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चिट्ठा, नशीली दवा, नकली शराब…मृत्युदंड आजीवन कारावास और 10 लाख रुपए तक का प्रावधान… पढ़े पूरी खबर…

Ashoka Times….27 March 2025

हिमाचल प्रदेश सरकार चल रही कानून लागू करने जा रही है जिसमें चिट्ठा, कच्ची शराब, ड्रग्स माफिया पर नया कानून बनाया है जिसमें मृत्युदंड, आजीवन कारावास और 10 लाख रुपए तक का प्रावधान किया गया है।

चिट्टा तस्करी, नशीली दवाएं नकली शराब बनाने व बेचने और इस तरह के अन्य संगठित अपराध से यदि किसी की मौत होती है तो दोषियों को आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक मिल सकता है। साथ ही दोषी को 10 लाख रुपये तक जुर्माना भी देना होगा।

सरकार की ओर से विधानसभा में पेश किए विधेयक में ये प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बुधवार को हिमाचल प्रदेश संगठित अपराध विधेयक विधानसभा के सदन पटल पर रखा गया है और शुक्रवार को पारित किया जा सकता है। बता दे कि हिमाचल प्रदेश सरकार में बढ़ते चिट्टे अवैध शराब के मामलों को देखते हुए विधायक पास करने का सामूहिक प्रयास किया है।

इसके अलावा विधेयक के अनुसार, जो कोई संगठित अपराध के लिए उकसाता है, प्रयास करता है. षडयंत्र रचता है, जनमूझकर उसे अंजाम देने में मदद करता है या संगठित अपराध की तैयारी के लिए किसी अन्य कार्य में सलग्न होता है, उसे कम से कम एक वर्ष के बाहर किया। सजा आजीवन में बदला जा सकता है। पांच लाख तक के नुमनि का भी प्रावधान रहेगा। यदि कोई व्यक्ति संगठित अपराध गिरोह का सदस्य है, उसे कम से कम एक साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।

नशा तस्करी के अलावा ये भी संगठित अपराध

अवैध खनन, वन कटान, वन्य जीवों की तरकरी खतरनाक पदाथों की डंपिंग, मानव अंगों की तस्करी, स्वास्थ्य विभाग में फर्जी बिल बनाने, झूठे क्लेम करने, साइबर आतंकवाद, फिरौती, फर्जी दस्तावेज रैकेट, खाने की वस्तुओं में मिलावट और मैच फिक्सिंग के मामले संगठित अपराध कहलाएंगे।

जानबूझकर किसी ऐसे व्यक्ति को शरण देगा या छिपाएगा, जिसने संगठित अपराध किया है, उसे छह महीने के कारावास का प्रावधान किया है। सजा आजीवन कारावाम तक बढ़ाई जा सकेगी। बीस हजार से लेकर पांच लाख तक जुर्माना लगेगा। मगर यह उपधारा ऐसे किसी मामले में लागू नहीं होगी, जिसमें अपराधी के पति या पत्नी की ओर से शरण दी गई हो या छिपाया गया हो। से संगठित अपराध के कमीशन से प्राप्त किसी संपति पर कब्जा करता है, उसे एक वर्ष से कम अवधि के कारावास से दंडित किया जाएगा। इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता उसे दो लाख तक जुर्माना लगाया जा सकेगा। यदि किसी संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य की ओर से कोई व्यक्ति चला था संपति पर कम करता है, जिसका यह संतोषजनक हिसाब नहीं दे सकता है उसे 1 वर्ष तक की सजा दी जा सकेगी।

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