क्या आप भी हुए हैं पांवटा सिविल अस्पताल में डाक्टरों की लापरवाही का शिकार..?
ASHOKA TIMES…24 July 2025
पांवटा साहिब के सिविल अस्पताल में वीरवार सुबह 7 बजे एमरजैंसी वार्ड से डाक्टर नदारद रहे। जिसके कारण आधा दर्जन मरीजों को दर्द और परेशानी झेलनी पड़ी।
सिविल अस्पताल की व्यवस्था पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। वीरवार सुबह 7 बजे दर्द से तड़पते कईं मरीज़ डॉक्टर का इंतजार करते रहे, परेशान कुछ मरीज प्राइवेट अस्पतालों का भी रूख कर गए। प्राप्त जानकारी अनुसार वीरवार सुबह किसी युवा डाक्टर की ड्यूटी थी। सुबह करीब 7 बजे से खड़े एक मरीज ने बताया कि वहां मौजूद हिमाचल डेन्टल कालेज की छात्राओं ने इमानदारी से ड्यूटी पर से नदारद डाक्टर को फोन पर अवगत करवाया था बावजूद इसके डॉक्टर को अस्पताल आने में 40 मिनट लग गए। दरअसल डॉक्टर अस्पताल में ड्यूटी देने की बजाय अपने घर पर आराम कर रही थी। जब कि उनकी ड्यूटी पांवटा साहिब के बेहद संवेदनशील आपातकालीन वार्ड में थी। कभी-कभी तो कईं ऐसे भी केस आपातकालीन वार्ड में आते हैं कि अगर समय पर इलाज न मिले तो जान भी जा सकती है। किसी भी मरीज़ के लिए 40 मिनट देरी से इलाज मिलना काफी कष्टकारी हो सकता है।
दनदनाती आई डाक्टर ने एमरजैंसी मरीजों को देखा खड़े खड़े…
महिला डॉक्टर ने लम्बे इंतजार के बाद खड़े खड़े ही मरीजों को देखना शुरू कर दिया। ये गनीमत रही कि 40 मिनट से अधिक इंतजार करने वाले मरीज़ चक्कर खा कर नहीं गिरे। बता दें कि आपातकालीन वार्ड में आप खड़े खड़े मरीजों का इलाज नहीं कर सकते। ये संवेदनशील डॉक्टर्स का पहला नियम होता है।
आपातकालीन वार्ड में बेसिक दवाएं थी गायब…
वीरवार को मरीजों ने बताया कि सुबह के वक्त जीवनरक्षक दवाएं, पीसीएम इंजैक्शन जैसी जरूरी और बेसिक दवाएं भी मरीजों को बाहर से खरीदनी पड़ी। आपको बता दें कि सरकारी अस्पतालों में लाखों रुपए की दवाएं हर वर्ष एक्सपायर हो जाती है। मरीजों तक पहुंच ही नहीं पाती, जबकि मरीजों को बाहर से दवाएं ख़रीद कर इलाज करवाना पड़ता है।
वहीं इस बारे में जब सिविल अस्पताल के मैडिकल ऑफीसर डॉक्टर सुधी गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनके संज्ञान में ऐसा मामला नहीं है फिर भी वह इस मामले की गंभीरता से जांच करेंगे।