है कि देश के प्रधानमंत्री सिर्फ अपने मन की बात करते हैं लेकिन लोगों के मन की बात नहीं सुनते अक्सर विपक्ष के नेता प्रधानमंत्री पर अपने विशेष मित्रों पर विशेष कृपा और देश की संपत्ति लूटाने की बात करते रहे हैं इसमें कितनी सच्चाई है यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन फिलहाल देश के प्रधानमंत्री ने मन की बात में बेहद भावुक होकर अपने विचार साझा किए।
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