क्या आप कर रहे हैं इन कम्पनियों की दवाओं का सेवन…सावधान
हिमाचल दवा नियंत्रक विभाग में बड़े पैमाने पर बदलाव की आवश्यकता…

Ashoka Times….14 December
हिमाचल प्रदेश कालाआम स्थित निक्सी लैबोरेट्री की दवा से 5 लोगों की जान चले जाने के आरोप लग रहे हैं जिसका खुलासा पीजीआई के विभाग द्वारा किया गया है बावजूद इसके ड्रग कंट्रोल अधिकारियों द्वारा महज़ प्रोडक्ट लाइसेंस रद्द कर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली है।
हिमाचल प्रदेश में दवा नियंत्रक विभाग उन लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करने का मौका फार्मा कंपनियों को दे रहा है जो घटिया स्तर की दवाएं लोगों को परोस रही है।

कालाआम्ब में स्थित निक्सी कंपनी की एनेस्थीसिया दवा के कारण 5 लोगों की जान चली गई जिसका खुलासा पीजीआई चंडीगढ़ रिपोर्ट में है लेकिन 2 महीने तक ड्रग कंट्रोलर द्वारा कोई सख्त कार्रवाई इस कंपनी पर नहीं की गई पिछले 2 महीनों में लगातार निक्सी कंपनी के सैंपल फेल हुए हैं अब एक बार फिर निक्सी लैबोरेट्री कि 14 दवाओं के सैंपल एक साथ फेल हुए हैं जिसके बाद विभाग ने अपनी इज्जत बचाने के लिए मजबूरन प्रोडक्ट लाइसेंस रद्द कर दिया है ।
वहीं दूसरी ओर केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण ऑर्गेनाइजेशन ने नवंबर के अनुसार निक्सि के एक साथ 14 दवाओं के सैंपल मानकों पर सही नहीं पाए गए हैं। हालांकि पीजीआई की रिपोर्ट के बाद निक्सी लैबोरेट्री पर तुरंत सख्त कार्रवाई हो जानी चाहिए थी लेकिन उच्च अधिकारियों ने उसे बचाए रखा यहां तक कि 5 लोगों की जान चले जाने के बाद भी निक्सी को आम जनता की जान के साथ खिलवाड़ का मौका दिया जाता रहा है।
उधर पांवटा साहिब की जी लैबोरेट्रीज की दवाएं भी लगातार फेल हो रही हैं ड्रग विभाग द्वारा केवल दवाओं को बाजार से वापस लाने के नोटिस देकर अपना पल्ला झाड़ लिया जाता है कभी उन मरीजों के बारे में नहीं सोचा जाता जो इन दवाओं का सेवन कर रहे कई महीनों तक सेवन करने के बाद उन लोगों को पता चलता है कि जो दवाई वह खा रहे हैं वह घटिया स्तर की है ।
बता दें कि ZEE LABORATORY पांवटा साहिब फार्मा के भी एक बार फिर सैंपल फेल हुए हैं इस बार दौरे और दर्द की दवा गाबापोर्टेन के सैंपल फेल हुए हैं।
इससे पहले भी पांवटा साहिब में जी लैबोरेट के सैम्पल फेल हुए थे कुछ दवाओं को लेकर केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण द्वारा ड्रग अलर्ट जारी किया था जिसमें सैंपल फेल हो गए थे इसमें दिल के मरीजों को चेस्ट पेन और एंजाइना जैसी घातक परेशानियों से बचाने के लिए बनाई जाती थी ।
फेल सैम्पल कारण…
दवा के सैंपल फेल होने में सबसे बड़ा कारण घटिया केमिकल और रॉ मैटेरियल रहता है इसका साफ मतलब होता है कि यह दवा उस स्तर की नहीं है कि आपके दिल या अन्य खतरों को कम कर सके।
इस बार निक्सी लैबोरेट्री के 14 सैंपल प्रोपेफोल के फेल हुए वही बद्दी की एंज लाइफ साइंस की उच्च रक्तचाप टेल्मीसर्तन और बुखार के पेरासिटामोल सैंपल फेल हुए हैं, बद्दी की मोरपेन लैब जिंक दवा के सैंपल फेल हुए हैं सोलन में सीबी हेल्थ केयर के संक्रमण की दवा के सैंपल फेल हुए हैं अल्ट्राटेक कंपनी के संक्रमण की दवा के सैंपल फेल हुए हैं वही गोपाल लाइव साइंस कि बुखार के दवा के सैंपल फेल हुए हैं हिल्लर लैब कंपनी की अल्सर रैबिप्राजोल के सैंपल फेल हुए हैं वही स्कोडेडिल फार्मा कंपनी की कब्ज की दवा के सैंपल फेल हुए हैं इस तरहां 83 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं।
दरअसल हिमाचल प्रदेश में दवा नियंत्रक विभाग में अधिकारियों के बदलाव की सख्त आवश्यकता है पिछले कई वर्षों से अधिकारी नियम कानूनों को धता बताते हुए एक कुर्सी पर बने हुए हैं जिसके कारण बड़ी फार्मा कंपनियों के दवा सैंपल फेल होने के बावजूद भी कोई सख्त कार्रवाई अमल में नहीं लाई जाती आपसी तालमेल से हिमाचल प्रदेश से यह गोरखधंधा चल रहा है जिसको लेकर प्रदेश सरकार को लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाले अधिकारियों को बदल कर नए अधिकारी सामने लाने चाहिए। वही फार्मा कंपनियों की लगातार घटिया दवा सामग्री पर भी सख्त कानून लागू करना चाहिए ताकि लोगों की जान के साथ खिलवाड़ न किया जा सके।
वहीं हिमाचल प्रदेश के ड्रग कंट्रोलर नवनीत मरवाहा ने कहा कि कानूनन जो कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है वह लाई जा रही है जिन दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं उन सभी को बाजार से वापस लाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं।