पांवटा साहिब में हिंदू-मुस्लिम के बीच दीवार बनकर खडे रहे गुंजीत सिंह चीमा…
राजनीतिक हस्तक्षेप से बिगड़े हालात…
Ashoka Times…15 June 2025
पांवटा साहिब के माजरा-किरतपुर में मुस्लिम लड़के द्वारा हिंदू लड़की को भगाने के मामले में एक और जहां राजनीतिक लोग भीड़ पर रोटियां सेक रहे थे । वहीं दूसरी ओर पांवटा साहिब के प्रशासनिक अधिकारी गुंजित चीमा और पुलिस अधिकारी दो समुदायों के बीच दीवार बनकर खड़े थे ताकि दोनों ही समुदाय सुरक्षित रह पाए।
वहीं कुछ असामाजिक तत्व उग्र प्रदर्शन के दौरान एसडीएम गुजींत चीमा द्वारा अपनी सुरक्षा के लिए पकड़ी गई एक लाठी को लेकर विवाद खड़ा कर रहे हैं। इस तरह के असामाजिक तत्व कथित पत्रकारिता के नाम पर राजनीतिक लोगों के तलवे चाटने का काम करते हैं और समय-समय पर अपनी कलम का गलत इस्तेमाल करते हुए अपनी वफादारी भी साबित करते हैं।
क्या है देश में कानून….
आपको बता दे कि उग्र भीड़ को तितर-बितर करने के लिए जिस वक्त पुलिस बल और अधिकारी मौके पर तैनात होते हैं अगर वहां पर कोई मजिस्ट्रेट हो तो वह भी उस पुलिस का हिस्सा होता है।
क्या कहता है डिसिप्लिन एंड कंडक्ट रूल…
अधिनियम 14.56. भीड़ के विरुद्ध बल प्रयोग)- (1) भीड़ के विरुद्ध पुलिस द्वारा बल प्रयोग के संबंध में निर्देश निम्नानुसार हैं:-
उग्र प्रदर्शन के दौरान भीड़ को तीतर-बितर करने के लिए अगर जिला मजिस्ट्रेट खुद मौजूद हो, तो जिले के पुलिस बल के प्रमुख के तौर पर उसे मौजूद वरिष्ठ पुलिस अधिकारी माना जाएगा। इस नियम के प्रयोजनों के लिए अपने उप-मंडल के भीतर एक उप-मंडल मजिस्ट्रेट को जिला मजिस्ट्रेट का दर्जा प्राप्त होगा, यानी उसे उप-मंडल के सभी पुलिस अधिकारियों द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के तौर पर मान्यता दी जाएगी और उसे इस्तेमाल किए जाने वाले बल की विधि और मात्रा तय करने की शक्ति होगी।
SDM गुंजित सिंह चीमा को मिला जनता का अपार समर्थन
पांवटा साहिब में माजरा क्षेत्र में लगातार राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण माहौल बिगड़ रहा था, लोग मुस्लिम समुदाय के उस परिवार पर हमले के लिए तत्पर थे, ऐसे में उग्र भीड़ को तितर-बितर करने के लिए एसडीएम गुंजित चीमा ने न केवल लाठी उठाई प्रदर्शन में आज असामाजिक तत्वों का भी सामना किया। लेकिन माहौल उस वक्त सोशल मीडिया पर और वायरल हुआ जब एसडीएम गुंजित सिंह चीमा और भाजपा नेता डॉ. राजीव बिंदल के बीच नोकझोंक का वीडियो तेजी से वायरल हो गया। यह वीडियो अब सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि प्रशासनिक ईमानदारी और राजनीतिक दखल के बीच खिंची एक स्पष्ट रेखा बन गया है।
भाजपा जहां इस वीडियो को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने में जुटी है, वहीं आम जनता, किसान संगठन, युवा वर्ग और सोशल मीडिया यूज़र्स एसडीएम गुंजित सिंह चीमा की कार्यशैली की खुलकर सराहना कर रहे हैं। फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म्स पर लोग उन्हें “जनसेवा का प्रतीक” और “पांवटा साहिब का सच्चा सेवक” कह रहे हैं।
राजनीतिक हस्तक्षेप पर जनता की तीखी प्रतिक्रिया*
जनता का कहना है कि कुछ नेता अपनी राजनीतिक चमक बढ़ाने और चर्चा में रहने के लिए अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। लोग यह भी कह रहे हैं कि ऐसे नेताओं को पहले अपने कामों का मूल्यांकन करना चाहिए, फिर प्रशासन पर सवाल उठाना चाहिए।
*✅ ईमानदारी और निडरता की मिसाल बने एसडीएम*
एसडीएम गुंजित सिंह चीमा को लेकर लोगों का कहना है कि वे दिन-रात बिना किसी भेदभाव के हर समुदाय के लोगों के बीच विश्वास बनाए रखने का कार्य कर रहे हैं। उनका प्रशासनिक कार्य करने का तरीका तेज, पारदर्शी और जनहितकारी है। युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए उनके द्वारा चलाए गए अभियान हों या किसानों की समस्याएं सरकार तक पहुंचाना—हर मोर्चे पर वह सक्रिय रहते हैं।
*खुद फील्ड में उतरकर निभाई ज़िम्मेदारी*
जिस वक्त कुछ राजनीतिक चेहरे जनता को भड़का कर भीड़ को उग्र कर रहे थे उस वक्त एसडीएम और पुलिस अधिकारी दो समुदायों के बीच ढाल बनकर खड़े थे। बीते दिनों जब एक संवेदनशील स्थिति में क्षेत्र की महिलाओं और लोगों की सुरक्षा का प्रश्न उठा, तो एसडीएम चीमा स्वयं घटनास्थल पर पहुंचे और बिना किसी भय के लोगों की जान बचाने के लिए मोर्चा संभाला। उनकी यह तत्परता और निडरता उन्हें आम अधिकारियों से अलग बनाती है।
कुल मिलाकर पांवटा साहिब की बुद्धिजीवी वर्क का मानना है कि आज सामाजिक तत्वों द्वारा जो दुष्प्रचार एसडीएम गुंजित चीमा के लिए किया जा रहा है वह बेहद शर्मनाक है। एसडीएम गुंजित सिंह चीमा आज सिर्फ एक प्रशासनिक अधिकारी नहीं, बल्कि ईमानदारी, तत्परता और जनसेवा का प्रतीक बन चुके हैं। जनता का विश्वास, सोशल मीडिया पर उमड़ा समर्थन और ज़मीनी सराहना यह साफ बताती है कि पांवटा साहिब को एक कर्मठ, निर्भीक और जनप्रिय एसडीएम मिला है, जिसकी छवि कोई वीडियो या राजनीतिक बयानबाज़ी नहीं बिगाड़ सकती।