अंतर्राष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेले पर भगवान परशुराम का विशेष आगमन परिचय…
दशकों पहले ऐसे आते थे भगवान परशुराम अपनी माता से मिलने…

Ashoka Times…22 November 23 Himachal Pradesh
भगवान परशुराम की जीवन के बारे में वैसे तो सभी परिचित है लेकिन हम बता दें कि भगवान जितने क्रोधित स्वभाव के थे उतने ही कोमल हृदय भी रहे हैं छल कपट से दूर अपने माता-पिता के इतने करीब कि उनके कहने भर पर वह काम को अंजाम दे दिया करते थे। उनके साथ एक बेहद मार्मिक कथा भी जुड़ी है जिस पर उन्होंने अपने पिता के आदेशों को मानते हुए माता के सर को कलम कर दिया था।
श्रीविष्णु अवतार भगवान परशुराम पराक्रम के प्रतीक माने जाते हैं। वह अपने माता-पिता के परम आज्ञाकारी पुत्र थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार परशुराम की माता रेणुका जल लेने नदी पर गईं। वहां उन्होंने गंधर्वराज चित्ररथ को जल में अप्सराओं के साथ देखा और कुछ देर वहीं ठहर गईं।

अंतर्राष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेले पर प्रदेशवासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं…पंकज गर्ग प्रधान ददाहु पंचायत
अंतर्राष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेले की सभी क्षेत्रवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं… रणबीर सिंह सेक्रेटरी ददाहु पंचायत
उस समय माता रेणुका के मन में विकार उत्पन्न हो गया था। अचानक उन्हें याद आया कि उनके पति के हवन का समय हो रहा है और वो तुरंत जल लेकर घर पहुंचीं। जमदग्नि ऋषि ने अपने तपोबल से अपनी पत्नी का मानसिक व्यभिचार जान लिया। उन्होंने परशुराम से बड़े अपने तीन पुत्रों को आज्ञा दी कि वो अपनी माता का वध कर दें लेकिन किसी ने भी इसे पाप समझकर अपने पिता की बात नहीं मानी।
उस समय माता रेणुका के मन में विकार उत्पन्न हो गया था। अचानक उन्हें याद आया कि उनके पति के हवन का समय हो रहा है और वो तुरंत जल लेकर घर पहुंचीं। जमदग्नि ऋषि ने अपने तपोबल से अपनी पत्नी का मानसिक व्यभिचार जान लिया। उन्होंने परशुराम से बड़े अपने तीन पुत्रों को आज्ञा दी कि वो अपनी माता का वध कर दें लेकिन किसी ने भी इसे पाप समझकर अपने पिता की बात नहीं मानी।
विष्णु के छठे अवतार महाप्राक्कोनम भगवान परशुराम जयंती पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं… नारायण सिंह भाजपा नेता श्री रेणुका जी
रमन ठाकुर बीडीसी सदस्य श्री रेणुका जी की ओर से प्रदेशवासियों और श्री रेणुका जी के समस्त लोगों को भगवान परशुराम जयंती पर विशेष शुभकामनाएं…स्वस्थ रहें सुरक्षित रहें
अंत में ऋषि ने परशुराम को अपनी माता का वध करने की आज्ञा दी। साथ ही उन्होंने कहा कि अपने भाइयों का भी वध कर दो क्योंकि इन्होंने मेरी आज्ञा का पालन नहीं किया। परशुराम ने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी माता और भाईयों का वध कर दिया। पुत्र की पितृभक्ति देख जमदग्नि ऋषि प्रसन्न हुए और उन्होंने परशुराम से वर मांगने को कहा। परशुराम अपने पिता का तपोबल जानते थे,
शहीद कुलविंदर सिंह इंडेन गैस एजेंसी की ओर से हम सभी प्रदेशवासियों को भगवान परशुराम जयंती पर शुभकामनाएं प्रदान करते हैं।
श्री रेणुका जी वीडियो को भगवान परशुराम जयंती पर बधाई और शुभकामनाएं….सभी लोग साफ-सफाई बनाए रखें स्वस्थ रहें सुरक्षित रहें…DR ASHOK KUMAR INCHARGE CH RENUKA JI
उन्होंने अपने पिता से अपनी मां और भाईयों को पुनर्जीवित करने का वरदान मांगा। उन्होंने पिता से मांगा की उनकी मां और भाई ऐसे जीवित हों जैसे कि निद्रा से जागे हों और उन्हें इस बात का स्मरण न रहे कि मैंने उन्हें मारा था। जमदग्नि ऋषि के तपोबल से ऐसा ही हुआ। पुत्र की तीव्र बुद्धि को देख ऋषि ने उन्हें ख्याति और अस्त्र-शस्त्र में निपुणता का भी वरदान दिया।
बता दे की श्री रेणुका जी में पौराणिक काल से भगवान श्री परशुराम आगमन की परंपरा चली आ रही है ऐसा भी कहा जाता है कि यह मां और बेटे के मिलन का समय होता है वर्ष भर में एक बार मां बेटा मिलते हैं और कुछ दिनों तक एक दूसरे के साथ रहते हैं। ऐसा बताया जाता है कि पौराणिक काल में श्री रेणुका जी मेले का स्वरूप कुछ और हुआ करता था दशकों पूर्व भगवान परशुराम को आकर्षक पालकी की बजाय तांबे की एक विशेष पिटारी में लाया जाता था उसे समय सिरमौर रियासत के राजा विशेष तौर पर भगवान परशुराम का स्वागत करने मेले में शिरकत करते थे।
उस दौरान राज दरबार के सैनिक देवताओं के सम्मान में उन्हें विशेष तौर पर 21 तोपों की सलामी दिया करते थे सिरमौर रियासत के अंतिम शासक महाराजा राजेंद्र प्रकाश की भगवान परशुराम के प्रति गहरी आस्था थी इसको ध्यान में रखते हुए उन्होंने तांबे की पिटारी के स्थान पर चांदी की पालकी का निर्माण करवाया तभी से भगवान परशुराम को मेले में विशेष चांदी की पालकी में लाया जाता है इससे पहले मेले के दौरान रियासत काल में अस्त्र शस्त्रों का जमकर प्रदर्शन किया जाता था महाराजाओं का युग जाते ही यह परंपराएं बदलकर कुश्ती और खेलकूद का रूप ले चुकी हैं।