अगर चेक बाउंस हो गया है तो घबराएं नहीं…जेल और सजा से बचने के ये हैं उपाय….
Ashoka Times…5 अप्रैल 23

आजकल चेक बाउंस ( cheque bounce) के मामले प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं न्यायालय में चेक बाउंस के मामलों में दोनों ही पक्षों को अधिकार होता है कि वह न्यायालय के समक्ष अपने सबूतों के साथ दास्तां रख पाए हालांकि चेक बाउंस के मामले में अधिकतर मामले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के साथ जुड़े होते हैं।
ऐसी स्थिति में न्यायालय भी एकदम से सजा न देकर कई मामलों में आर्थिक रूप से कमजोर और चेक बाउंस का केस आरोपी व्यक्ति पर कुछ नरमी बरतते हुए किस्तों में भी इस पैसे को चुकाने की एक ऑप्शन देता है जो कि कोर्ट के बाहर या कोर्ट में वकीलों द्वारा दोनों पार्टियों से बात कर की जा सकती है।
चेक बाउंस (cheque bounce) सजा से पहले न्यायालय द्वारा कई मामलों में हर तरह के ऑप्शन दिए जाते हैं पार्टियों को बाहर मामला सुल्झाने के लिए भी अधिवक्ताओं को निर्धारित किया जाता है
चेक बाउंस के बहुत कम प्रकरण ऐसे होते है जिनमे अभियुक्त बरी किए जाते है। क्योंकि चेक और चेक पर साइन आरोपी के सबसे बड़े सबूत होते हैं।

कितनी होती है सज़ा….
चेक बाउंस…cheque bounce…निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट,1881 की धारा 138 के अंतर्गत 2 वर्ष तक की सज़ा का प्रावधान है। लेकिन 2 वर्ष अधिकतम सजा होती है चेक बाउंस मामले में चेक पर लिखी गई रकम से भी ये निर्धारित होता है कि आरोपी को कितनी सजा न्यायालय से मिलती है।
अधिकतर मामलों में इस अपराध में अधिकतम सज़ा अदालत साधारणतः छः माह या फिर एक वर्ष तक का कारावास देती है इसके साथ ही अभियुक्त को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 के अंतर्गत परिवादी को प्रतिकर दिए जाने हेतु भी निर्देशित किया जाता है। यह प्रतिकर चेक राशि का दुगना भी हो सकता है।
चेक बाउंस मामले में अगर आरोपी पर 420 का मामला चल रहा है तब भी सजा निर्धारण के बाद आरोपी ऊपर वाले न्यायालय में अपील कर सकते हैं
क्या करें सज़ा होने पर….
चेक बाउंस एक ऐसा ओफेंस है जिसमें आप अंतरिम जमानत के लिए ऊपरी अदालत जा सकते हैं सिर्फ इतना ही नहीं अगर आपको जिला न्यायालय से भी सजा हो जाती है तब भी आप उच्च न्यायालय में अंतरिम जमानत और अपील के लिए आवेदन कर सकते हैं।
अभियुक्त के पास वह अधिकार उपलब्ध होते हैं कि वह अंतिम निर्णय तक जेल से बच सकता है। किसी भी जमानती अपराध में जमानत लेना अभियुक्त का अधिकार होता है इसलिए इस अपराध के अंतर्गत अभियुक्त को दी गई सज़ा को निलंबित कर दिया जाता है।
आपकी हैंडराइटिंग…
अधिकतर मामलों में चैक ब्लैंक ही लिए जाते हैं ऐसे में अगर अच्छा वकील किया जाए तो वह आपकी एक्चुअल ली गई रकम पर केस लड़ सकता है आपकी हैंडराइटिंग मिलान आपको राहत दे सकता है।
मजबूरी …
अधिकतर मामलों में चेक पर भरी जाती है अधिक रकम… अक्सर सिर्फ मजबूरी में ली गई उधार या ब्याज पर रकम मामले में लेनदार चेक पर अधिक रकम भर जाता है यह भी एक श्रेणी अपराध होता है जिसमें अगर प्रूव हो जाए तो आपको मामले में काफी राहत मिल जाती है।
***वर्ष 2019 में जोड़े गए है। निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट,1881 की धारा 139 में प्रावधान करते हुए अंतरिम प्रतिकर के प्रावधान जोड़े गए है। जहां अभियुक्त को प्रथम बार अदालत के समक्ष उपस्थित होने पर परिवादी को चेक राशि की बीस प्रतिशत रकम दिए जाने के प्रावधान है।
इस प्रकार किसी चेक बाउंस के प्रकरण में सज़ा होने के पश्चात भी अभियुक्त के पास अनेक अवसर होते हैं जहां वह अपना पक्ष अदालत के समक्ष साफ तौर पर रख सकता है।