अलग से श्मशानघाट का निर्माण करवाया जाएगा – एसडीएम, बड़सर
Ashoka Times…30 जुलाई 2025
हिमाचल प्रदेश में आज भी ऊंच-नीच जातियों को लेकर भेदभाव समाप्त नहीं हुए हैं। इसके उदाहरण सामने आते रहते हैं। नया उदाहरण बड़सर में सामने आया है। अनुसूचित जाति के व्यक्ति के अंतिम संस्कार को लेकर दो गांवों के लोग आमने-सामने आ गए।
बड़सर की कड़साई पंचायत के भेवड़ सहेली श्मशानघाट में मंगलवार को उस समय तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई, जब अंतिम संस्कार करने पर दो गांवों के बीच विवाद हो गया। पंचायत में अनुसूचित जाति के व्यक्ति के अंतिम संस्कार को लेकर दो गांवों के लोग आमने-सामने आ गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस और प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा, जिसके बाद आपसी सहमति से अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूर्ण हो पाई।
पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाया…
ननावां गांव के अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले समुदाय के लिए तय नियत श्मशानघाट का रास्ता बरसात के कारण खराब हो गया था। वहीं, बारिश के चलते खड्ड में पानी का बहाव तेज होने के कारण श्मशानघाट पर अंतिम संस्कार करना संभव नहीं था। ऐसे में व्यक्ति की मृत्यु के बाद जब परिजन और ग्रामीण शव का अंतिम संस्कार करने के लिए पास के भेवड़ सहेली श्मशानघाट पहुंचे, तो स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया, जिससे मौके पर खूब हंगामा हुआ। विवाद बढ़ता देख तत्काल पुलिस प्रशासन को सूचित किया गया। पुलिस ने दोनों पक्षों के लोगों को समझाया और शांत करवाया ।
अलग-अलग जातियों के श्मशानघाट का प्रावधान होने के चलते हुआ विवाद….
वहीं, प्रशासन के हस्तक्षेप से आपसी सहमति बनी और डेढ़ घंटे के बाद शव का अंतिम संस्कार करवाया गया। अलग-अलग जातियों के श्मशानघाट का प्रावधान होने के चलते यह विवाद यहां पर सामने आया था। कड़साई पंचायत के प्रतिनिधियों के अनुसार, ननावां गांव के लोगों ने बरसात के मौसम को देखते हुए पंचायत में प्रस्ताव डालकर भेवड़ सहेली श्मशानघाट में अंतिम संस्कार करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन ग्रामीणों की असहमति के कारण पंचायत ने इस प्रस्ताव को लौटा दिया था। अब मामला प्रशासन के संज्ञान में है।
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सूचना मिलते ही प्रशासन और पुलिस की टीम मौके पर पहुंच गई थी। लोगों को समझाकर शांतिपूर्ण तरीके से अंतिम संस्कार करवा दिया गया है। इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाएगा। स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि जल्द से जल्द सरकारी भूमि चिन्हित कर ननावां गांव के लिए किसी उपयुक्त स्थान पर अलग से श्मशानघाट का निर्माण करवाया जाए। – राजेंद्र गौतम, एसडीएम, बड़सर