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नदी-नालों के किनारे बेतरतीब निर्माण बना तबाही का कारण…अवैध खनन भी जिम्मेदार 

Ashoka Times…15 July 23 

नियम अनुसार नदी-नालों से 100 मीटर के दायरे में निर्माण पर रोक है। हिमाचल में 25 मीटर तक भवन बनाने की छूट है, लेकिन इसका भी पालन नहीं हो रहा। कच्ची मिट्टी पर बहुमंजिला होटल, होमस्टे और नदी किनारे आलीशान घर बनाने की चाह भारी पड़ रही।

हिमाचल में 25 मीटर तक भवन बनाने की छूट है शायद इस बार की तबाही में एक बड़ी भूमिका अदा कर रही है, लेकिन इसका भी पालन नहीं हो रहा हिमाचल प्रदेश में कच्ची मिट्टी पर बहुमंजिला होटल बनाए जा रहे हैं इतना ही नहीं होमस्टे और नदी किनारे आलीशान घर बनाने की चाहत ने तबाही को और अधिक फ़ैला दिया है ।

मनाली से लेकर कुल्लू और मंडी तक ब्यास नदी में आई बाढ़ से हुई तबाही का एक बड़ा कारण नदी-नालों के किनारे बेतरतीब निर्माण और अवैध खनन भी है। नियम अनुसार नदी-नालों से 100 मीटर के दायरे में निर्माण पर रोक है। हिमाचल में 25 मीटर तक भवन बनाने की छूट है, लेकिन इसका भी पालन नहीं हो रहा। कच्ची मिट्टी पर बहुमंजिला होटल, होमस्टे और नदी किनारे आलीशान घर बनाने की चाह भारी पड़ रही। भवन बनाने से पहले कई जगह मिट्टी जांच भी नहीं हो रही। औट से लेकर भुंतर-मनाली, लारजी से लेकर सैंज-न्यूजी तथा तीर्थन घाटी में आई बाढ़ ने सरकारी व निजी संपत्ति को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया है।

वहीं, जानमाल को भारी क्षति पहुंची है। इसका अभी पूरा आंकड़ा सामने नहीं आया है। बाढ़ से हुए नुकसान के बाद खुले मौसम में जो तस्वीरें अब सामने आ रही हैं, वह सभी को हैरान और परेशाना कर रही हैं।

तबाही के मंजर को देखकर कुल्लू जिला के बुजुर्ग लोगों को ब्यास नदी में 1995 और 1988 में आई बाढ़ की यादों को ताजा कर दिया है। बाढ़ के पीछे लोगों के अपने-अपने तर्क हैं। लेकिन अधिकतर लोग इसके लिए प्रकृति से अनावश्यक छेड़छाड़ व अवैज्ञानिक ढंग से हो रहे निर्माण को मान रहे हैं। ब्यास, तीर्थन, पार्वती व सैंज खड्ड में आई बाढ़ को लेकर कुछ जानकारों ने अपनी बात रखी।

प्रकृति से खिलवाड़ का नतीजा …

प्रकृति से अनावश्यक छेड़छाड़ का नतीजा

मनाली के 66 वर्षीय महेंद्र पाल, सोम सिंह, मेजर सोहनलाल ने बताया कि ऐसा मंजर उन्होंने अपने जीवन में पहले नहीं देखा। 1995 में भी ब्यास में बाढ़ आई थी। उस दौरान इतना नुकसान नहीं हुआ था। वह इसके लिए प्रकृति से की जा ही अनावश्यक छेड़छाड़ को जिम्मेदार मानते हैं।

पहले नही देखा ब्यास का ऐसा रौद्र रूप

बाहंग गांव के 60 वर्षीय जोगी राम ने बताया कि इस बाढ़ ने उनका सबकुछ तहस-नहस कर दिया। इससे पहले 1988 व 1995 में भी बाढ़ आई थी। लेकिन, इस बार ब्यास का जो रौद्र रूप था., उससे वह अभी भी खौफजदा हैं। बाढ़ से बाहंग में भारी नुकसान हुआ है।

हिमाचल प्रदेश में जो अवैध तरीके से निर्माण भवनों का हुआ है वह और भी तबाही को करीब ले आया है।

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