Ashoka Times…24 June 2025
डी0ए0वीएन0 पब्लिक स्कूल ददाहू के विद्यार्थियों और समस्त स्टाॅफ के द्वारा स्थानीय गऊशाला सती बाग में जाकर गऊमाता की सेवा की गयी।
जैसा कि विदित हैं कि डी0ए0वीएन0 पब्लिक स्कूल ददाहू का मोटो, चरित्र ,संस्कार और उच्चकोटि की शिक्षा हैं। विद्यालय का ये एक प्रबल दृष्टिकोण हैं कि जो विद्यार्थी अपनी संस्कृति और संस्कारो से जुडे रहते हैं उनका पथभ्रष्ट होना नामुमकिन होता हैं। गऊषाला का यह कार्यक्रम भी इसी का एक हिस्सा हैं। इस अवसर पर सभी विद्यार्थियों और स्कूल स्टाॅफ के द्वारा गऊमाता को अपने साथ लाई रोटियां , फीड और अन्य खाद्य साम्रगी खिलाई गयी। वहां पर विद्यालय के अध्यापक सत्यप्रकाश शर्मा के द्वारा बच्चों को बताया गया कि गौ सेवा भारतीय संस्कृति का एक हिस्सा हैं , गाय को माता का दर्जा दिया गया हैं क्योंकि यह हमें दूध , घी , गोबर और गौमूत्र जैसी जीवनोपयोगी चींजे प्रदान करती हैं। गौ सेवा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं बल्कि पर्यावरण ओर कृषि के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं गोबर से बनी खाद खेंतों को उर्वर बनाती हैं ओर जैविक खेती को बढावा देती हैं इसके अलावा हमारी हिन्दू सनातन संस्कृति में गौ सेवा की देखभाल करना पुण्य का काम भी माना जाता है। गौ सेवा से हमें करूणा , प्रेम ओर जिम्मेदारी का संदेष मिलता हैं । इससे समाज में सकारात्मकता आती है।
विद्यालय के प्रधानाचार्य धनेन्द्र गोयल ने विद्यार्थियों का बताया कि भारतीय संस्कृति के चार प्रमुख स्तम्भों में गंगा , गीता , गायत्री और गौ में गाय का महत्व कम नही हैं हमारे पूर्वजों में गायत्री , गंगा , गीता के प्रति जो भावना रही हैं वह गौ माता के प्रति भी रही है। हमारे षास्त्रों ओर पुराणों में गाय के स्थूल और सूक्ष्म लाभों का वर्णन किया गया हैं। पदम पुराण के सृष्टि खण्ड में गाय के महत्व पर प्रकाष डाला है। स्कन्द , प्रभास में गौ का स्थान गुरू और देवता के समान दिया है।
विद्यालय के प्रधानाचार्य धनेन्द्र गोयल ने बताया की डी0ए0वीएन0 पब्लिक स्कूल ददाहू का मोटो चरित्र , षिक्षा ओर संस्कार हैं , विद्यार्थियों के द्वारा गौसेवा का कार्यक्रम करने का वास्तविक मकसद विद्यार्थियों में हिन्दू सनातन के अमूल्य संस्कारों को पैदा करना हैं ताकि वह अपनी अमूल्य संस्कृति से जुडे जो अनुपम , बेजोड और अद्वितीय है।
इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य , समस्त स्टाॅफ और विद्यार्थी उपस्थित थे ।