अपने प्रत्याशी रोशन की जमानत बचाने उतरे व्यव्साई मदनमोहन शर्मा…साख दांव पर
Ashoka Times….8 November

पावंटा विधानसभा क्षेत्र से आजाद प्रत्याशी रोशन लाल चौधरी के समर्थन में उतरे भाजपा के पूर्व वरिष्ठ नेता व व्यवसाई मदन मोहन शर्मा की साख दांव पर है। बाहती बिरादरी से संबंध रखने वाले निर्दलीय प्रत्याशी रोशन लाल चौधरी का दायरा सिर्फ अपने बाहती बिरादरी तक ही सिमट कर रह गया है।
गिरीपार के क्षेत्र के अधिकतर लोग रोशन चौधरी के चेहरे से अनजान है। जिस कारण उनके पक्ष की लहर नहीं बन पाई है, हालांकि बाहती बिरादरी के ऊर्जा मंत्री से नाराज चल रहे कुछ लोग इस बार उन्हें समर्थन देने के लिए आगे आए हैं।
वहीं, कुछ मतदाता मदन मोहन शर्मा के अपने निजी रसूख से उन्हें समर्थन व वोट दे सकते हैं, लेकिन यह आंकड़ा बहुत ज्यादा बड़ा नहीं है। आकलन अनुसार यह आंकड़ा अगर जमानत बचाने तक भी पहुंच जाए तो गनीमत समझी जाएगी।

क्योंकि चुनावी मैदान में इस बार पहले ही त्रिकोणीय मुकाबला सामने आ चुका है। कांग्रेस-भाजपा के साथ आम आदमी पार्टी का ग्राफ बड़ी तेजी से बढ़ा है। जबकि गिरिपार से ही संबंध रखने वाले मनीष तोमर के पक्ष में भी ग्रामीण क्षेत्र के कुछ हद तक वोटर आ सकते है। वहीं, अल्पसंख्यक समुदाय में खास तौर से मुस्लिम वोटर इस बार आम आदमी पार्टी के साथ आ खड़ा हुआ है। जिसके चलते अब रोशन लाल चौधरी का दायरा बहुत ही सीमित रह गया है।
गौरतलब हो कि भाजपा ने अभी कुछ दिन पूर्व ही वरिष्ठ नेता मदन मोहन शर्मा, रोशन चौधरी, सुधीर गुप्ता सहित आधा दर्जन लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया है। पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते उन सभी को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। हालांकि, ये लोग पहले ही पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने का मन बना चुके थे।
सनद रहे कि मदन मोहन शर्मा भाजपा पार्टी से कई वर्षों से जुड़े रहे और उनकी भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी नज़दीकियां रही है, जिसके बूते वह ऊर्जा मंत्री के साथ टिकट दौड़ में अंत तक बने रहे। लेकिन पार्टी ने सिटिंग विधायकों को टिकट देकर उन्हें फिर चुनाव मैदान में उतारने की रणनीति बनाई, जिस दायरे में ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी भी आये और पार्टी ने उन्हें टिकट देकर फिर चुनाव मैदान में उतारा है।
ऐसे में अब देखना यह होगा कि आखिरकार टिकट की जदोजहद करने वाले मदन मोहन शर्मा के हाथ में अपना वोट बैंक कितना है और वह रोशन लाल चौधरी को किस हद तक आगे ले जा सकते है। यदि यह आंकड़ा जमानत बचाने से भी कम रहता है तो उन्हें भविष्य की राजनीतिक मौकों से भी हाथ धोना पड़ सकता है।
वही, साफ छवि व ईमानदारी का दम भरने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक आजाद प्रत्याशी रोशन लाल चौधरी को लोग कितना पसंद करते हैं, यह भी मतदान का आंकड़ा बता देगा। मत का आंकड़ा इन दोनों नेताओं की पब्लिक के बीच पकड़ को साफ तौर से सामने ला देगा।