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हिमाचल में क्लाइमेट चेंज है खतरे के संकेत…

तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर नदियों में हो रहा पानी कम…

Ashoka Times…22 may 23 

हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों पर क्लाइमेट चेंज के कारण तेजी के साथ बर्फ की चादर पिंघल रही है जो एक बड़े खतरे की ओर संकेत कर रही है।

इस वर्ष क्लाइमेट चेंज के कारण बेमौसम बरसात और बर्फ की चादर ने जहां कुछ समय के लिए राहत प्रदान की थी वहीं अब तेज गर्मी ने इस राहत को पूरी तरह से धुंधला कर दिया है बर्फ की चादर तेजी के साथ पिंघल रही है

विशेषज्ञों की मानें तो Himachal: हिमाचल में चिनाब में 36, रावी में 54 और सतलुज बेसिन में 27 फीसदी बर्फ की चादर घटी है

वर्ष 2022-23 में अक्तूबर के दौरान वर्ष 2021-22 के मुकाबले चिनाब बेसिन के स्नो कवर में 36 फीसदी, रावी बेसिन में 54 फीसदी और सतलुज बेसिन में 27 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

जलवायु परिवर्तन से मैदानी क्षेत्रों के मुकाबले पहाड़ी क्षेत्रों में तापमान में बढ़ोतरी होने से ग्लेशियर पिघल रहे हैं। बर्फबारी के पैटर्न में भी बदलाव आया है। बर्फबारी के ट्रेंड की मैपिंग से यह खुलासा हुआ है। हिमाचल प्रदेश में चिनाब में 36, रावी में 54 और सतलुज बेसिन में 27 फीसदी तक बर्फ की चादर (स्नो कवर) घटी है। हिमाचल प्रदेश काउंसिल फॉर स्टेट टेक्नोलोजी एंड एनवायरमेंट के सरंक्षण में काम करने वाले स्टेट सेंटर ऑफ क्लाइमेट चेंज की ओर से किए गए एक आकलन में यह खुलासा हुआ है।

स्टेट सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंज की ओर से अक्तूबर से लेकर अप्रैल तक हिमाचल में बर्फबारी के ट्रेंड की मैपिंग की गई है। प्रदेश की विभिन्न नदियों, घाटियों में एडब्ल्यूआईएफएस सैटेलाइट के माध्यम से यह मैपिंग की गई है। इनमें चंद्रा, भागा, म्याड़, ब्यास, पार्वती, जीवा, पिन, स्पीति और बासपा नदी और बेसिन को लिया गया है। इन पर किए गए आकलन के मुताबिक वर्ष 2022-23 में अक्तूबर के दौरान वर्ष 2021-22 के मुकाबले चिनाब बेसिन के स्नो कवर में 36 फीसदी, रावी बेसिन में 54 फीसदी और सतलुज बेसिन में 27 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

हालांकि, ब्यास बेसिन के स्नो कवर में तीन फीसदी की हल्की बढ़ोतरी हुई है। नवंबर में चिनाब बेसिन में वर्ष 2021-22 के मुकाबले 2022-23 में पांच फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ब्यास घाटी में 21 फीसदी, रावी में तीन और सतलुज बेसिन में 22 फीसदी की गिरावट की दर्ज की गई है। दिसंबर में सतलुज बेसिन में 56 फीसदी और चिनाब घाटी में 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

जनवरी में चिनाब घाटी में स्नो कवर पांच फीसदी, ब्यास में 16 फीसदी, रावी में 3 फीसदी और सतलुज में 38 फीसदी कम हुआ है। इसी तरह से फरवरी में चिनाब बेसिन में 4 फीसदी, ब्यास बेसिन 13 फीसदी और 17 फीसदी की गिरावट सतलुज बेसिन में आई है। मार्च में भी इसी तरह का ट्रेंड देखने को मिला है। मार्च में चिनाब बेसिन में दो फीसदी, ब्यास घाटी में पांच फीसदी, रावी घाटी में सात फीसदी और सतलुज बेसिन में चार फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

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