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भारत में दुनिया के सबसे अधिक अदालती मामले लंबित…पढ़िए सबसे बड़े कारण

सड़कों पर हत्या सरकारों और अदालतों की कमजोरी…!

Ashoka Times…20 April 23 

अगर माफियाओं और आम आदमी की हत्या सड़कों पर होती है तो सीधे-सीधे समझ लीजिए कि सरकारें और अदालतें न्याय देने में अभी पूरी तरह समर्थ नहीं है।

अतीक जैसे माफिया की जब सड़क पर हत्या होती है तो सरकार का खौफ पनपता है और जब अदालतों से सजा होती है तो अतीक जैसे और माफियाओं में खौफ पैदा होता है। दरअसल सड़क पर चाहे माफिया की हत्या हो या आम आदमी की यह सिर्फ और सिर्फ देश में सरकारों और अदालतों की कमजोरी को प्रदर्शित करता है।

समय रहते मिले अपराधियों को सजा…

अगर अपराधियों को समय रहते सजा दी जाए तो कानून व्यवस्था की इज्जत लोगों के मन में न केवल बढ़ेगी बल्कि मजबूत भी होगी समाज में भय और अदालतों की जटिल प्रक्रिया खत्म होगी।

राजनीतिक हस्तक्षेप होना चाहिए बंद… 

कहां जाता है देश के आधे से थोड़े कम सांसद और विधायक अपराधिक मामलों में संलिप्त रहे हैं उन पर दर्जनों मामले दर्ज हैं अपराधिक मामले भी ऐसे जिसमें हत्या, हत्या का प्रयास, रेप, डकैती, लूटमार, फोर्जरी इन अपराधों के तहत मामले चल रहे हैं लेकिन हम यह खुलकर कह सकते हैं कि कहीं ना कहीं अदालतों में राजनीतिक हस्तक्षेप रहता है विशेष तौर पर निचली अदालतों में इसे महसूस भी किया जा सकता है।

सड़क पर हत्या हो या मंदिर के बाहर से चप्पल चुराई गई हो सबसे अहम रोल देश की पुलिस का रहता है एक कहावत कही जाती है कि जिस क्षेत्र में पुलिस अधिकारी कानून की इज्जत करते हैं वहां मंदिर के बाहर रखी चप्पल भी चोरी नहीं हो सकती लेकिन सच्चाई यह है कि न्याय की सबसे पहली सीढ़ी पुलिस विभाग ऐसे अपराधियों पर निर्भर है जिनसे अधिकतर थाने और चौकिया चल रही है । अक्सर गरीब दबे कुचले लोगों के मामले अदालतों में सालों साल चलते रहते हैं क्योंकि तफ्तीश के दौरान बेहद कमजोर साक्ष्य अदालतों में पेश होते हैं ऐसे में अपराधी सालों साल न केवल बाहर घूमते हैं बल्कि नए अपराधों को जन्म देते हैं।

देश की अदालतों की स्थिति…

दिसंबर 2022 तक 5 करोड़ मामलों में से 4.3 करोड़ यानी 85% से अधिक मामले सिर्फ जिला न्यायालयों में लंबित हैं। सरकार स्वयं सबसे बड़ी वादी है, जहां 50 प्रतिशत लंबित मामले सिर्फ राज्यों द्वारा प्रायोजित हैं। भारत में दुनिया के सबसे अधिक अदालती मामले लंबित हैं।

उपरोक्त अदालतों की स्थिति ऐसी होने के कारण वैसे तो कईं हैं लेकिन सबसे बड़ा कारण है देश में जरूरत से बेहद कम अदालतें होना, एक जज के पास सैकड़ों मामले हो सकते हैं सबसे बड़ी बात देश के सभी राज्यों में पुलिस की बेहद कमी है ऐसा कोई राज्य नहीं जहां पुलिस की कमी न हो। यह भी एक बड़ा कारण है जिसके कारण मामलों की तफ्तीश बेहद धीमी होती है जिसका असर सीधे-सीधे अदालतों पर देखने को मिलता है।

देश की सरकारें अगर चाहे तो जरूरत के हिसाब से नई अदालतों के साथ-साथ पुलिस को और मजबूत करने की और तेजी से काम कर सकती हैं अगर ऐसा होता है तो देश की अदालतों में मुकदमे में जल्द निपटाए जा सकेंगे और जब न्याय जल्दी मिलता है तो अपराध में भी कमी आती है। उसके बाद सड़कों पर हत्या और माफियाओं का हो अपने आप बेहद कम रह जाएगा।

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