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अनोखी शादी…संविधान को साक्षी मानकर किया विवाह…न ब्राह्मण न वैदिक मंत्र

पढ़िए क्या है इस अनोखी शादी के पीछे की कहानी…

Ashoka Times…16 May 23 

पांवटा साहिब के सालवाला धमोन गांव में एक युवा प्रवेश भारत और निशा ने एक नई शुरुआत का आगाज़ किया है। इन दोनों ने विवाह की प्राचीन परम्पराओं को तोड़कर संविधान को साक्षी मान कर विवाह किया है । यह अनोखी शादी बिना ब्राह्मण और वैदिक मंत्रों के सम्पन्न हुई है।

ये अनोखी शादी पुरे सिरमौर में ही नहीं प्रदेश भर में चर्चा का विषय बनी हुई है इस शादी में बिना ब्राह्मण और बिना वैदिक मंत्रो के ही स्थानीय रीति रिवाजो को निभाया गया। दूल्हा प्रवेश भारत एक पढ़ा -लिखा सरकारी नौकरी करने वाला युवा है और रूढ़िवादिता को तोड़ने के लिए उत्सुक था।

उनका मानना है कि संविधान ही एक ऐसा ब्रह्मास्त्र है जो आज भी दलितों को बचाए हुए हैं और उनकी सुरक्षा करता है उससे बड़ा भगवान उनके लिए आज भी दूसरा नहीं है।

उसने बताया कि उसका मानना है कि विवाह दो दिलों का मेल है इसके लिए किसी परम्परागत रीति और कर्मकांड का होना जरूरी नहीं है। हालांकि इस तरह के विवाह के लिए उसे अपने और लड़की के परिवार को मनाने में बहुत मशक्त करनी पड़ी लेकिन आखिर में वे मान गए। हालांकि इस विवाह में पुरे गाजे -वाजे के साथ बारात गई और लड़की वालों ने भी पूरी आव भगत की, बस दूल्हा -दुल्हन ने संविधान को साक्षी मान कर एक दूसरे का हाथ थामा और बारात दुल्हन को ले कर वापस लौट आई। ये अनोखी शादी जहाँ पुरे सिरमौर में चर्चा का विषय रही वहीं आने वाले समय में युवाओ के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन रही है।

बता दें कि दुर्गम क्षेत्रों में छुआछूत के चलते कई बार शादियों में ब्राह्मण और अपरकाष्ट के लोग आना पसंद नहीं करते हैं और अगर उन्हें बुलाना है तो उनके लिए अलग से सब प्रबंध करने पड़ते हैं ऐसे में गरीब दलित लोगों के बंदोबस्त कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है ऐसे में यह बेहतरीन समाधान है कि आप संविधान को साक्षी मानकर विवाह रचाएं और हमेशा खुश रहे।

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