फार्मासिस्ट ने करवाई सफल डिलीवरी… ऐम्स डॉक्टर सवालों के घेरे में
Ashoka Times…2 July 23

हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान एम्स बिलासपुर की सुविधाओं की पोल एक महिला की डिलीवरी ने खोल कर रख दी। इसके बाद से एम्स प्रशासन सवालों के घेरे में आ गया है। महिला के पति ने एम्स की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दरअसल 2 दिन पहले मारकंडा निवासी अमित कुमार ने अपनी पत्नी को प्रसव पीड़ा के चलते डिलीवरी के लिए बिलासपुर के क्षेत्रीय अस्पताल में भर्ती करवाया। लेकिन डॉक्टर छुट्टी पर होने के चलते महिला को एम्स बिलासपुर रैफर कर दिया गया। एम्स में महिला को दाखिल कर दिया गया।
कुछ समय बाद डॉक्टरों ने यह कहकर महिला को आईजीएमसी शिमला रैफर कर दिया कि महिला के शरीर में खून की कमी है, जिसके चलते डिलीवरी करवाने में रिस्क हो सकता है। मामला यहां तक सही था, लेकिन एम्स की चिकित्सा सुविधाएं सवालों के घेरे में उस समय आ गई जब रैफर महिला की डिलीवरी एक फार्मासिस्ट ने रास्ते में एंबुलेंस में ही करवा दी। सवाल ये उठता है कि यदि एक फार्मासिस्ट एंबुलेंस में महिला की डिलीवरी करवा सकता है, तो क्या महिला का प्रसव एम्स में करवाना संभव नहीं था। आरोप यह भी है कि महज काम को टालने के लिए रैफर कार्ड बनाकर महिला को आईजीएमसी रैफर कर दिया।

महिला के पति अमित कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि उनकी धर्मपत्नी को शिमला में महज 2 यूनिट ब्लड चढ़ाया गया। तो क्या आपातकालीन स्थिति में इतना ब्लड एम्स में उपलब्ध नहीं करवाया जा सकता था। अमित कुमार का कहना है कि उन्होंने ब्लड बैंक में जाकर पता किया था। ब्लड बैंक ने उन्हें दो घंटे के बाद ब्लड मिलने की बात कही थी। लेकिन डेढ़ घंटे इन्तजार करने के बाद डॉक्टर्स ने उन्हें रैफर कर दिया। एम्बुलेंस में साला घाट के समीप महिला की सफल डिलीवरी करवाई गई। उन्होंने कहा कि क्या डॉक्टर एक फार्मासिस्ट जितने निपुण भी नहीं, जिसने बिना खून चढ़ाए महिला की सफल डिलीवरी करवाई और जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित है।
अमित कुमार ने यह भी सवाल उठाया है कि यदि उनकी पत्नी को कुछ हो जाता तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेता? एम्स प्रशासन रैफर कर पहले ही अपना पल्ला झाड़ चूका था। अमित ने ड्राइवर व फार्मासिस्ट दोनों का धन्यवाद भी किया है जिन्होंने महिला की सफल डिलीवरी करवाई।
उधर जब इस बारे में एम्स प्रशासन से संपर्क करने की कोशिश की गई तो अधिकारियों ने कोई रिस्पांस नहीं दिया। बकायदा मेल करने के बावजूद भी कई दिनों तक कोई रिप्लाई नहीं मिला। मामले में फ़िलहाल एम्स प्रशासन का कोई पक्ष नहीं आया है।
बता दें कि भाजपा के राष्ट्रीय जेपी नड्डा के जिला और केंद्रीय मंत्री ने अनुराग ठाकुर के लोकसभा क्षेत्र में एम्स का 9 माह पूर्व 5 अक्टूबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया था। लेकिन यहां पर चिकित्सा सुविधाओं की काफी कमी नजर आ रही है। 9 महीने शुरू होने के बाद भी यहां पर अभी तक ब्लड बैंक की स्थापना नहीं की गई है। जबकि 53% से ज्यादा पद खाली पड़े है।
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