गोधरा कांड में अपनी हवस पूरी करने वाले किसी धर्म के नहीं हो सकते…
Ashoka Times…18 April 23
2002 में गोधरा कांड के दौरान बिलकीस बानों 21 वर्ष की रही होगी, गोधरा दंगों में बिलकिस बानो के साथ 11 लोगों ने रेप किया और उसकी 3 साल की बच्ची का कत्ल कर दिया हैवानियत यहीं नहीं रुकी बिलकिस बानो चिल्लाती रही कि वह 5 माह से गर्भवती है लेकिन दोषी फिर भी नहीं रुके। 10 साल पहले दो अदालतों द्वारा 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई लेकिन 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने 7 लोगों की हत्या और बिलकिस बानो के साथ रेप करने की उम्र कैद दोषियों को रिहा कर दिया। बता दें कि हिंदुओं को 10 साल की कारावास के दौरान 1000 दिन की पैरोल भीम मिलती रही है।
लेकिन रिहाई के बाद एक बार फिर 20 वर्षों जंग लड़ रही बिलकिस बानो ने अपने साथ हुए अत्याचार को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार द्वारा दोषियों को छोड़े जाने पर चुनौती दी है जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई भी शुरू कर दी है।
मामले की सुनवाई शुरू होते ही दोषियों के वकीलों ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा और सुनवाई स्थगित करने की मांग की।
क्या हुआ सुप्रीम कोर्ट के जजों के सामने…
1. याचिकाकर्ताओं ने इसका कड़ा विरोध किया।
2. जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि जब भी मामले की सुनवाई होती है तो एक आरोपी अदालत में आएगा। वो कार्यवाही स्थगित करने की मांग करेगा। चार हफ्ते बाद एक और आरोपी ऐसा ही करेगा। इस तरह यह दिसंबर तक चलेगा। हम इस रणनीति से भी अवगत हैं।
3. सरकार की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने सुझाव दिया कि सुनवाई के लिए निश्चित तारीख तय की जा सकती है।
4. कोर्ट ने कहा कि बलात्कार और सामूहिक हत्या के अपराध से जुड़े मामले की तुलना साधारण हत्या के मामले से नहीं की जा सकती। क्या आप सेब और संतरे की तुलना करेंगे?
5. दोषियों की ओर से पेश वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि आपने कहा है कि यह एक गंभीर अपराध है और मैं इसकी सराहना करता हूं, लेकिन वो 15 साल से हिरासत में रहे हैं।
6. बेंच ने कहा कि जब समाज को बड़े पैमाने पर प्रभावित करने वाले ऐसे जघन्य अपराधों में छूट देने पर विचार किया जाता है, तो सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए शक्ति का प्रयोग किया जाना चाहिए।
7. जस्टिस जोसेफ ने राज्य सरकार से कहा कि अच्छा आचरण होने पर दोषियों को छूट देने को अलग रखना चाहिए। इसके लिए बहुत उच्च पैमाना होना चाहिए। भले ही आपके पास शक्ति हो, लेकिन उसकी वजह भी होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह क्या संदेश दे रहे हैं आप…
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जहां एक गर्भवती महिला के साथ गैंगरेप किया गया और उसके 7 रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई। आप एक व्यक्ति की हत्या की तुलना सामूहिक हत्या से कैसे कर सकते हैं? यह एक समुदाय और समाज के खिलाफ अपराध है। हमारा मानना है कि आप अपनी शक्ति और विवेक का इस्तेमाल जनता की भलाई के लिए करें। दोषियों को रिहा करके आप क्या संदेश दे रहे हैं ?
गुजरात और देश के बुद्धिजीवियों की आवाज…
वहीं गुजरात और देश के बुद्धिजीवियों का कहना है कि उस वक्त दंगे के दौरान कत्लेआम हुआ लेकिन किसी 5 माह की गर्भवती के साथ रेप और उसके परिवार के 7 लोगों का कत्ल हैवानियत की सारी हदें पार की गई । दंगाइयों का गुस्सा एक धर्म विशेष पर जरूर था लेकिन जिन 11 लोगों ने उस गुस्से को अपनी हवस में बदल दिया वह कोई धर्म या संप्रदाय के नहीं हो सकते वह केवल और केवल उस समय का लाभ उठाने वाले दरिंदे कहे जाने चाहिए।
वही आपको बता दें कि 2002 में जिस बिलकीस बानों के साथ रेप किया जा रहा था उसकी कोख में 5 माह की बच्ची थी आज वह बच्ची बड़ी हो चुकी है और हौसला देखें कि वह अपनी मां की इस लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष से गुजर रही है।
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