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Sunday, June 22, 2025

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असर…अस्पताल में चल रही कमीशनखोरी को लेकर प्रशासन को चेतावनी…

गरीब मरीजों से लाखों रुपए ऐंठने वाले डॉक्टरों पर हो कार्रवाई…

Ashoka Times….20 December 

पांवटा साहिब के सिविल अस्पताल में ऑपरेशन के नाम पर मरीजों से लाखों रुपए ऐंठे जा रहे हैं और जो सुविधाएं उन्हें मुफ्त में मिलनी चाहिए वह निजी अस्पतालों की तर्ज पर दी जा रही है

पांवटा साहिब में सिविल अस्पताल में चल रहे इस गोरखधंधे का खुलासा “ASHOKA TIMES” द्वारा किया गया था जिसके बाद अब व्यवस्था परिवर्तन सामाजिक संस्था द्वारा एसडीएम पावटा को ज्ञापन सौंपा गया है जिसमें 1 सप्ताह के भीतर डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग की गई है अन्यथा प्रशासन के खिलाफ धरने प्रदर्शन किए जाएंगे।

गनीमत यह है कि डॉक्टर द्वारा नोचे जा रहे गरीब मरीजों को लेकर आखिर किसी संस्था ने तो आवाज उठाई। वरना पूरे पांवटा साहिब में डेढ़ सौ से अधिक समाज के लिए संस्थाएं रजिस्ट्रेशन करवा कर बैठी है और काम के नाम पर मीडिया में फोटो सेशन तक सिमट कर रह गई है।

क्या है पूरा मामला….

पांवटा साहिब का सिविल अस्पताल यूं तो हमेशा से ही विवादों में रहा है मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक यहां की शिकायतें पहुंचती रही है डाक्टरों के गोरखधंधे में पिस रहे गरीब लोगों का दर्द कोई नहीं सुन पाया, लेकिन इस बार कमीशन खोरी की सारी हदें लांघ कर डाक्टरों ने मरीजों की जेब पर सीधे हाथ डाला है।

बता दें कि व्यवस्था परिवर्तन के संयोजक सुनील चौधरी इससे पहले भी व्यवस्थाओं को लेकर कई प्रदर्शन कर चुके हैं विशेष तौर पर अल्ट्रासाउंड मशीन शुरू करने के लिए उन्होंने लगभग 12 दिनों तक अनशन किया था जिसके कारण स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ अस्पताल प्रशासन की भी नींद उड़ गई थी।
एक बार फिर वह मैदान में है और आम लोगों के लिए लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे हैं जनहित के इस मुद्दे पर हालांकि उनकी लड़ाई तब तक कमजोर रहेगी जब तक आम आदमी घरों से निकलकर बाहर नहीं आता है

इस पूरे मामले को लेकर जब ASHOKA TIMES के पत्रकारों द्वारा खुलासा किया गया अस्पताल में मरीजों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि पांवटा सिविल अस्पताल में हड्डी विशेषज्ञ 60 हजार रुपए लेकर आप्रेशन कर रहे हैं इतना ही नहीं बाहर से प्राइवेट डॉक्टरों को भी बुलाया जा रहा है उन्हें भी मोटी कमीशन बटोरने का मौका मिल रहा है । सिर्फ इतना ही नहीं दवाओं पर अलग से मरीजों को पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं जिसके कारण तकरीबन तक़रीबन मरीजों से एक लाख रुपए ऐंठे जा रहे है।

इस बारे में भजौन निवासी मरीज़ के पिता से जब बात की गई तो बेहद साधारण बात चीत में उन्होंने बताया कि 6 रोज पहले बेटे का एक्सीडेंट हो गया था टांग में फ्रैक्चर था डॉक्टर ने प्लेट और रोड डालने के लिए कहा था इस दौरान उन्होंने 60 हजार रुपए दिए जिसके बाद उनके बेटे का ऑपरेशन किया गया उन्होंने बताया कि बेटे के ऑपरेशन के लिए उन्होंने बड़ी रकम ब्याज पर उठाई है।

वही दूसरे मामले में एक मरीज की पत्नी ने बताया कि उनके पति की टांग का ऑपरेशन हुआ है जिसके लिए बाहर से राॅड और प्लेट्स मंगवाई गई है जिसके लिए डॉक्टरों को 60 हजार रुपए दिए हैं।

वही बता दें कि इन सभी ऑपरेशन में सोलन जिले की मेडिकल शॉप से ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाली दवाएं, राॅड और प्लेट के बिल भी मंगवाएं गए हैं।

वही एक चौंकाने वाली बात यह भी है कि सभी मरीजों से 60 हजार लिए जा रहे हैं क्या ऐसा संभव है कि सभी को एक जैसी और एक जितनी चोट आई हो । ऐसा भी संभव है कि बेवजह मरीजों पर रॉड और प्लेट्स का वजन डाला जा रहा हो। कई बार फैक्चर में प्लास्टर से भी काम चल सकता है।

बता दें कि सिविल अस्पताल में चल रहे इस गोरखधंधे में एनेस्थीसिया के लिए बाहर से डॉक्टर बुलाया जाता है और सोलंकी एक जन औषधि केंद्र से दबाएं और प्लेट्स रोड आदि खरीदी जाती हैं जोकि सीधे-सीधे सरकारी अस्पतालों के नियमों का उल्लंघन है।

सरकारी अस्पताल क्या है नियम….

जानकारी के मुताबिक सिविल अस्पताल में किसी भी बाहरी प्राइवेट या सरकारी डॉक्टर को ऑपरेशन या मदद करने की इजाजत नहीं दी जाती, नंबर दो अस्पताल में अगर कोई सुविधा नहीं है तो उसके लिए मेडिकल कॉलेज नाहन रेफर किया जाता है जहां पर मरीज का ऑपरेशन 10 से 15 हजार रुपए में आसानी से हो जाता है। दूसरी ऑप्शन सूरजपुर में ट्रस्ट द्वारा संचालित अस्पताल में भी इस तरह के ऑपरेशन किए जा रहे हैं वहां पर भी बेहद कम खर्चे में लोगों को यह सुविधा दी जाती है।

व्यवस्था परिवर्तन मंच पांवटा साहिब संयोजक सुनील चौधरी,अध्यक्ष अजय चौधरी, महासचिव शिवा, प्रदीप कुमार, सुरेंद्र पाल, अमित कुमार, मयंक चौहान, अक्षय चौधरी उपस्थित रहे।

क्या कहते अधिकारी….

वहीं एसडीएम विवेक महाजन विज्ञापन को लेकर जांच के आदेश जारी किए हैं और जल्द ही इसकी पूरी रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजने का आश्वासन दिया है।

बता दें कि हिमाचल प्रदेश में डॉक्टर्स की लॉबी इतनी मजबूत है कि सरकार तक इन को सस्पेंड करने से डरती है क्योंकि प्रदेश में पहले ही डॉक्टरों की कमी है ऐसे में अगर कमीशन लेकर अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर को निकाला गया तो फेहरिस्त काफी लंबी हो सकती है यही कारण है कि अस्पतालों में डॉक्टर मनमानी दवाएं और मनमाने रेट लोगों से लेकर उन्हें बुरी तरह से लौट रहे हैं और सरकारें खड़े होकर तमाशा देख रही है।

वही इस बारे में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अजय पाठक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अगर कोई लिखित शिकायत सामने आती है तो इस पूरे मामले पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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