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पांवटा साहिब में बन रहे फर्जी कृषक और हिमाचली प्रमाण पत्र…जांच में देरी से अधिकारियों पर संदेह…आरोप 

Ashoka Times….8 January 2025

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पांवटा साहिब में फर्जी कृषक और हिमाचली प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं। जिसको लेकर तहसील में कईं शिकायतें भी की गई हैं , और शिकायतों के साथ प्रामाणिक तथ्य भी सौंपे गए हैं। दो शिकायतकर्ताओं की ओर से यह आरोप लगाए गए हैं।

पहला मामला हिमाचल प्रदेश बोनाफाइड को लेकर शिकायत का है जिसमें मोहसिन खान ने आरोप लगाए हैं कि हरियाणा के एक व्यक्ति का हिमाचली बोनाफाइड बनाकर प्रदेश के बच्चों और यहां के स्थानीय निवासियों के पहले हक के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जिसमें मोहसीन खान ने लिखित शिकायत में बताया की मो. इर्शाद पुत्र जमील के नाम पर हिमाचली प्रमाण पत्र पांवटा साहिब तहसील द्वारा जारी किया गया है। जबकि यह व्यक्ति हरियाणा के खिजराबाद (बुडड) का स्थाई निवासी है और इसका हिमाचली प्रमाण पत्र पूर्ण रूप से फर्जी है। उन्होंने कहा कि यह पिछले 12 वर्ष से पाँवटा साहिब में काम धंधा कर रहा है। इसका हिमाचली प्रमाण पत्र कैसे बन गया जबकि स्थानीय लोगों की चपले तक घिस जाती है । वहीं बाहर से आए लोगों के पैसे के दम पर एक दम से हिमाचली प्रमाण पत्र बन जाते है। उन्होंने आरोप लगाए हैं कि ऐसे सैंकड़ों प्रमाण पत्र बनाए गए।

वहीं दूसरे मामले में उद्योगपतियों की बेनामी संपत्तियां खरीदने के लिए कृषक प्रमाण पत्र ही फर्जी बनवा लिया गया है। अब बाहरी राज्यों के उद्योगपतियों के लिए हिमाचल प्रदेश की बेशकीमती जमीन खरीद कर लाखों रुपए की दलाली खा कर प्रदेश सरकार को चूना लगा रहे हैं। वहीं अगर उनकी कृषि भूमि की बात करें तो एक इंच जमीन कृषि के लिए नहीं है। बल्कि जी भूमि के आधार पर कृषक प्रमाण पत्र बनाया गया है वहां पर पहले ही मैरिज पैलेस बना हुआ है। वहीं दूसरी जमीन बाहर से आए  अंग्रेजों  के लिए लड़ाई लड़ने वाले  फर्जी  बने घूम रहे कृषक के नाना के नाम पर है। उस जमीन के ततीमें पर पहले ही आबादी के लिए जमीन लिखा गया है। पूरी तरह से फर्जी इस कृषक प्रमाण पत्र को  लेकर की शिकायत के कई महीनो बाद भी  जांच पूरी नहीं हो पाई है । 

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वहीं दूसरी ओर कईं महिनों बाद भी ऐसे फर्जी कृषक प्रमाण पत्र और हिमाचली प्रमाण पत्रों की जांच के नाम पर केवल खाना पूर्ति की जा रही है। ऐसे में अधिकारियों पर भी उंगली उठाना लाजिमी है कि जब प्रमाण के साथ शिकायत की गई है तो उस पर जल्द से जल्द कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही।

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