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माजरा तहसील में फिर शुरू हुआ GPA का गोरखधंधा…?

माजरा तहसील में फिर पहुंच रहे रसूखदार और भूपति…

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Ashoka Times….28 June 2024

माजरा में एक बार फिर जीपीए का गोरखधंधा शुरू हो गया है ! वहां के स्थानीय लोगों ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस छोटी सी तहसील में हरियाणा पंजाब दिल्ली उत्तराखंड के रसूखदार और बड़े भूपति फिर से पहुंचने शुरू हो गए हैं। 

सूत्रों की माने तो इस छोटी सी तहसील में करोड़ों रुपए की संपत्तियां बैकडोर से ट्रांसफर की जा रही है यह सब कुछ जीपीए के माध्यम से किया जा रहा है हिमाचल प्रदेश में जीपीए को लेकर कुछ खामियां हैं जिसका लाभ प्रदेश की चुनिंदा तहसीलों में अधिकारी और कर्मचारी उठा रहे हैं।

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दरअसल समस्या तब खड़ी होती है जब बाहरी राज्यों के लोग जीपीए के लिए स्लॉट बुक करवा लेते हैं और स्थानीय लोगों को स्लाॅट नहीं मिल पाते ऐसे में तहसीलों में अधिकारी और कर्मचारी जीपीए के काम में ही उलझे रहते हैं।

अब तक जो मामला ध्यान में आया है उसके मुताबिक यहां पहुंचने वाले हरियाणा पंजाब के बड़े पूंजीपति और बड़े रसूखदार लोग ऐसी जमीनों की पावर ऑफ अटॉनी पंजीकृत करवा रहे हैं जिसकी कीमत करोड़ों में है। अधिकतर मामले ऐसे हैं जहां ये वसीयत न तो परिवार में किसी के नाम है और न ही पारिवारिक तौर पर ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति को दी जा रही है बल्कि यह अज्ञात लोगों के नाम पर हो रही है। अब यह जांच का विषय है कि आखिर बैक डोर से करोड़ों रुपए की संपत्ति ट्रांसफर और सरकारों को राजस्व का जो चूना लगाया जा रहा है उसके पीछे का क्या खेल माजरा जैसी छोटी-छोटी तहसीलों में चल रहा है।

आरोप…

सूत्रों की माने तो एक जीपीए पर 25 से ₹30 हजार भ्रष्ट कमाई तहसील और तहसील के बाहर बैठे दलाल कर रहे हैं अगर वर्ष 2023 दिसंबर महीने की बात की जाए तो 1 महीने में 200 जीपीए की गई है। और अगर पूरे वर्ष की बात की जाए तो तहसील में 1500 के करीब जीपीए हुई होंगी । सूत्रों की मानें प्रत्येक जीपीए पर₹25000 के करीब चार्ज किया गया है यानी 1 वर्ष में साढ़े 3 करोड रुपए के करीब काली कमाई इस तहसील से जुड़े लोग कर रहे हैं।

बता दे कि कुछ दिन पहले ही जीपीए को लेकर लोगों की शिकायतों के बाद एसडीएम पांवटा साहिब द्वारा जांच कर डीसी सिरमौर को रिपोर्ट भेजी गई थी इसके बाद ऑफ द रिकॉर्ड माजरा तहसील में जीपीए बिल्कुल बंद कर दी गई थी लेकिन जैसे ही मामला ठंडे बस्ते में गया तभी तहसील कार्यालय के अधिकारियों और बाहर बैठे दलालों की मिली भगत से जीपीए का धंधा शुरू हो गया।

स्थानीय लोग क्यों उठा रहे यह मुद्दा….

दरअसल जीपीए के स्लॉट बुकिंग के कारण स्थानीय लोगों की रजिस्ट्री और दूसरे कामों के लिए तहसील कार्यालय के कर्मचारी समय नहीं दे पा रहे हैं । ना तो लोगों की समय पर रजिस्ट्री हो पा रही है और दूसरे काम भी कईं दिनों तक लटक जा रहे हैं ।

वही जब इस बारे में तहसीलदार रविन्द्र सिंह सिसोधिया बात की गई तो उन्होंने बताया कि फिलहाल कार्यालय में जीपीए ना के बराबर ही रही है हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि अचानक जीपीए क्यों बंद कर दी गई है।

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