कृषि विभाग केंद्र धौला कुआं में घुसा इंडियन रॉक पाइथन…स्नेक मैन ने किया रेस्क्यू… रोचक जानकारियां
Ashoka Times….24 November 2024

पांवटा साहिब के कृषि विभाग केंद्र धौला कुआं में इंडियन रॉक पाइथन के आने के बाद भय का माहौल पैदा हो गया, इसके बाद विभाग के अधिकारियों ने पांवटा साहिब के स्नेक मैन के नाम से मशहूर भूपेंद्र सिंह को रेस्क्यू के लिए बुलाया।
भूपेंद्र सिंह स्नेक मैन ने बताया कि इंडियन रॉक पाइथन रेस्क्यू किया गया है। धौला कुआं में कृषि विभाग केंद्र में यह विचरण कर रहा था उन्होंने बताया कि हो सकता है कि जंगल की ओर से यह है किसी छोटे जानवर के पीछे यहां पर पहुंच गया हो। अधिकतर भारतीय रॉक पाइथन, स्तनधारी, पक्षी, उभयचर, और सरीसृपों को खाते हैं. ये सख्त मांसाहारी होते हैं.
उन्होंने कुछ रोचक जानकारी पाइथन को लेकर दी….

उन्होंने बताया कि रॉक पाइथन का आकार और बेहतरीन त्वचा इसे मानवीय अहंकार और लालच का लक्ष्य बनाती है। 70 के दशक के मध्य तक साँप की खाल का व्यापार बड़े पैमाने पर होता था, और पाइथन की खाल सबसे ज़्यादा पसंद की जाती थी।
भारत में, अजगर को अनुसूची 1 के तहत सबसे ज़्यादा सुरक्षा मिली हुई है; बाघ के बराबर सुरक्षा है। दुख की बात है कि यह कार्यक्षमता में तब्दील नहीं होता और कई जगहों पर अजगरों को देखते ही मार दिया जाता है। उन्हें बचाने के इरादे से भी, अजगरों को अक्सर एक स्थान पर पकड़ लिया जाता है और फिर उन्हें जंगल वाले इलाकों में ले जाया जाता है क्योंकि लोगों का मानना है कि यह इन साँपों के लिए सबसे अच्छा है। यह ज़्यादातर साँपों के लिए हानिकारक है और इसे हर कीमत पर टाला जाना चाहिए। अजगर को उस जगह से कभी भी हटाने की ज़रूरत नहीं है जहाँ वह पाया जाता है। लोगों को यह सीखने की ज़रूरत है कि उनका डर जंगली जानवरों के भविष्य के बारे में फ़ैसला लेने के लिए पर्याप्त कारण नहीं है; सच्चाई यह है कि अजगर की मौजूदगी के कारण मानव जीवन या संपत्ति को कोई जोखिम नहीं है।
वही डॉ. पंकज मित्तल, साइंटिस्ट इंचार्ज कृषि विभाग केंद्र धौला कुआं ने बताया कि पाइथन रॉक छोटे-मोटे शिकार के चलते या धूप सेंकने के चक्कर में कृषि विभाग की ओर घुस आया था जिसका सुरक्षित तौर से भूपेन्द्र सिंह ने रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ने का काम किया है।