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प्रदेश सरकार की आर्थिक ऑक्सीजन कम कर रहा केंद्र…शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास कार्यों में पिछड़ रहा हिमाचल…

Ashoka Times…8 November 23 Himachal Pradesh 

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हिमाचल प्रदेश में सत्ता बदलते ही धीरे-धीरे कांग्रेस सरकार की आर्थिक ऑक्सीजन केंद्र सरकार द्वारा कम कर दी गई है जिसके कारण सरकार बेहद गंभीर परिस्थितियों में प्रदेश को चलाने के लिए मजबूर है।

दरअसल हिमाचल प्रदेश में जैसे ही सत्ता बदली केंद्र सरकार ने भी पूरी तरह से अपना मुख मोड़ लिया इस पूरे रवैया में हिमाचल प्रदेश के बड़े भाजपा नेताओं का भी महत्वपूर्ण रोल है । केंद्र सरकार से विकास कार्यों के लिए आने वाली आर्थिक सहायता पर अंकुश लगा कर भेजा जा रहा है, बल्कि उन्हें उन मदों में खर्च करने के निर्देश सरकार को दिए हैं जिनके लिए वह भेजे गए हैं जबकि इससे पहले सरकारें अपने हिसाब से केंद्र से आए पैसे का इस्तेमाल मदों में करती थी।

फिलहाल हिमाचल प्रदेश में सत्ता बदलते ही हिमाचल प्रदेश के ग्रामीणों के दिन भी बदल गए हैं विकास के सपने पूरी तरह से पिछड़ते जा रहे हैं सरकार के खर्च बदस्तूर जारी हैं लेकिन इनकम आधी से अधिक नहीं हो पा रही है जिसके कारण एक और जहां प्रदेश सरकार कर्मचारियों को भत्ते, एनपीए और स्वास्थ्य बिलों का निपटारा तक नहीं कर पा रही है तो वहीं दूसरी ओर हिह कार्ड से ग्रामीणों द्वारा करवाए गए इलाज पर भी अब निजी और सरकारी अस्पतालों में अंकुश लग गया है जिसके कारण हम केयर कार्ड पर अधिकतर निजी अस्पताल लोगों का इलाज नहीं कर रहे हैं

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वहीं इस पूरे कुचक्र में हिमाचल प्रदेश में शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों के भविष्य पर भी असर देखने को मिल रहा है हिमाचल प्रदेश में लगभग साढ़े 4 हजार स्कूली कमरे बेहद बुरी हालत में है जिसकी मरम्मत के लिए भी सरकार के पास पैसा नहीं है इस पर नाराज होकर हिमाचल हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव को जल्द अपना जवाब देने के निर्देश दिए हैं।

उधर हिमाचल प्रदेश की इस बुरी स्थिति से गुजर रही यहां की 70 लाख से अधिक जनसंख्या पर पूर्व में मुख्यमंत्री रहे जयराम ठाकुर और भाजपा के बड़े नेता मंद मंद मुस्कुरा रहे हैं और हर रोज अखबारों में प्रदेश सरकार पर अलग-अलग टिप्पणियां भी कर रहे हैं जबकि वह जानते हैं कि केंद्र सरकार द्वारा हिमाचल सरकार की धीरे-धीरे आर्थिक ऑक्सीजन काम की जा रही है जिसके कारण हिमाचल प्रदेश में शिक्षा स्वास्थ्य और अन्य विकास कार्य ठप्प पड़ गए हैं । लोकसभा इलेक्शन के बाद इसके बेहद गंभीर परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं यह भी संभव है कि लोकसभा के प्रदेश इलेक्शनों के बाद सत्ता परिवर्तन करने का प्रयास भी किया जाए।

उधर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के स्वास्थ्य लाभ को लेकर भी एक नई बहस शुरू हो गई है ऐसे में हिमाचल प्रदेश की जनता के प्रति केंद्र सरकार अगर सहानुभूति नहीं दिखती है तो हिमाचल प्रदेश का भविष्य बेहद पीछे धकेल दिया जाएगा इसकी जिम्मेदारी जितनी प्रदेश सरकार की होगी उतनी ही हिमाचल प्रदेश में मजबूत विपक्ष और केंद्र की भी मानी जानी चाहिए।

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