प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिए हिमाचल प्रदेश में ग्रीन क्रैकर्स चलाने के निर्देश….
जिनके मन में राम हों, वह पर्यावरण का नुकसान कैसे पहूंचा सकते हैं…. कमलेश्वर महाराज

Ashoka Times….30 October 2024
हिमाचल प्रदेश में हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा परचे छपवाए गए हैं जिसमें शांत क्षेत्र में किसी भी समय पटाखे जलाने पर प्रतिबंध रहेगा और केवल हरित पटाखे ही चलाने की अनुमति रहेगी।
इस बारे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय व माननीय राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के निर्देशानुसार हिमाचल प्रदेश में केवल हरित पटाखे बजाने की अनुमति होगी वह भी सिर्फ दो घंटे के लिए रात 8:00 बजे से लेकर 10:00 बजे के भीतर पटाखे बजाने की अनुमति है। इसके अलावा साइलेंस जोन में किसी भी समय पटाखे जलाने पर प्रतिबंध रहेगा और ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 के तहत जारी अधिसूचना के प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा । निर्देशों का पालन नहीं करने पर दंडनीय अपराध होगा जिसके तहत कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

पर्यावरण और बच्चे बुजुर्ग महिलाओं पर प्रदूषण का प्रभाव….
वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है, खासकर दिवाली के समय जब पटाखों के कारण हवा में हानिकारक कण और गैसें बहुत अधिक बढ़ जाती हैं। इस तरह का प्रदूषण हर उम्र और हर वर्ग के लोगों के लिए खतरनाक है, लेकिन बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं और जानवरों पर इसका प्रभाव और भी ज्यादा होता है।
1. *बच्चों पर प्रदूषण का प्रभाव*
बच्चों के श्वसन तंत्र का विकास हो रहा होता है, और उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली वयस्कों की तुलना में कमजोर होती है, जिससे वे वायु प्रदूषण से अधिक प्रभावित होते हैं। दिवाली के समय वायु में घुले सूक्ष्म कण (PM2.5 और PM10) और खतरनाक गैसें जैसे कि सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड उनके फेफड़ों में प्रवेश कर जाती हैं। इससे बच्चों को सांस की समस्या, एलर्जी, अस्थमा और अन्य श्वसन संबंधी रोग हो सकते हैं। उनके मस्तिष्क और शारीरिक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
2. *बुजुर्गों के लिए बढ़ता खतरा*
बुजुर्गों के फेफड़े और दिल पहले से ही कमजोर होते हैं, और वायु प्रदूषण उनके स्वास्थ्य को और खराब कर सकता है। दिवाली के समय पटाखों से होने वाला धुआं बुजुर्गों के फेफड़ों में सूजन पैदा कर सकता है,
3* महिलाओं पर प्रदूषण का असर*
वायु प्रदूषण का असर महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के लिए यह खतरा और भी बढ़ जाता है, क्योंकि प्रदूषण में मौजूद हानिकारक कण और रसायन गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। खासकर यदि वे घर के आस-पास पटाखे जलाए गए हों।
4. *जानवरों को होती समस्याएं*
जानवर, खासकर कुत्ते, बिल्ली, पक्षी और मवेशी भी प्रदूषण से काफी प्रभावित होते हैं। जानवरों के श्वसन तंत्र पर सूक्ष्म कणों का प्रभाव पड़ता है, जिससे उन्हें भी अस्थमा और सांस की समस्याएं होती हैं। दिवाली के समय पटाखों की आवाज और धुएं से जानवरों में भय और चिंता बढ़ जाती है। उनके सुनने की क्षमता इंसानों से कई गुना ज्यादा होती है, जिससे वे पटाखों के शोर से बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं। कई बार डर और असहजता के कारण जानवर खाने-पीने से भी मना कर देते हैं।
*दिवाली के समय बढ़ते प्रदूषण को कम करने के उपाय*
1. *ग्रीन पटाखों का प्रयोग:* ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों के मुकाबले कम प्रदूषण करते हैं। इनसे निकली हानिकारक गैसों का स्तर भी कम होता है।
2. *प्रदूषण मुक्त दिवाली का समर्थन:* दीयों और मोमबत्तियों का उपयोग करके दिवाली मनाई जा सकती है, जिससे वायु प्रदूषण कम होगा।
3. *पेड़ लगाएं और पौधों का रखरखाव करें:* पेड़ और पौधे वायु की गुणवत्ता सुधारने में सहायक होते हैं। दिवाली के पहले और बाद में पौधारोपण करना एक अच्छा विकल्प है।
4. *सार्वजनिक जागरूकता:* स्कूलों, सामाजिक संगठनों और सरकार के माध्यम से प्रदूषण के नकारात्मक प्रभावों के प्रति लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए।
वही इस बारे में अयोध्या के कमलेश्वर महाराज के साथ उनके पूरे समूह के लोगों ने अपील करते हुए कहा कि दीपावली पर दीपों का पर्व है पारंपरिक समय की बात करें तो केवल दीपक जलाकर लोग पूजा अर्चना करते थे और सिया राम का स्वागत किया जाता रहा है लेकिन अब दीपावली पर अरबो रुपए के पटाखों का कारोबार केवल सियाराम की अनुपस्थिति में किया जा सकता है अगर वह हमारे मन और मस्तिष्क में होते तो पटाखे का प्रयोग कतई नहीं किया जाता।