दिल्ली पहुंचते ही यमुना नदी गंदे नाले में तब्दील…प्यास बुझाने को पानी चाहिए हिमाचल से….
कईं गांव होंगे पानीदोज़… लाखों बीघा जमीन होगी तबाह…

Ashoka Times….28 June 2024 (शोभा)
दिल्ली पहुंचते ही यमुना नदी गंदे नाले में तब्दील हो जाती है अब करोड़ों लोग प्यासे मरने की कगार पर है तो हिमाचल प्रदेश के दर्जनों गांवों को उजाड़ कर दिल्ली को साफ पानी चाहिए।
हिमाचल प्रदेश से यमुना नदी सीधे हरियाणा से होकर दिल्ली पहूंचती है कहीं कोई बांध या रोक नदी पर नहीं है लेकिन जैसे ही यमुना नदी दिल्ली में प्रवेश करती है नदी नाले में तब्दील हो जाती है बड़े-बड़े गंदे नाले यमुना में डाल दिए जाते हैं और यमुना का स्वच्छ पानी नाले में बदल जाता है। ऐसे में दिल्ली जहां से पूरे भारत को कंट्रोल किया जाता है हिमाचल प्रदेश के दर्जनों गांवों को उजाड़ कर यहां बांध बनाने और नहर के जरिए यमुना नदी के पानी को दिल्ली पहुंचाने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार पर दबाव बना रही है।

सवाल यह उठता है कि पहले ही यमुना नदी पर उत्तराखंड कुल्हाल में पावर हाउस बनाया गया है और यही से इंदिरा गांधी नहर जिसमें यमुना का आधे से अधिक पानी राजस्थान पहुंचाया जा रहा है। जहां इससे सिंचाई और पीने की पानी समस्या हल होती है। वही हथिनीकुंड से भी यमुना का पानी दो बड़े हिस्सों में बंट जाता है जिसमें नहरों के माध्यम से यूपी और हरियाणा में पानी छोड़ा जाता है।
कहां से शुरू होता है नदी का नालों में तब्दील होना…
सबसे पहले यमुना नदी में यमुनानगर के ओधरी गांव से बड़ा गंदा नाला डाला जाता है जो यमुना को प्रदूषित करता है। यहीं से यमुना की बर्बादी की कहानी शुरू होती है।
वही पानीपत खोजकीपुर गांव तक पहुंचते पहुंचते यमुना बुरी तरह से प्रदूषित हो जाती है यमुना में अमोनिया के साथ-साथ दर्जनों केमिकल्स मिल जाते हैं हालांकि यहां तक फिर भी यमुना खुद को जीवित रखने का संघर्ष करती नजर आती है
लेकिन उसके बाद दिल्ली के द्वार पर नजफगढ़ का गंदा नाला जैसे ही यमुना नदी में मिलता है इसका रंग पूरी तरह से काला हो जाता है और यमुना नदी को एक नाले में तब्दील कर देता है। यहां यमुना में पानी कम और नाले से पानी ज्यादा दिखाई पड़ता है।
वही दिल्ली के नजफगढ़ से लेकर औखला बैराज तक सैकड़ो गंदे नाले यमुना में डाल दिए जाते हैं जिसके कारण यमुना नदी पूरी तरह से नाले में तब्दील हो जाती है।
दरअसल दिल्ली को यमुना का पानी वैसा ही मिल रहा है जैसा उन्होंने बनाया है अगर दिल्ली की सरकार और केंद्र सरकार चाहे तो यमुना में नजफगढ़ जैसे गंदे नालों को बंद कर जीवन दाहिनी यमुना का पानी शुद्ध कर सकती है और बिना दर्जनों गांवों को उजड़े दिल्ली की प्यास बुझ सकती है।
हम सभी को एक बात समझनी चाहिए कि सिर्फ यमुना का अस्तित्व ही खतरे में नहीं है बल्कि यमुना के किनारे बसी जितने भी सभ्यता है उत्तराखंड से लेकर दिल्ली और उससे आगे तक वह पूरी की पूरी सभ्यता खतरे में है विशेष तौर पर मानव सभ्यता।
अब अगर पांवटा साहिब बातामंडी-बहराल क्षेत्र में बांध बनाकर नहर के जरिए दिल्ली पानी पहुंचाया जाता है तो यमुना नदी पूरी तरह तबाह हो जाएगी और नदी में पलने वाले करोड़ जीव जंतु नष्ट हो जाएंगे जो पर्यावरण के लिए सीधे तौर पर बड़ा नुकसान होगा।
दरअसल इसका सीधा समाधान है कि दिल्ली हरियाणा में नजफगढ़ जैसे बड़े नाले जो यमुना को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचा रहे हैं किसी भी तरह बंद करने होंगे ताकि हिमाचल प्रदेश से जाने वाली यमुना नदी दिल्ली तक साफ स्वच्छ पानी ले जा पाए और करोड़ों लोगों की प्यास बुझाई जा सके नदियों पर बांध बनाना कोई समस्या का हल नहीं है बल्कि पर्यावरण को सीधे तौर पर जहन्नुम की ओर ले जाने का सशक्त मार्ग है।
हम सभी को एक बात समझनी चाहिए कि आज सिर्फ यमुना का अस्तित्व ही खतरे में नहीं है बल्कि यमुना के किनारे बसी जितने भी सभ्यता है उत्तराखंड से लेकर दिल्ली और उससे आगे तक वह पूरी की पूरी सभ्यता खतरे में है विशेष तौर पर मानव सभ्यता।